
प्रचंड गर्मी में आपने कई बार अपने शहर, अपने मोहल्ले, अपने घर में महसूस किया होगा कि अचानक बिजली चली जाती है. या फिर वोल्टेज इतना कम हो जाता है कि न कूलर चल पाता है, न एसी. आप परेशान होते हैं. इसका इलाज योगीराज में कैसे किया जा रहा है. ड्रोन से बिजली चुराने वालों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है.
कटियाबाज, जिस पर पिक्चर तक बन चुकी है. कटियाबाजी एक कला है, जिसमें कटियाबाज को पता रहता है कि किस फेज में तार जोड़कर अपने घर बिजली चुराकर लगानी है. आज हम आपको दिखा रहे हैं उत्तर प्रदेश में कटियाबाजी के कलाकारों के कारनामे और उन्हें कैसे पकड़ रहे हैं बिजली विभाग के कर्मचारी.
टीम को देखकर सूर्यनमस्कार करते हुए निकालने लगे कटिया
सफेद चप्पल, सफेद पायजामा और छेददार सफेद बनियान पहने ये छत पर लेटकर सूर्यनमस्कार नहीं कर रहे हैं. ये चुपचाप लेटकर उस तार को बिजली के खंभे से खींचकर निकाल रहे हैं, जिसके जरिए ये कटिया डालकर बिजली चुरा रहे थे. अब तार इसलिए निकाल रहे क्योंकि नीचे बिजली विभाग वाले आ चुके हैं.
लेकिन यूपी के लखनऊ में इन कंटियाबाज को अंदेशा नहीं था कि इस बार बिजली विभाग वाले कटियाबाजों पर आसमान से निगाह रखे हैं. ड्रोन से निगरानी हो रही है कि कौन-कौन कटिया लगाकर रखे हैं. कहानी समझने में रत्ती भर भी दिक्कत न हो. इसलिए दो तस्वीरों को एक साथ देखकर जानिए.
यहां देखें वीडियो...
ऊपर की इस तस्वीर में देखिए... बाईं तरफ बिजली विभाग का ड्रोन दिखा रहा है कि नीचे सड़क पर जिस घर के बाहर कटियाबाजी करके बिजली चुराने वाले को पकड़ने के लिए बिजली विभाग के कर्मचारी खड़े हैं. दाईं तरफ की तस्वीर में देखिए उसी घर की छत पर चुपचाप ये जनाब लेटकर कटिया वाला तार निकालने में जुटे हुए हैं. मगर, सब कुछ बिजली विभाग के ड्रोन कैमरे में कैद हो गया.
रंगे हाथों पकड़ने के लिए उड़ाए गए ड्रोन
दरअसल, यूपी हो या कोई और प्रदेश, कटियाबाज हर जगह पाए जाते हैं. बिजली विभाग के छापे से पहले कटिया हटाकर ईमानदार बन जाते हैं. उन्हीं को रंगेहाथ पकड़ने के लिए पहले रात में चेतावनी दी गई. फिर भी जब काम नहीं बना, तो अगले दिन पुलिस की टीम के साथ बिजली विभाग के कर्मचारियों ने ड्रोन उड़ाकर यह कार्रवाई की, जिसमें आरोपी के पास बचने की गुंजाइश न रहे.
ऐसे तय होता है कहां चलाया जाना है अभियान
बिजली विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि सब स्टेशन पर मीटर लगे हैं. मान लीजिए कि वहां से एक्स यूनिट बिजली भेजी गई और बिलिंग वाई यूनिट की हुई, तो दोनों को घटाने पर जो अंतर आ रहा है, वही बिजली की चोरी है. जिन इलाकों में इसका अंतर ज्यादा आता है, वहां अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है. आंकड़ों से पता चलता है कि हर साल हजारों करोड़ रुपए की बिजली तो सिर्फ ऐसे कटियाबाज ही प्रदेश और देश में खा जाते हैं. मगर, अब उन्हें पकड़ने के लिए बिजली विभाग ड्रोन उड़ने लगा है.