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जेल में अतीक, फिर भी जिसे जब चाहा, जहां चाहा सरेंडर करा दिया... कैसे मजबूत है नेक्सस?

साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद का सरेंडर कराने वाला नेक्सस अभी भी मजबूत है, जो जब चाहता है... जहां चाहता है... सरेंडर कर देता है. इसे समझने के लिए हमें सरेंडर के पुराने मामलों को समझना होगा. फिर आपको समझ आएगा कि कैसे अतीक अहमद का सरेंडर नेक्सस बहुत मजबूत है.

माफिया अतीक अहमद (फाइल फोटो) माफिया अतीक अहमद (फाइल फोटो)
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 07 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

उमेश पाल हत्याकांड को 42 दिन बीत चुके हैं. इन 42 दिनों में यूपी पुलिस हत्याकांड को अंजाम देने वाले किसी भी शूटर को पकड़ना तो दूर बल्कि उनके साया तक नहीं पहुंच पाई है. वहीं 18 साल बाद राजू पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी अब्दुल कवी ने लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया तो भी किसी को भनक तक नहीं लगी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या उमेश पाल हत्याकांड के शूटर भी सरेंडर ही करेंगे? यूपी पुलिस उनको पकड़ पाने में नाकाम रहेगी?

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यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद का सरेंडर कराने वाला नेक्सस अभी भी मजबूत है, जो जब चाहता है... जहां चाहता है... सरेंडर कर देता है. इसे समझने के लिए हमें सरेंडर के पुराने मामलों को समझना होगा. शुरुआत अतीक अहमद के गिरफ्तार होने और अशरफ के सरेंडर से करते हैं... फिर आपको समझ आएगा कि कैसे अतीक अहमद का सरेंडर नेक्सस बहुत मजबूत है.

दरअसल, जनवरी 2017 में प्रयागराज के शुआट्स यूनिवर्सिटी में अतीक अहमद ने अपने गुर्गों के साथ पहुंचकर मारपीट और तोड़फोड़ की. मामला राजनीतिक रंग लेने लगा तो अतीक अहमद पर एफआईआर दर्ज हुई और अतीक अहमद बयान दर्ज कराने थाने पहुंचा तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. 3 जुलाई 2020 को प्रयागराज की धूमनगंज पुलिस ने 3 साल से फरार चल रहे 1 लाख के ईनामी खालिद अजीम उर्फ अशरफ को गिरफ्तार किया.

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एनकाउंटर के डर से अशरफ का सरेंडर

प्रयागराज पुलिस ने गिरफ्तार करने का दावा किया लेकिन चर्चा थी कि अशरफ ने अपने चहेते पुलिस अफसरों के जरिए खुद को पकड़वाया है, क्योंकि यूपी एसटीएफ और यूपी पुलिस की कुछ टीमें अशरफ के पीछे लगी थी और अशरफ को एनकाउंटर का डर सता रहा था.

उमर और अली ने भी अपनी मनमर्जी से किया सरेंडर

लखनऊ के व्यापारी मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल में पिटाई के मामले में अतीक अहमद के बड़े बेटे उमर की तलाश में लखनऊ पुलिस, यूपी एसटीएफ और बाद में सीबीआई तक खाक छानती रही. उमर पर दो लाख का इनाम घोषित किया गया, लेकिन उमर अहमद को कोई नहीं पकड़ पाया और उसने 23 अगस्त 2022 को उसने अपने मनमाफिक ढंग और वक्त पर लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया. 

उमर के सरेंडर की खबर पुलिस को तब लगी जब वो कोर्ट में पहुंच गया. कोर्ट ने उसका सरेंडर स्वीकार कर लिया और वह अपने वकील के साथ बाहर आने लगा. कुछ ऐसा ही हाल अतीक अहमद के दूसरे बेटे अली का भी है.दिसंबर 2021 में प्रयागराज के व्यापारी से 5 करोड़ के रंगदारी मांगने के मामले में अली पर केस दर्ज हुआ तो प्रयागराज पुलिस ने तमाम कोशिशें की. अली पर 50,000 का इनाम भी घोषित किया गया, लेकिन वह गिरफ्तार नहीं किया जा सका.

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अली ने भी अपनी मनमर्जी से 30 जुलाई 2022 को प्रयागराज के जुडिशल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में वकीलों के साथ पहुंचकर सरेंडर किया. अब 25 जनवरी 2005 को बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी और एक लाख के ईनामी अब्दुल कवि ने लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में 6 अप्रैल 2023 को सरेंडर किया तो किसी को भनक तक नहीं लगी. 18 साल से फरार चल रहे अब्दुल कवि की तलाश में प्रयागराज पुलिस, कौशांबी पुलिस, यूपी एसटीएफ से लेकर सीबीआई तक लगी थी.

अब अब्दुल कवि का सरेंडर चर्चा में

अतीक अहमद के खास गुर्गे अब्दुल कवि ने खास वक्त पर ही अपनी मनमर्जी से सरेंडर कर दिया. ये उदाहरण साफ बताते हैं कि अतीक अहमद के सिंडिकेट में शूटर प्रॉपर्टी डीलर के साथ-साथ वकीलों का भी पूरा नेटवर्क है. यही वजह है कि अतीक अहमद और उसके परिवार के लोगों ने जब चाहा... जहां चाहा... सरेंडर किया. सीबीआई हो या यूपी पुलिस और एसटीएफ, उसको पकड़ पाने में नाकाम साबित हुए हैं.

अब उमेश पाल हत्याकांड के 42 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं. पुलिस की टीमें यूपी समेत नौ राज्यों की खाक छान चुकी है, लेकिन 25000 की इनामी शाइस्ता परवीन से लेकर पांच लाख का इनामी गुड्डू मुस्लिम, असद, अरमान, साबिर,मोहम्मद गुलाम कोई भी नहीं पकड़ा जा सका.

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