
यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुकाबले पिछड़ने के बाद अब उपचुनाव में दम दिखाने के लिए कमर कस ली है तो वहीं विपक्षी पार्टियों में भी बैठकों का दौर चल रहा है. उम्मीदवारों के नाम पर मंथन हो रहा है तो वहीं कुछ दलों ने अंदर ही अंदर सीटों को लेकर कुछ नाम फाइनल भी कर लिए हैं. यूपी उपचुनाव के लिए किस पार्टी की तैयारियां कहां तक पहुंचीं?
समीकरण साधने में जुटे सीएम योगी
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद यूपी की जिस एक सीट का सबसे अधिक जिक्र हुआ, वह फैजाबाद लोकसभा सीट है जिसमें रामनगरी अयोध्या भी आती है. 'तुम्हारी जीत से ज्यादा चर्चे हमारी हार के हैं' की तर्ज पर इस सीट पर बीजेपी की हार चर्चा का विषय बनी हुई है. इस स्थिति को बीजेपी अयोध्या से ही संदेश देकर मिटाना चाहती है. अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए कितना महत्व रखती है ,इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते सप्ताह भर में सीएम योगी रामनगरी का दो बार दौरा कर चुके हैं और इस सीट पर जीत की जिम्मेदारी सीएम योगी के ही कंधों पर है.
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सीएम योगी ने हाल के अयोध्या दौरे के दौरान कहा भी, "अयोध्या को अपने सम्मान की खुद चिंता करनी चाहिए और हिंदू समाज को यह देखना चाहिए कि उनकी चिंता कौन कर रहा है. अयोध्या हमारे लिए जीत का विषय नहीं लेकिन हमारी हार को जिस तरह से प्रचारित किया गया उस पर अयोध्या को मंथन करना चाहिए." सीएम योगी ने लोकसभा चुनाव नतीजों की समीक्षा के लिए हुई बैठक में भी उपचुनाव में सभी सीटों पर जीत के लिए सभी को जुट होकर प्रयास करने का मंत्र दिया था.
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हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में सपा से सात हजार वोट से पीछे रह गई थी. इस अंतर को पाटने के लिए जिले के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी मिल्कीपुर के कार्यकर्ताओं के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं. बीजेपी अयोध्या से सटे अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर भी पूरा दमखम लगा रही है. यहां जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को प्रभारी बनाया गया है. चुनावी समीकरण को देखा जाए तो वर्ष 1991 के बाद से ही इस सीट पर बीजेपी को जीत नहीं मिली है. बीजेपी इस सीट पर कमल खिलाने का फॉर्मूला तलाश रही है. वहीं, इस सीट से विधायक रहे लालजी वर्मा सपा से अपनी पत्नी शोभावती वर्मा या पुत्री छाया वर्मा को टिकट दिलाने की कोशिश में हैं. सपा से टिकट की दावेदारी भीम निषाद भी कर रहे हैं.
सीटवार तैयारियों की समीक्षा में जुटे अखिलेश
संसद का मॉनसून सत्र खत्म होते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उपचुनावों को लेकर एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अपना टिकट पक्का करने के लिए दावेदार अखिलेश से मिलने पहुंच रहे हैं. अयोध्या से अवधेश प्रसाद के बेटे को टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अंबेडकर नगर में लालजी वर्मा की बेटी या पत्नी, करहल से तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से इरफान सोलंकी की पत्नी या उनकी मां और कुंदरकी से पूर्व विधायक हाजी रिजवान को उम्मीदवार बना सकती है. मीरापुर विधानसभा से सपा पूर्व सांसद कादिर राणा को उतार सकती है. ये सीट पिछली बार गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल के पास थी जो अब बीजेपी के साथ है. फूलपुर विधानसभा सीट से सपा कुर्मी समाज के किसी नेता को उतार सकती है. यह सीट सपा 2022 के विधानसभा चुनाव में केवल 2792 वोटो से हारी थी.
बसपा प्रमुख मायावती भी एक्शन में
आमतौर पर उपचुनाव से दूरी बनाने वाली बसपा भी इस बार उपचुनाव लड़ने की तैयारी में है. 2012 के बाद पहली बार होगा जब बसपा विधानसभा उपचुनाव लड़ने जा रही है. बसपा प्रमुख मायावती भी इसे लेकर एक्शन मोड में हैं और एक दिन पहले बैठक में उन्होंने बसपा को गरीबों और पीड़ितों की पार्टी बताते हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं से जनाधार बढ़ाने के लिए एकजुट होकर मेहनत करने का आह्वान किया. बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने आज तक से बात करते हुए ये कहा कि फूलपुर से शिवबरन पासी और मझवा सीट से दीपक तिवारी के नाम करीब-करीब फाइनल हैं. इन दोनों नेताओं को अभी प्रभारी बनाया गया है.
यूपी उपचुनाव के लिए कांग्रेस भी तैयार
यूपी कांग्रेस भी उपचुनाव को लेकर तैयारी कर रही है, बैठकें कर रही है. कांग्रेस 10 उपचुनाव की सीटों की तैयारी के लिए जल्दी ही वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंप सकती है. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी 10 सीटों के उपचुनाव में 5 सीटों पर दावेदारी कर रही है. सपा, कांग्रेस को दो से अधिक सीटें देने के लिए अभी तैयार नहीं है.