
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के मोतीपुर कला के छह लोग उत्तरकाशी टनल में फंस गए थे. अब ये लोग अपने घर पहुंच चुके हैं. 17वें दिन सुरंग से बाहर आने के बाद श्रावस्ती के 6 मजदूर अपने घर पहुंचे तो उनका दीप जलाकर आरती उतारकर स्वागत किया गया. वहीं दोबारा टनल में काम करने के लिए जाने के संबंध में सवाल पर अंकित ने कहा कि दोबारा नहीं जाना चाहूंगा. मौत आंखों के सामने देखी है मैंने.
श्रावस्ती के सिरसिया ब्लॉक के इंडो नेपाल बॉर्डर पर बसा मोतीपुर कला थारू बाहुल्य गांव है. यहां 70 फीसदी लोग मजदूरी करने बाहर जाते हैं. बीते 4 महीने पहले घर से उत्तराखंड मजदूरी करने 6 मजदूर गए थे. ये सभी लोग बीते 12 नवंबर को उत्तरकाशी में सुरंग के अंदर 41 मजदूरों के साथ फंस गए थे. सुरंग में फंसे रहे अंकित ने कहा कि टनल में काम करने के लिए दोबारा नहीं जाऊंगा. मैंने आंखों के सामने मौत देखी है.
श्रावस्ती के मोतीपुर कला के सभी 6 मजदूरों को आपदा विशेषज्ञ अरुण कुमार मिश्रा अपने साथ लेकर उनके घर छोड़ने पहुंचे. मोतीपुर कला में गांव के बाहर स्वागत के लिए लोग उत्साहित होकर डीजे की धुन पर झूम रहे थे. मजदूरों को जैसे ही गांव वालों ने देखा तो कंधे पर उठा लिया. सभी 6 मजदूरों के घरों के सामने रंगोली बनाई गई. अपनों के पहुंचते ही घर की महिलाओं ने दीपक जलाकर हाथ में थाल लेकर आरती उतारी. इस दौरान पूरा गांव रोशनी से जगमगा उठा.
अंकित ने कहा कि सुरंग में टाइम पास करने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं था, सिर्फ मोबाइल था, लेकिन वह चार्ज नहीं था. बचपन में हम लोग जो खेलते थे राजा रानी चोर सिपाही का गेम, पेन और पेपर में लिखकर टाइम पास करने के लिए वही खेलते थे. बाकी ढाई किलोमीटर का टनल था, उसमें हम लोग वॉक करते थे और योग भी करते थे. बहुत सारे दिमाग में ख्याल आते थे कि हम टनल में फंसे रहे तो हमारे परिवार का क्या होगा. ना निकल पाए तो.
अंकित ने कहा कि इससे पहले भी हम दो से तीन बार टनल में काम कर चुके हैं. हम लोग एक दूसरे को समझाते थे कि टेंशन ना लीजिए, बाहर निकल जाएंगे. मुरमुरा इकट्ठा करके 41 लोगों में बंटवारा करके खाते थे. पानी की कोई समस्या नहीं थी. हम लोगों ने सोचा था कि थोड़ा काम कर लें, जनवरी-फरवरी में घर चलेंगे.
अंकित ने कहा कि हादसे से ठीक पहले तीन लोग बाहर निकल गए थे और कुछ लोग ड्यूटी पर नहीं आए थे. वहीं टनल में काम करने के लिए दोबारा जाने के सवाल पर कहा कि भगवान करें कि ऐसा न हो मेरे साथ कभी.
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घर पहुंचते ही मां से लिपटकर रोने लगा मनजीत, बहनों ने मनाया भैया दूज का त्योहार
टनल में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मनजीत भी फंसे थे. मनजीत जब सुरंग से निकलने के बाद अपने घर पहुंचे तो उनकी बहनों ने टीका और आरती उतारकर भैया दूज मनाया. मनजीत की बहनों ने कहा कि उन्हें अपने भाई का इंतजार था. इसीलिए घर पर न दिवाली मनी, न भैया दूज मनाया गया था. आज मनजीत घर आ गए हैं तो हम लोग खुश हैं और भैया दूज का त्योहार मना रहे हैं.
मनजीत ने कहा कि मां और बहनों की दुआएं ही काम आई हैं कि हम आज सुरक्षित हैं. घर पहुंचते ही मनजीत मां से लिपटकर रोने लगा. भावुक मां भी बेटे को देख रोने लगी. मनजीत के घर मौजूद लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाए. इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मनजीत के घर के बाहर मौजूद थे. घर के बाहर डीजे बज रहा था, दिवाली जैसा माहौल था. (पंकज वर्मा के इनपुट के साथ)