
उत्तरकाशी सुरंग (Uttarkashi Tunnel) में फंसे सभी 41 मजदूर सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं. बाहर आते ही मजदूरों के चेहरे खिल उठे. उनके घरवालों ने भी राहत की सांस ली. 17 दिन से ये मजदूर सुरंग के अंदर जिंदगी की जंग लड़ रह थे. आखिरकार बीती शाम रेस्क्यू टीम उन्हें बाहर निकालने में कामयाबी रही. बाहर आने के बाद मजदूरों ने अपनी-अपनी आपबीती बयां की. उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर इतने दिन कैसे काटे.
सुरंग में फंसे झारखंड के मजदूर चमरा ओरांव ने बाहर आने के बाद न्यूज एजेंसी को बताया कि इन 17 दिनों में उन्होंने फोन पर लूडो खेलकर समय बिताया. क्योंकि, नेटवर्क नहीं होने के कारण हम किसी को कॉल नहीं कर सकते थे. सुरंग में आने वाले पहाड़ी पानी से स्नान किया. शुरुआत में मुरमुरे आदि खाकर भूख मिटाई. सुरंग के अंदर काफी स्पेस था. शौच के लिए एक स्थान निर्धारित कर रखा था.
ओरांव ने उस दिन की घटना को याद करते हुए कहा कि सब लोग 12 नवंबर की सुबह सुरंग के अंदर काम कर रहे थे. तभी जोरदार आवाज सुनी और एकाएक ढेर सारा मलबा गिर गया. मुझ जैसे कई मजदूर उसी में फंस गए. बाहर नहीं निकल पाए. जब पता चला कि हम लंबे समय के लिए फंस गए हैं तो बेचैन हो उठे. लेकिन हमने उम्मीद नहीं खोई. भगवान, सरकार और बचावकर्मियों का दिल से शुक्रिया है. रेस्क्यू टीम के लोग, अधिकारी पल-पल की जानकारी ले रहे थे और हमें भरोसा दिला रहे थे.
पीएम ने की मजदूरों से बात
वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी को फोन पर युवा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के सबा अहमद ने मजदूरों के बारे में जानकारी दी. सबा ने बताया कि हम लोग इतने दिनों तक सुरंग में फंसे रहे, लेकिन एक दिन भी ऐसा एहसास नहीं हुआ कि हमें कमजोरी हो रही है या कोई घबराहट हो रही है. सुरंग के अंदर 41 लोग थे और सब भाई की तरह रहते थे. किसी को कोई दिक्कत नहीं होने दी.
सुरंग के अंदर ऐसे काटे दिन
सबा अहमद ने कहा कि खाना आता था तो हम लोग मिलजुल के एक जगह बैठ के खाते थे. रात में खाना खाने के बाद सभी को बोलते थे कि चलो एक बार टहलते हैं. टनल का लेन ढाई किलोमीटर का था, उसमें हम लोग टहलते थे. इसके बाद मॉर्निंग के समय हम सभी वॉक और योगा करते थे.
वहीं, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले अखिलेश कुमार कहते हैं- सुरंग के अंदर पहले कुछ दिन दिक्कत हुई लेकिन जब सरकार और अधिकारियों ने हमसे संपर्क स्थापित कर लिया तो राहत महसूस हुई. पाइप के जरिए खाना, पानी आदि पहुंच रहा था. बाद में फोन से बात भी होने लगी थी. देशवासियों की दुआएं काम आ गईं.
क्या बोले अधिकारी?
रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर भारत सरकार के रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी महमूद अहमद ने कहा- हमें भरोसा था कि हम कामयाब होंगे. सेफ्टी प्रोटोकॉल के बारे में पता था. हम संयमित होकर आगे बढ़ रहे थे. समय लगेगा लेकिन ये निश्चित था कि हम मजदूरों को निकालने में सफल होंगे.
वहीं, NHIDCL के कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि जो मजदूर सुरंग में फंसे थे वो अंदर टाइम पास के लिए क्रिकेट आदि खेल रहे थे. उन्हें 15 दिन का राशन दिया गया था. उनको कहा गया था कि गाना वगैरह गाइए. उदास मत होइए. साथ ही गिरे हुए मलबे के पास ना बैठने की हिदायत दी गई थी. सरिए वगैरह काटकर हटा दिए गए थे. किसी को कोई चोट नहीं आई. सब सकुशल बाहर आ गए.
12 नवंबर से फंसे थे मजदूर
सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को सुरंग धंसने से ये मजदूर फंस गए थे. इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तेजी से ऑपरेशन चलाया जा रहा था. लेकिन बार-बार ऑपरेशन में रुकावट आ रही थी. सोमवार को भी अमेरिका से आई ऑगर मशीन खराब हो गई थी. इसके बाद रैट माइनिंग में एक्सपर्ट लोगों की मदद ली गई थी. इन रैट माइनर्स ने 36 घंटे से भी कम समय में 12 मीटर तक खुदाई कर दी थी. इनकी मदद से ही मजदूरों तक पहुंचा जा सका और उनका रेस्क्यू किया जा सका.