
बीते 24 घंटे से उत्तर प्रदेश पुलिस चर्चा में है. चर्चा उत्तर प्रदेश पुलिस में आउटसोर्सिंग के जरिए होने वाली भर्ती को लेकर जारी हुए लेटर की वजह से है. हालांकि, डीजीपी की तरफ से साफ कहा गया कि यह पत्र गलती से जारी हो गया है जिसे निरस्त कर दिया गया है. लेकिन इस लेटर के जारी होने के बाद हंगामा मचा हुआ है. समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दल केंद्र की तर्ज पर उत्तर प्रदेश पुलिस में भी अग्निवीर योजना लागू होने की दुहाई दे रहे हैं, वहीं पुलिस मुख्यालय में इस पत्र के बाद मचे हंगामे को लेकर बैठकों का दौर भी जारी है.
उत्तर प्रदेश पुलिस में बीते साढे तीन सालों से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए की जा रही है. नवंबर 2019 को जारी हुए शासनादेश के बाद से यूपी पुलिस के दफ्तरों, अफसरों के घर पर काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिसमें कुक, ओपी यानि दफ्तर चपरासी, धोबी, बिजली मिस्त्री, माली, मोची, सफाईकर्मी आदि शामिल हैं. इन सभी चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए की जा रही है.
इसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग भर्ती को लेकर पत्र जारी होना था लेकिन गलती से यह पत्र मिनिस्ट्रियल स्टाफ में आउटसोर्सिंग से भर्ती को लेकर जारी हो गया जिसके बाद हंगामा मच गया. बुधवार शाम डीआईजी स्थापना के दस्तखत से उत्तर प्रदेश के सभी आईजी रेंज, एडीजी जोन और पुलिस विंग के सभी आईजी और एडीजी को सहायक उप निरीक्षक गोपनीय, लेखा, आंकिक विंग में आउटसोर्सिंग से भर्ती के लिए एक हफ्ते मे सुझाव मांगे गए थे. लेकिन पत्र वायरल होने के बाद डीजीपी प्रशांत कुमार की तरफ से इस पत्र को गलत बताते हुए कहा गया कि पुलिस विभाग में मिनिस्ट्रियल स्टाफ के लिए आउटसोर्सिंग से भर्ती का कोई प्रस्ताव पुलिस या शासन स्तर पर विचार आदि नहीं है पत्र गलत जारी हुआ जिसे निरस्त कर दिया गया है.
अखिलेश यादव का आरोप
लेकिन इसके बाद भी हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि केंद्र की तरह ही उत्तर प्रदेश पुलिस में भी अग्निवीर योजना लाने की यह तैयारी है.
बकौल अखिलेश- एक के बाद एक कार्यवाहक डीजीपी के बाद अब कुछ ‘पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ पर विचार किया जा रहा है. ठेके पर पुलिस होगी तो, न ही उसकी कोई जवाबदेही होगी, न ही गोपनीय और संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा. भाजपा सरकार जवाब दे कि जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो बाक़ायदा सीधी स्थायी नियुक्ति से सरकार भाग क्यों रही है?
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि पुलिस सेवा में भर्ती के इच्छुक युवाओं की ये आशंका है कि इसके पीछे आउटसोर्सिंग का माध्यम बनने वाली कंपनियों से ‘काम के बदले पैसा’ लेने की योजना हो सकती है क्योंकि सरकारी विभाग से तो इस तरह पिछले दरवाज़े से ‘पैसा वसूली’ संभव नहीं है. पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक से आक्रोशित युवाओं में इस तरह की ‘पुलिस सेवा की आउटसोर्सिंग’ की ख़बर से और भी उबाल आ गया है. आउटसोर्सिंग का ये विचार तत्काल त्यागा जाए और यूपी के युवाओं को नियमित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीधी नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से नौकरी दी जाए. भाजपा कहीं किसी दिन ‘सरकार’ ही आउटसोर्स न कर दे
यूपी पुलिस ने गलती से जारी हुआ पत्र बताया
असल में, उत्तर प्रदेश पुलिस के सहायक उप निरीक्षक (लिपिक) सहायक उप निरीक्षक (लेखा) के पदों पर पुलिस के विभिन्न कार्यालय में कर्मचारियों की चरित्र पंजिका रखना, वेतन, पीएफ, यात्रा भत्ता आदि का लेखा जोखा रखने के लिए ASI पद पर सीधी भर्ती होती रही है. लेकिन पुलिस विभाग में बढ़ती कार्मिकों की संख्या, बढ़ता कामकाज के चलते लिपिकीय संपर्क में स्वीकृत पदों के अलावा विभाग की जरूरत को पूरा करने के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए ASI (लिपिक) ASI (लेखा) और ASI (गोपनीय) के पदों पर भर्ती करने को लेकर वायरल पत्र में कहा गया है.
हालांकि, उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से इस पत्र को निरस्त कर दिया गया और गलती से जारी हुआ पत्र बताया गया है. लेकिन वायरल पत्र की भाषा में पांच बार सहायक उप निरीक्षक शब्द का इस्तेमाल है. पत्र में साफ तौर पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तर्ज पर ASI की भर्ती और बढ़ते कामकाज को देखते हुए स्वीकृत पदों के अलावा मैनपावर की जरूरत को पूरा करने के लिए आउटसोर्सिंग की बात कही गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि इतने स्पष्ट आदेश और मंशा के साथ कोई पत्र गलती से कैसे जारी हो सकता है. फिलहाल, इस पत्र को लेकर डीजीपी मुख्यालय में मीटिंग का दौर जारी है. जिम्मेदार अफसर कर रहे हैं गलती से पत्र जारी हो गया जिसे कैंसिल कर दिया गया है.