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यूपी उपचुनाव: अखिलेश यादव का दांव... गठबंधन में कांग्रेस को मिल सकती हैं ये अहम सीटें

उत्तर प्रदेश उपचुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 6 सीटों की घोषणा की है, जिसमें कांग्रेस के लिए संभावनाएं छिपी हैं. सूत्रों के मुताबिक, सपा राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के हिस्से की खैर और मीरापुर सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ने की सोच रही है.

राहुल गांधी और अखिलेश यादव. (File) राहुल गांधी और अखिलेश यादव. (File)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 10 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जो रणनीति बन रही है, उसमें कांग्रेस के लिए कुछ संभावनाएं और चुनौतीपूर्ण पहलू छिपे हुए हैं. अखिलेश यादव की 6 ऐलान की गई सीटों में कांग्रेस के लिए क्या है? दरअसल, समाजवादी पार्टी आरएलडी की 2 सीटें कांग्रेस को देने के मूड में है. आरएलडी सपा गठबंधन में खैर और मीरापुर की सीटें लड़ी थी. सूत्रों के मुताबिक, सपा कांग्रेस के लिए गाजियाबाद सदर और मीरापुर की सीट छोड़ना चाहती है, लेकिन दबाव बनने पर मीरापुर या खैर में से कोई 1 सीट दे सकती है.

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कुनर्की की सीट समाजवादी पार्टी ही लड़ेगी, लेकिन आरएलडी को दी गई सीटें सपा कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है. गाजियाबाद से कांग्रेस पार्टी ने 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, ऐसे में सपा चाहती है कि कांग्रेस गाजियाबाद सदर से चुनाव लड़ ले.

यह भी पढ़ें: 'यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन रहेगा', उपचुनाव की 6 सीटों पर उम्मीदवारों के ऐलान के बाद बोले अखिलेश

वहीं कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि वह बाकी बची हुई चार सीटों में बात करके सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. मीरापुर की सीट पर चंदन चौहान आरएलडी से जीते थे, समाजवादी पार्टी को लगता है कि अगर यहां समाजवादी पार्टी बहुत मजबूत नहीं है, इसलिए इस सीट पर कांग्रेस के साथ बारगेनिंग की जा सकती है.

उधर कांग्रेस पार्टी ने खैर विधानसभा सीट पर अपनी नजरें लगा रखी हैं. कांग्रेस नेता अलका लांबा ने वहां से चारु केन को पार्टी में ज्वाइन कराया. चारु केन दलित बिरादरी से आती हैं, जाट परिवार की बहू हैं. पिछली बार चारु केन बसपा से चुनाव लड़ी थीं और 65000 वोट लेकर आई थीं.

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ऐसे में कांग्रेस पार्टी को लगता है चारु केन पर दांव लगाया जा सकता है. दरअसल, खैर विधानसभा जाट बहुल है, लेकिन यह सुरक्षित सीट है. इसलिए जाटों का वोट जिस तरफ जाता है, वह सीट उसके खाते में चली जाती है. कांग्रेस यही सोचकर चारु केन को अपने साथ लाई है, ताकि जाट और दलित दोनों का वोट वह पा सके.

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