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UP: अस्पताल में भर्ती टीबी के मरीज ने खिड़की से कूदकर दी जान, 8 महीनों से था बीमार

बदायूं में सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 30 साल के टीबी के मरीज युवक ने शुक्रवार को चौथी मंजिल पर अपने कमरे की खिड़की से कूदकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. शख्स 8 महीनों से बीमारी से जूझ रहा था.

टीबी के मरीज ने अस्पताल की खिड़की से कूदकर दी जान टीबी के मरीज ने अस्पताल की खिड़की से कूदकर दी जान
aajtak.in
  • संभल ,
  • 06 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

उत्तर प्रदेश के बदायूं में सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 30 साल के टीबी के मरीज युवक ने शुक्रवार को चौथी मंजिल पर अपने कमरे की खिड़की से कूदकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. अस्पताल अधिकारियों के अनुसार, सुभाष ने सदमे के कारण आत्महत्या कर ली, हालांकि उनके पिता ने अस्पताल के कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया.

मेडिकल कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य डॉ.नेहा ने बताया कि सुभाष आठ महीने से टीबी से पीड़ित थे और उन्हें 4 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे भर्ती कराया गया था. उन्होंने कहा,'उन्हें पहले भी वहां भर्ती कराया गया था लेकिन उन्होंने इलाज बीच में ही छोड़ दिया था.'

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नेहा ने बताया कि यह घटना शुक्रवार सुबह 3 बजे सुभाष के वार्ड में भर्ती एक अन्य मरीज की दिल का दौरा पड़ने से मौत के तुरंत बाद हुई. उन्होंने कहा, मौजूद स्टाफ नर्सों ने मरीज को सीपीआर देने की कोशिश की, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.पड़ोसी मरीज की मौत के बाद, सुभाष परेशान हो गया और शुक्रवार सुबह 8:40 बजे, जब उसके पिता दवा काउंटर पर गए. तब सुभाष ने वार्ड की खिड़की खोली और नीचे कूद गया.
 
प्रिंसिपल इंचार्ज ने बताया कि मौके पर मौजूद एक वार्ड बॉय ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसने उसे धक्का देकर हटा दिया. डॉक्टर ने बताया कि सुभाष के सिर और दोनों हाथों और पैरों में फ्रैक्चर हुआ जिससे उसकी मौत हो गई. इस बीच, सुभाष के पिता किशन पाल ने अपने बेटे की मौत के लिए मेडिकल कॉलेज स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि उनका बेटा रात भर सांस लेने में दिक्कत और सीने में दर्द की शिकायत करता रहा, लेकिन किसी भी मेडिकल स्टाफ ने उसकी बात नहीं सुनी.

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उन्होंने कहा कि हमने वार्ड में मौजूद स्टाफ से मिन्नत भी की, लेकिन स्टाफ सोता रहा और दवा देने नहीं आया. निराश होकर सुभाष ने वार्ड की खिड़की खोली और छलांग लगा दी, जिससे उसकी मौत हो गई. हालांकि, प्रभारी प्राचार्य ने मेडिकल कॉलेज स्टाफ या किसी डॉक्टर की ओर से किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया.

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