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UP: फतेहगढ़ जेल की महिला और पुरुष कैदियों ने बनाए भगवान राम के पटके, गमछे और दुपट्टे

UP की फतेहगढ़ जेल के कैदी ओडीओपी योजना के तहत ब्लॉक प्रिंटिंग कला की ट्रेनिंग ले रहे हैं. वह ट्रेनिंग के जरिए रामनामी, राधे-राधे, ओम नम: शिवाय नाम के प्रिंटिंग पटका, दुपट्टे और गमछे तैयार कर रहे हैं, जिसे अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और चित्रकूट समेत प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों पर बिक्री के लिए सप्लाई किया जाएगा.

फतेहगढ़ जेल में कैदियों को दिया जा रहा सुधरने का मौका फतेहगढ़ जेल में कैदियों को दिया जा रहा सुधरने का मौका
समर्थ श्रीवास्तव
  • फतेहगढ़,
  • 18 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को न सिर्फ रोजगार से जोड़ रही है, बल्कि उनमें आस्था के प्रति सम्मान का भाव लाने की भी कोशिश कर रही है. जो कैदी अपने पास्ट को भुलाकर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनना चाहते हैं, सरकार उन्हें हर सुविधा उपलब्ध करा रही है. इसी कड़ी में फतेहगढ़ जेल की महिला और पुरुष कैदी ओडीओपी (One District One Product) योजना के तहत ब्लॉक प्रिंटिंग कला की ट्रेनिंग ले रहे हैं. वह ट्रेनिंग के जरिए रामनामी, राधे-राधे, ओम नम: शिवाय नाम के प्रिंटिंग पटका, दुपट्टे और गमछे तैयार कर रहे हैं, जिसे अयोध्या, वाराणसी, मथुरा और चित्रकूट समेत प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों पर बिक्री के लिए सप्लाई किया जाएगा. 

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कैदियों को मिलेंगे पैसे और नौकरी

जेल प्रशासन कैदियों को पटका, दुपट्टा और गमछा बनाने का निर्धारित पारिश्रमिक देने के साथ इससे होने वाली आय को 10 प्रतिशत सरकारी खाते में जमा करने के बाद कैदियों में बांट देगा. इतना ही नहीं इन कैदियों को रोजगार मेले के जरिए रोजगार भी दिलाया जाएगा.

प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर होगी जेल में बने सामानों की बिक्री

बता दें कि प्रदेश में बेरोजगार दर वर्ष 2016 में 18 प्रतिशत थी, जो घटकर अप्रैल 2022 में 2.7 प्रतिशत ही रह गई है. सीएम योगी प्रदेश के हर वर्ग को रोजगार व स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाओं को भी चला रहे हैं. उनकी इन्हीं योजनाओं का लाभ उठाकर फतेहगढ़ जेल के महिला और पुरुष कैदी आत्मनिर्भर बनने का गुर सीख रहे हैं. डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि ओडीओपी योजना के तहत फतेहगढ़ जेल के महिला और पुरुष कैदियों को ब्लॉक प्रिंटिंग का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है, जिसमें वह रामनामी, राधे-राधे, ओम नम: शिवाय की छाप के छपे पटके, दुपट्टे और गमछे तैयार कर रहे हैं, जिसे अयोध्या, मथुरा, वाराणसी और चित्रकूट समेत प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों पर बिक्री के लिए भेजा जाएगा. इसके साथ ही फर्रूखाबाद में गंगा के तट पर लगने वाले रामनगरिया मेले में भी इनकी बिक्री की जाएगी. वहीं इस काम के लिए कैदियों को 40 रुपये प्रतिदिन पारिश्रमिक देने के साथ बाजार में इनकी बिक्री से होने वाली आय के लाभ के 10 प्रतिशत हिस्से को सरकारी खाते में जमा करने के बाद शेष लाभ को आपस में बांट दिया जाएगा.

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कैदियों को दिया जाएगा सर्टिफिकेट

डीजी जेल ने बताया कि फतेहगढ़ की 12 महिला कैदियों को ITI की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है, जबकि गौतम बुद्ध डेवलपमेंट सोसायटी संस्थान की तरफ से 35 पुरुष कैदियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में फतेहगढ़ में 39 महिला कैदी हैं जिसमें से 12 ही महिला कैदी ट्रेनिंग करने के लायक हैं. बाकी महिला कैदी काफी बुजुर्ग होने की वजह से वह ट्रेनिंग के लिए एलिजिबल नहीं हैं. इसी तरह 1050 पुरुष कैदी हैं जिनमें से पहले चरण में 35 कैदियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. पहले चरण के कैदियों की ट्रेनिंग पूरी होते ही चरणबद्ध तरीके से अन्य कैदियों को ट्रेनिंग दी जाएगी. कैदियों द्वारा ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा. वहीं आईटीआई की ओर से रोजगार मेले के जरिए कैदियों को रोजगार भी दिलाया जाएगा. इतना ही नहीं स्वरोजगार के लिए कैदियों को प्रमाण पत्र के आधार पर बैंक से रोजगार दिलाने के साथ सरकार की योजना का लाभ दिलाया जाएगा.
 

 

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