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23 साल पहले मुंबई में यूपी के हेमंत जैन ने खरीदी थी दाऊद की दुकान, अब जाकर हुई रजिस्ट्री, मालिकाना हक का इंतजार

फिरोजाबाद के रहने वाले हेमंत जैन ने साल 2001 में मुंबई में दाऊद इब्राहिम की दुकान आईटी डिपार्टमेंट की ओर से कराई गई नीलामी में खरीदी थी, जिसकी रजिस्ट्री 23 साल बाद अब जाकर हो पाई है. हालांकि हेमंत जैन अभी भी मालिकाना हक के लिए सरकारी विभागों के चक्कर काट रहे हैं.

दाऊद इब्राहिम की दुकान फिरोजाबाद के रहने वाले हेमंत जैन ने खरीदी थी. दाऊद इब्राहिम की दुकान फिरोजाबाद के रहने वाले हेमंत जैन ने खरीदी थी.
सुधीर शर्मा
  • फिरोजाबाद,
  • 31 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

यूपी के फिरोजाबाद के रहने वाले 70 वर्षीय हेमंत जैन ने साल 2001 में दाऊद इब्राहिम की प्रॉपर्टी को नीलामी के दौरान खरीदा था. उसकी रजिस्ट्री 23 साल बाद जाकर 19 दिसंबर को हो पाई है, लेकिन उन्हें अबतक उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक नहीं मिला है. हेमंत ने पुलिस और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दिलाने की गुहार लगाई है. 

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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मुंबई के नागपाड़ा थाने के जयराज भाई स्ट्रीट इलाके में  दाऊद की 23 संपत्तियों को जब्त किया था, जिसमें चार फीट की गली में 144 वर्ग फीट की दुकान भी शामिल थी. इन संपत्तियों की नीलामी के लिए साल 2001 में समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था. इसके बाद फिरोजबाद के रहने वाले हेमंत जैन ने 20 सितंबर, 2001 को 144 वर्ग फीट इस दुकान को आयकर विभाग से दो लाख रुपये में खरीद लिया था.  

उन्होंने इसके लिए 20 सितंबर, 2001 को एक लाख और एक लाख रुपये 28 सितंबर, 2001 को जमा भी कर दिए, लेकिन यह संपत्ति खरीदने के बाद भी उन्हें दुकान पर कब्जा नहीं मिला. शुरुआती दौर में आयकर विभाग के अधिकारियों से कब्जा लेने की गुहार लगाई, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. हेमंत के अनुसार, उन्होंने कई दर्जन पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे, जिसका जबाब भी उन्हें समय-समय पर मिलता रहा, लेकिन इस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नही हो पाई. 

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आखिर क्यों नहीं हो पा रही थी दुकान की रजिस्ट्री? 

हेमंत जैन ने बताया कि संपत्ति खरीदने के बाद उनकी रजिस्ट्री ही नहीं हो पा रही थी, जिसका मुख्य कारण आयकर विभाग के पास से मूल पत्रावली का गायब हो जाना था. आईटी विभाग ने उसे काफी खोजा और उसके बाद हेमंत जैन ने प्रधानमंत्री कार्यालय तथा अन्य उच्च अधिकारियों को कई दर्जन पत्र लिखे और मुंबई की ही न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया.  

23 साल बाद हुई उस दुकान की रजिस्ट्री 

उनका तर्क था कि जब हमने संपत्ति नीलामी में खरीद ली है तो उसकी रजिस्ट्री भी मेरे नाम की होनी चाहिए. न्यायालय के निर्देश पर उन्होंने समय पर नीलामी के रुपये जमा करने के बाद दिसंबर, 2024 में 23,100 रुपये रजिस्ट्रार को और 1,26,680 रुपये दंड सहित स्टांप ड्यूटी के जमा किए, जिसके बाद 19 दिसंबर, 2024 को उनके नाम पर रजिस्ट्री हो गई.  

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दाऊद की प्रॉपर्टी खरीदने वाले हेमंत जैन ने क्या बताया?  

हेमंत जैन का कहना है कि अभी उनकी मुसीबत कम नहीं हुई हैं. इस दुकान में अन्य लोगों का सालों पुराना कब्जा है, जिसे हटवाने के लिए वो लगातार पुलिस और प्रशासन को पत्र लिख रहे हैं. कब्जा करने वाले भी दाऊद के गुर्गे ही हैं, जिसमें वो कोई मशीन लगाकर कारोबार कर रहे हैं. 

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हेमंत ने मुंबई में क्यों खरीदी थी दाऊद की प्रॉपर्टी? 

जैन का कहना है कि इस संपत्ति को खरीदने का मुख्य उद्देश्य दाऊद इब्राहिम के वर्चस्व को खत्म करना था. हालांकि हेमंत का मुंबई में कोई कारोबार नहीं है. उन्होंने तो एक अखबार में पढ़ा था कि दाऊद इब्राहिम की संपत्ति बिकाऊ है, जिसे कोई खरीदार नहीं मिल रहा है, जिसके बाद वो फिरोजाबाद से मुंबई गए और वहां इनकम टैक्स विभाग से संपर्क किया, जहां इनकम टैक्स विभाग ने उन्हें नीलामी में शामिल होने की अनुमति दी. अब हेमंत जैन पुलिस और आयकर विभाग से अपनी इस 144 फीट की दुकान पर कब्जा दिलाने की गुहार लगा रहे हैं.

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