
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पर्यावरण कार्यकर्ता सुरविंदर किसान और प्रिया चौधरी की शादी ने सादगी, पर्यावरण संरक्षण और समाजसेवा का अनूठा संदेश दिया है. यह विवाह महज एक रस्म नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की मिसाल बन गया. जहां आजकल शादियों में दिखावा और फिजूलखर्ची का चलन बढ़ रहा है, वहीं इस जोड़े ने 11000 पौधों का दहेज लिया. यही नहीं, प्लास्टिक और आतिशबाजी का बहिष्कार किया और दुल्हन की विदाई फूलों से सजी बैलगाड़ी में की.
शादी से पहले मेहमानों को भेजे गए निमंत्रण पत्र में दूल्हे सुरविंदर ने 10 संकल्प लिखे, जो समाज और पर्यावरण के लिए प्रेरणा बने. इनमें गौ सेवा, भंडारा आयोजन, सिलाई स्कूल का उद्घाटन, झुग्गी-झोपड़ियों में शिक्षा अभियान, नशा मुक्ति जागरूकता, 51 डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना, गांव गोद लेने की योजना, रक्तदान शिविर, सर्वधर्म आशीर्वाद समारोह और शादी में फिजूलखर्ची से बचाव शामिल हैं. सबसे खास बात, यह नवविवाहित जोड़ा हनीमून की जगह वृद्धों के लिए भारत दर्शन तीर्थ यात्रा कराएगा. मेहमानों को भी उपहार में पौधे भेंट किए गए.
बैलगाड़ी से विदाई
शादी का आकर्षण दुल्हन प्रिया की विदाई रही, जो महंगी कार की बजाय बैलगाड़ी से हुई. फूलों से सजी इस बैलगाड़ी ने ग्रामीण संस्कृति की झलक दिखाई और सादगी का संदेश दिया. सुरविंदर ने कहा, "दहेज और महंगी शादियों के चलते भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियां बढ़ रही हैं. ऐसे में वह बैलगाड़ी से अपनी दुल्हन की विदाई करवाएंगे ताकि ऐसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म किया जा सके."
समाज से सराहना
इस शादी में किसान नेता वी.एम. सिंह, कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा, पूर्व मेयर आशु वर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता ऋचा सूद जैसी हस्तियां शामिल हुईं. वी.एम. सिंह ने कहा, "यह शादी सिर्फ मिलन नहीं, बल्कि समाज में बदलाव का प्रतीक है. हमें इससे प्रेरणा लेनी चाहिए."
कांग्रेस नेत्री डॉली शर्मा ने इसे प्रेरणादायक बताते हुए कहा, इस विवाह ने दिखा दिया कि सामाजिक कुरीतियों को दूर कर भी एक यादगार और प्रेरणादायक शादी की जा सकती है.
सोशल मीडिया पर इस शादी की खूब तारीफ हो रही है. लोग इसे बदलाव की बयार मान रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर ऐसे आयोजन बढ़ें, तो कई कुरीतियां मिटाई जा सकती हैं. यह विवाह साबित करता है कि शादी सिर्फ धूमधड़ाका नहीं, बल्कि जागरूकता का सशक्त माध्यम भी हो सकती है.