
मुस्तफा उर्फ कग्गा को भले यूपी STF ने 13 साल पहले मार गिराया हो, लेकिन गैंग की कमान मुकीम काला के पास गई हो या फिर शामली में मारे गए 1 लाख के इनामी अरशद के पास, यह पूरा ही गैंग खाकी पर हमले से नहीं चूकता है. मुस्तफा उर्फ कग्गा से लेकर अरशद तक ने खाकी पर हमला किया है और पुलिसवालों की जान ली है. ऐसे में STF ने कग्गा गैंग के बाकी बचे 20 सदस्यों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है, जिसने बीते दिनों उनके चाहते 'दादू' की जान ली थी. आइए जानते हैं कौन थे एसटीएफ के 'दादू' और क्या है कग्गा गैंग के काम करने का तरीका.
आपको बता दें कि बीते सोमवार की रात को शामली में पुलिस और बदमाशों के बीच एक बड़ा एनकाउंटर हुआ था. इसमें 4 बदमाश मारे गए थे और एक इंस्पेक्टर सुनील कुमार गोली लगने से घायल हो गए थे. इलाज के दौरान बीते दिन उनकी मौत हो गई. आज मेरठ के पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार हुआ. ये वही सुनील कुमार थे, जिन्हें यूपी एसटीएफ टीम के उनके साथी 'दादू' कह कर बुलाते थे.
कहा जाता है कि यूपी पुलिस के जिस भी अधिकारी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर काम किया और वह एक बार एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार के संपर्क में जरूर आया और फिर मिलनसार स्वभाव के सुनील कुमार उसके लिए 'दादू' हो गए. लेकिन अब वही 'दादू' इस दुनिया में नहीं हैं.
एसटीएफ की मेरठ यूनिट से लेकर लखनऊ मुख्यालय में एसटीएफ के अधिकारी अपने 'दादू' के जाने से गमगीन हैं. सिपाही से इंस्पेक्टर तक का सफर सिर्फ अपनी बहादुरी और लगन से तय करने वाले सुनील कुमार का मेरठ में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. एसटीएफ की मेरठ यूनिट में तैनात रहते हुए भी सुनील कुमार 15/20 दिन तक घर नहीं जाते थे.
मेरठ यूनिट के प्रभारी बृजेश कुमार सिंह अपने साथी सुनील कुमार को याद करते हुए भर्राई आवाज में कहते हैं- मुझे नहीं याद कि कभी इस शख्स ने छुट्टी ली हो. कभी कोई जरूरी काम आया तो कुछ घंटे की छुट्टी लेकर गया, काम किया और फिर हाजिर. बढ़ती उम्र के बावजूद अपराधी की सूचना मिलते ही नौजवान जैसी फुर्ती आ जाती थी.' पश्चिम उत्तर प्रदेश के माफियाओं और अपराधियों पर नेटवर्क और मिलनसार स्वभाव के चलते पुलिस के लोग सुनील कुमार को प्यार से 'दादू' ही कहते थे. यही वजह है कि आज एसटीएफ के 'दादू' के जाने का गम मेरठ यूनिट से लेकर लखनऊ में बैठे मुख्यालय के अफसरो तक में है.
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लेकिन सुनील कुमार पहले पुलिस वाले नहीं है जिसको मुस्तफा कग्गा गैंग के लोगों ने निशाना बनाया हो. 2011 में यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया मुस्तफा उर्फ कग्गा खाकी पर हमले से कभी नहीं चूकता था. पुलिस जब भी सामने आई उसने सीधे फायर झोंक दिया और यही ट्रेंड मुकीम काला और अरशद ने तक जारी रखा.
मुस्तफा उर्फ कग्गा के एनकाउंटर के बाद गैंग की कमान मुकीम काला के पास गई, तो इसे मुकीम काला गैंग कहा जाने लगा. 2 जनवरी 2018 को शामली के कैराना इलाके में पुलिस को सूचना मिली कि मुकीम का शार्प शूटर साबिर जनधेड़ी इलाके में आने वाला है. इंस्पेक्टर कैराना भगवत सिंह और सिपाही अंकित तोमर ने साबिर को घेरा तो उसने फायरिंग कर दी, जिसमें कांस्टेबल अंकित तोमर शहीद हो गए और इंस्पेक्टर भगवत सिंह को तीन गोली लगी थी.
5 जून 2013को जब इस गैंग ने सहारनपुर में दिनदहाड़े डकैती को अंजाम दिया तो बदमाशों के पीछे लगी पुलिस टीम के सिपाही राहुल ढाका ने बदमाशों का पीछा किया. आगे रेलवे क्रॉसिंग बंद थी तो गैंग के साबिर ने सिपाही की कार्बाइन छीन कर कांस्टेबल राहुल ढाका को मार डाला था.
मुकीम काला जब गैंग का सरगना हुआ और शामली पुलिस लगातार उसके ठिकानों पर दबिश दे रही थी तो बेखौफ मुकीम ने शामली के एसओजी प्रभारी के घर पहुंच कर इंस्पेक्टर के पिता को धमका दिया था. हालांकि, मुकीम काला को बाद में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया, फिर चित्रकूट जेल में हुए गैंगवॉर में मुकीम काला मारा गया.
वर्तमान में मुकीम काला और उसके भाई वसीम मारे जा चुके हैं. साबिर जनधेड़ी का एनकाउंटर हो चुका है. वाजिद काला हरियाणा में गैंगवॉर में मारा गया और 4 महीने पहले जेल से छूटा अरशद भी STF का शिकार बन चुका है. अब गैंग के दो सदस्य मेहताब और सादर ही सक्रिय और कुख्यात अपराधी हैं. बाकी अंडरग्राउंड हैं. फिलहाल, दोनों हरियाणा और राजस्थान की जेलों में बंद है.