
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद और शाही ईदगाह विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने मथुरा जिला जज को दोनों पक्षों को नए सिरे से सुनकर सिविल वाद को तय करने का निर्देश दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने पोषणीयता के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि पोषणीयता के मामले में पहले ही फैसला आ चुका है, ऐसे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.
जस्टिस प्रकाश पाडिया ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट और अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से मथुरा की सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई. वादी का कहना था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू नहीं होगा क्योंकि वह इसमें पक्षकार नहीं था.
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को सिविल वाद खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से अपील दाखिल की गई. विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की, जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया. पुनरीक्षण अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए. 19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने सिविल जज के वाद खारिज करने के आदेश 30 सितंबर 2020 को रद्द कर दिया.
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद?
काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई.
मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है. दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.