
उन्नाव के मौरावां थाना क्षेत्र के एक गांव में 17 अप्रैल को हुए हमले में गैंगरेप पीड़िता बच्ची का लगभग 5 महीने का शिशु बुरी तरह से झुलस गया. किशोरी की मां का आरोप है कि रेप के आरोपियों ने अपनी जान-पहचान के लोगों के साथ मिलकर हमला किया था. कुल 7 लोगों ने पहले घर में घुसकर किशोरी और मां से मारपीट की, इसके बाद घर की छाजन पर लाइटर से आग लगा दी. फूस की छप्पर वाला एक कमरे का घर तुरंत आग की चपेट में आ गया.
आसपास रहने वालों ने फायर डिपार्टमेंट को फोन किया, जिसके बाद आग पर काबू पाया जा सका, हालांकि घटना में शिशु लगभग 50 फीसदी तक जल गया. फिलहाल उन्नाव जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज चल रहा है. इस बारे में अस्पताल प्रशासन से बात नहीं हो सकी है. वहीं मामले पर सर्कल ऑफिसर संतोष कुमार सिंह ने कहा कि हां, आगजनी और मारपीट तो हुई है, लेकिन मामला पारिवारिक रंजिश का भी हो सकता है, इसपर जांच चल रही है.
रेप के आरोपियों के जानलेवा हमला करने की बात पर सीओ कहते हैं कि एक आरोपी जेल में है, एक कोलकाता में रह रहा है. एक आरोपी छूटा हुआ है और गांव में ही है. उसे परिवार समेत पकड़कर पूछताछ शुरू हो चुकी है. बच्चे को अच्छे से अच्छा इलाज दिया जा रहा है. इधर हफ्तेभर पहले ही पीड़िता के पिता पर भी जानलेवा हमला हुआ. गंभीर रूप से घायल पिता का इलाज भी उसी जिला अस्पताल में चल रहा है.
इधर पीड़िता के वकील संजीव त्रिवेदी का कहना है कि पुलिस ने जो धाराएं लगाईं, वे मामले की संजीदगी को काफी कम कर रही हैं. फिलहाल धारा 147, 325 और 436 लगाई गई हैं, यानी 5 या ज्यादा लोगों ने हमला करके किसी की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया और मारपीट की. लेकिन हमला क्यों हुआ, इसे देखते हुए धाराएं बढ़नी चाहिए थीं. ये सिर्फ मारपीट नहीं थी, बल्कि हत्या के लिहाज से हुआ अटैक था. यहां तक कि पीड़िता से मारपीट करते हुए उसके कपड़ों को भी नुकसान पहुंचाया गया. इसपर धारा 354 बी भी लगनी चाहिए थी. आरोप है कि जांच को प्रभावित करने के लिए कई सबूतों जैसे मोबाइल को भी आग में फेंक दिया गया.
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साल 2021 के 31 दिसंबर और साल 2022 की 13 फरवरी. दो बार बच्ची को अगवा करके गैंगरेप हुआ. पहली बार कोई FIR नहीं हुई.
पीड़िता के वकील संजीव त्रिवेदी कहते हैं- 13 फरवरी 2022 की घटना पर मामला दर्ज हुआ. जांच में पता लगा कि लड़की 6 हफ्ते, 2 दिन की प्रेग्नेंट है. पुलिस ने ये बात उसकी फैमिली को नहीं बताई. अगर बता देती तो मेडिकल टर्मिनेशन (अबॉर्शन) हो जाता. और कुछ नहीं तो बच्ची को प्रेग्नेंसी के समय लगने वाले टीके ही लग जाते. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
पुलिस ने दिसंबर में हुए रेप पर FIR लिखी और कह दिया कि इस बार कोई रेप नहीं हुआ है. लड़की छोटी है. उसके घरवाले अपढ़ हैं. उन्हें जो कह दिया गया, उसपर अंगूठा लगा दिया. काफी बाद में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के जरिए केस मुझ तक आया. उस समय तक पीड़िता के पेट में दर्द और सूजन बढ़ चुकी थी. फिर से अल्ट्रासाउंड हुआ, तब जाकर हम लोगों को पता लगा कि वो प्रेग्नेंट है. लगभग 7 महीने हो चुके थे. कोई रास्ता न देख हमने कोर्ट में बड़े अस्पताल में डिलीवरी की अर्जी लगाई.
इधर तीन आरोपियों में से जिन दो को जेल हुई थी, उनमें से एक जमानत पर बाहर आ गया. पुलिस का कहना था कि आरोपी ने रेप नहीं किया, सिर्फ लड़की को बहलाया था. एक आरोपी माइनर था. बच्ची का कहना था कि वो इस लड़के को नहीं जानती, लिहाजा उसके खिलाफ केस खत्म हो गया. फिलहाल एक ही आरोपी जेल में है.
वकील कहते हैं- लड़की शुरुआत से लेकर अब तक के बयान में कहती रही कि उसका रेप 5 लोगों ने 2 बार किया और वो सबको जानती है, लेकिन पुलिस ने 3 लोगों की बात क्यों लिखी, और एक टीन एजर लड़के को क्यों इससे जोड़ा, इसपर कोई जवाब नहीं मिल सका. फोरेंसिक रिपोर्ट में कपड़ों पर दाग मिले थे. फिलहाल हम एक और FIR की तैयारी में हैं.