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अतीक को फिर लाया जा सकता है UP, अब इस केस में पूछताछ करेगी पुलिस!

अतीक अहमद को कभी भी पूछताछ के लिए यूपी लाया जा सकता है. साबरमती जेल प्रशासन को अभी तक तारीख नहीं बताई गई है, सिर्फ लेटर सब्मिट करवाया गया. पिछले दिनों ही उमेश पाल अपहरण केस में अतीक को कोर्ट के आर्डर पर यूपी पुलिस की टीम साबरमती जेल से प्रयागराज लेकर आई थी. इस केस में अतीक को उम्रकैद की सजा मिली है.

अतीक अहमद (फाइल फोटो) अतीक अहमद (फाइल फोटो)
सौरभ वक्तानिया
  • अहमदाबाद,
  • 03 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST

अहमदाबाद के साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद को एक बार फिर प्रयागराज लाया जा सकता है. उमेश पाल मर्डर केस की तफ्तीश के सिलसिले में यूपी पुलिस की टीम आज साबरमती जेल पहुंची. साबरमती सेंट्रल जेल को सूचित किया गया कि उमेशपाल हत्याकांड में अतीक अहमद का नाम सामने आया है और उससे पूछताछ की जा सकती है.

अतीक अहमद को कभी भी पूछताछ के लिए यूपी लाया जा सकता है. जेल प्रशासन को अभी तक तारीख नहीं बताई गई है, सिर्फ लेटर सब्मिट करवाया गया. पिछले दिनों ही उमेश पाल अपहरण केस में अतीक को कोर्ट के आर्डर पर यूपी पुलिस की टीम साबरमती जेल से प्रयागराज लेकर आई थी. अतीक ने जेल से निकलते वक्त एनकाउंटर की आशंका जताई थी.

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17 साल पुराने केस में मिली उम्रकैद की सजा

28 मार्च को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 साल पुराने केस में अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक अहमद, हनीफ और दिनेश पासी को प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत ने दोषी करार दिया. फिर इन तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति लगाई गई. 

सजा सुनने के बाद अतीक अहमद ने प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा था, 'मुझे साबरमती जेल में ही भेज दो, मुझे यहां नहीं रहना, पुलिस मुझपर केस लाद देगी.' इसके बाद अतीक अहमद को प्रयागराज से साबरमती जेल लाया गया. साबरमती जेल लाते वक्त अतीक ने एनकाउंटर के सवाल पर कहा था- काहे का डर.

किस केस में अतीक को हुई है उम्रकैद की सजा?

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अतीक को राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद उमेश पाल के अपहरण केस में सजा मिली है. उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद ने अपहरण कर लिया था.उमेश पाल को अगवा करके कर्बला इलाके के दफ्तर में ले जाया गया. उसे मारा पीटा गया. बिजली के झटके तक दिये गये और हलफनामे पर जबरन दस्तखत करा लिया गया. 

इसके बाद 1 मार्च 2006 को अदालत में उमेश पाल से ये गवाही भी दिला दी गई कि राजू पाल की हत्या के वक्त वो यानी खुद उमेश घटना स्थल पर मौजूद नहीं था. अतीक अहमद ने एक बार तो अदालत में उमेश पाल से अपने पक्ष में गवाही दिला ली थी लेकिन 2007 में यूपी की सरकार बदलते ही उमेश पाल ने 5 जुलाई को केस दर्ज करा दिया.

38 दिन पहले हुई थी उमेश पाल की हत्या

24 फरवरी को उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा कर्मियों की बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्या कर दी थी. उमेश पाल, विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे. 24 फरवरी को उमेश गाड़ी से उतर रहे थे, उसी दौरान बदमाशों ने उन पर फायरिंग कर हत्या कर दी थी. इस दौरान उमेश के साथ उनके दो सरकारी गनर की भी मौत हो गई थी.

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अभी तक पांचों शूटर को नहीं पकड़ पाई पुलिस

38 दिन बीतने के बाद भी अभी तक पुलिस उमेश पाल के पांचों हत्यारे को पकड़ नहीं पाई है. इनाम की रकम बढ़ाई गई, लेकिन अभी तक शूटर नहीं मिले. अतीक अहमद के तीसरे नंबर के बेटे असद, अरमान, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और साबिर की तलाश तेज है. यूपी पुलिस की दो दर्जन टीमें कई राज्यों में शूटरों की तलाश में भटक रही है.

 

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