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621 KM साइकिल चलाकर धीरज जा रहे Ayodhya, पीलीभीत पहुंचने पर हुआ स्वागत

उत्तराखंड के थल कस्बे के रहने वाले 24 साल के धीरज आज यूपी के पीलीभीत पहुंचे. वहां उन्हें जलपान कराया गया और स्वागत किया गया. धीरज ने बताया कि मैंने शपथ ली थी कि रामलला का मंदिर जब बनेगा, तो घर से 621 किलोमीटर दूर अयोध्या साइकिल चलाकर पहुंचूंगा. वह इससे पहले उत्तराखंड में साफ सफाई को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए साइकिल यात्रा कर चुके हैं.

धीरज इससे पहले भी हिमालय की साफ सफाई को लेकर कई बार साइकिल से लंबी-लंबी यात्रा कर चुके हैं. धीरज इससे पहले भी हिमालय की साफ सफाई को लेकर कई बार साइकिल से लंबी-लंबी यात्रा कर चुके हैं.
सौरभ पांडे
  • पीलीभीत ,
  • 18 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

उत्तराखंड के धीरज जोशी 621 किलोमीटर लंबा सफर साइकिल से तय कर अयोध्या पहुंच रहे हैं. उत्तराखंड से उत्तर प्रदेस आते समय पीलीभीत में उनका जोरदार स्वागत हुआ. अयोध्या यात्रा के दौरान धीरज ने बताया कि मैंने शपथ ली थी कि जिस दिन अयोध्या मंदिर बनेगा, उसी दिन में अपने घर से 621 किलोमीटर की यात्रा तय करके अयोध्या पहुंचूंगा. 

धीरज ने कहा कि मैं इससे पहले भी हिमालय की साफ सफाई को लेकर कई बार लंबी-लंबी यात्रा साइकिल से कर चुका हूं. 24 साल के धीरज जोशी उत्तराखंड के थल कस्बे के रहने वाले हैं. साइकिल पर जय श्रीराम और अयोध्या धाम लिखा होने के कारण पीलीभीत शहर के लोगों ने उनको रोक लिया.

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जब उनसे पूछा कि वह कहां से आ रहे हैं और कहां जा रहे हैं, तब धीरज ने बताया कि हम साइकिल से अयोध्या जा रहे हैं. इसके बाद पीलीभीत में उनका जोरदार स्वागत हुआ और उनको जलपान कराया गया. बातचीत के दौरान अयोध्या यात्रा के साथ-साथ उन्होंने अपने एक दूसरे मिशन के बारे में भी बताया.

पर्यावरण प्रदूषण को लेकर लोगों को कर रहे जागरुक 

धीरज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में लगातार बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण दिन-ब-दिन हिमालय ग्लेशियर गल कर टूटता जा रहा है. यह भविष्य के लिए नुकसानदायक है. हिमालय बचाओ अभियान के तहत लोगों को इस साइकिल यात्रा के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण को रोककर भविष्य के आने वाले खतरों से सावधान करना चाहता हूं. धीरज जोशी ने बताया वह पिछले तीन सालों से साइकिल यात्रा को कर रहे हैं. 

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साइकिल से चार धाम की यात्रा कर चुके हैं धीरज 

इससे पहले उन्होंने लद्दाख, उत्तराखंड के चारों धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री की दो बार यात्रा की है. उसके बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक इसी साइकिल पर उन्होंने यात्रा कर जनपद-जनपद तक पर्यावरण प्रदूषण से जो पहाड़ पर भविष्य की आपदाएं आने वाली हैं, उनको लेकर लोगों के बीच जागरूक कर रहे हैं. 

धीरज का मानना है कि आने वाले दिनों में पर्यावरण प्रदूषण अगर पहाड़ों के बीच बढ़ता गया, तो यह निचले इलाकों के लिए खतरा बन सकता है. उसी के लिए वह इस यात्रा को कर रहे हैं.

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