
उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव का इंतजार अब खत्म होने वाला है. निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को तय करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. योगी सरकार शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में सर्व रिपोर्ट को मंजूरी दे सकती है. इसके बाद योगी सरकार रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में पेश कर चुनाव कराने की इजाजत मांग सकती है और सर्वे के आधार पर ही नई आरक्षण सूची जारी की जाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल-मई महीने में निकाय चुनाव की कराए सकते हैं.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी
यूपी की 760 नगर निकायों में नगर निगम के मेयर, नगर पालिका-नगर पंचायत के अध्यक्ष और पार्षद सीटों के लिए पिछले साल दिसंबर में ही चुनाव कराए जाने की प्लानिंग थी. राज्य सरकार ने निकाय चुनाव के लिए सीटों का आरक्षण भी जारी कर दिया था लेकिन आरक्षण को लेकर मामला हाईकोर्ट चला गया. हाईकोर्ट ने बगैर ओबीसी आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया तो यूपी सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने रिटायर्ड जज राम औतार सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय ओबीसी आयोग का गठन किया था जिसने अपनी सर्वे रिपोर्ट अब सरकार को सौंप दी है.
ओबीसी आयोग के सर्वे की रिपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद नगर विकास विभाग की ओर से इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 मार्च तक का समय दिया था लेकिन आयोग ने उससे पहले ही योगी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. यूपी सरकार आयोग की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण और निकाय चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगेगी.
नए तरीके से होगा निकाय आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद यूपी में निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में योगी सरकार नए तरीके से सीटों के आरक्षण का काम शुरू करेगी जिसमें ओबीसी के लिए 27 फीसदी और 22 फीसदी सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित की जाएंगी. इसके अलावा निकाय चुनाव में महिलाओं के लिए भी 35 फीसदी आरक्षण का नियम है. हर वर्ग में महिलाओं के लिए 35 फीसदी सीटें आरक्षित करनी होंगी.
मार्च के आखिर तक निकाय चुनाव के लिए सीटों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी कर इसमें आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे और इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा. माना जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो अप्रैल-मई महीने तक नगर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. योगी सरकार कई बार अप्रैल-मई में निकाय चुनाव कराए जाने के संकेत दे चुकी है. इसलिए माना जा रहा है कि ओबीसी आयोग की सर्वे रिपोर्ट आने के बाद चुनाव प्रक्रिया में तेजी आएगी.
राज्य निर्वाचन आयोग इलेक्शन मोड में
वहीं, यूपी में नगर निकाय चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है. आयोग ने भी अप्रैल-मई में निकाय चुनाव कराने को लेकर तैयारी तेज कर दी है. यूपी राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण का विस्तृत कार्यक्रम तय कर दिया है.10 मार्च से पुनरीक्षण की कार्यवाही शुरू होगी और एक अप्रैल को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा. एक जनवरी 2023 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवा मतदाता सूची में नाम शामिल करा सकते हैं.
योगी सरकार पहले से ही अप्रैल-मई में चुनाव कराने के संकेत देती रही है और अब राज्य निर्वाचन आयोग ने भी मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्यक्रम जारी कर दिया है. 762 निकायों में चुनाव के लिए मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशन 10 मार्च तक किया जाना है और उसके बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण शुरू हो जाएगा. मतदाता सूची में नाम जोड़े जाएंगे और फिर फाइनल मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी. इससे साफ जाहिर होता है कि अप्रैल-मई में निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं, जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है.