
वाराणसी के भेलूपुर क्षेत्र के भदैनी इलाके में मंगलवार (5 नवंबर) की सुबह गुप्ता परिवार का पूरा कुनबा हत्याकांड में खत्म हो गया. पहले तो हत्यारे ने राजेंद्र गुप्ता के मकान में घुसकर उनकी पत्नी और तीन बच्चों को मौत के घाट उतार दिया. फिर जब राजेंद्र की तलाश शुरू हुई तो उनका शव घटनास्थल से करीब 15 किमी दूर उन्हीं के निर्माणाधीन मकान में बिस्तर पर पड़ा मिला. राजेंद्र को दो से तीन गोलियां मारी गई थीं. उनका शव खून से लथपथ पड़ा था.
पहले तो वाराणसी पुलिस ने समझा था कि राजेंद्र गुप्ता ने ही अपने परिवार के चारों सदस्यों को मार दिया और फिर मौके से फरार हो गया, लेकिन जब राजेंद्र की तलाश शुरू हुई तो कुछ ही घंटे बाद वह भी मृत स्थिति में पाए गए. ये पांचों हत्याएं को गोली मारकर की गई थीं. इस वारदात के बाद इलाके में सनसनी फैल गई. लेकिन 24 घंटे बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं.
शुरुआती तौर पर पुलिस घटना के पीछे की वजह पारिवारिक विवाद और पुरानी रंजिश मान रही है. क्योंकि, मृतक राजेंद्र गुप्ता ने वर्ष 1997 में अपने पिता के साथ एक सुरक्षाकर्मी और अन्य व्यक्ति की हत्या की थी. आरोप के मुताबिक, राजेंद्र ने अपने भाई कृष्णा और भाभी मंजू को भी सोते वक्त गोली मारी थी.
वहीं, हत्याकांड के समय घर में मौजूद राजेंद्र की एकमात्र बुजुर्ग मां के मुताबिक उनको इस पूरी वारदात की भनक नहीं लगी, जो एक हैरान कर देने वाली बात है. क्योंकि, जिस घर में दर्जन भर राउंड फायरिंग हो और किसी को उसकी आवाज सुनाई ना दे, ये थोड़ा मुश्किल लगता है. हालांकि, जिस घटना को पुलिस पहले हत्या और खुदकुशी मानकर जांच कर रही थी वो अब नए सिरे से पांच हत्याओं की पड़ताल में जुट गई है.
एक घर, चार मर्डर, और किसी को भनक तक नहीं लगी
बता दें कि मंगलवार की सुबह वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में स्थित राजेंद्र गुप्ता के मकान से उस समय चीख-पुकार की आवाज आने लगी जब वहां नौकरानी काम करने के लिए पहुंची. मकान के अलग-अलग कमरों में और बाथरूम में घर की मालकिन (राजेंद्र की पत्नी) सहित उनके तीनों बच्चों के शव खून से सने पाए गए. चारों को गोली मारी गई थी.
घटना के कई घंटे बीतने के बाद भी जब परिवार के मुखिया राजेंद्र गुप्ता का पता नहीं चला तो पुलिस यह मान बैठी कि गुस्सैल और आपराधिक प्रवृति के राजेंद्र गुप्ता ने ही पारिवारिक कलह से तंग आकर पहले अपने परिवार के सभी चार सदस्यों का खात्मा किया और फिर फरार हो गया. क्योंकि, राजेंद्र गुप्ता ने ही वर्ष 1997 में प्रॉपर्टी के लालच में अपने भाई कृष्णा और उसकी पत्नी मंजू की सोते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी थी. और इस हत्या के खिलाफ राजेंद्र के पिता लक्ष्मी नारायण ने ही भेलूपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था.
उस वक्त राजेंद्र गुप्ता ने अपने पिता को भी जान से मारने की धमकी दी थी और ऐसा ही कुछ हुआ. भाई की तेरहवीं के पहले ही पिता लक्ष्मी नारायण को गोली मार दी गई और उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस वारदात के बाद पुलिस ने राजेंद्र और उसके साथी अनिल को गिरफ्तार किया था, लेकिन ठीक से केस की पैरवी ना हो पाने की वजह से राजेंद्र जेल से रिहा हो गया था. बाहर आने के बाद उसने पूरी संपत्ति पर अकेले कब्जा कर लिया था.
इस हालत में मिली राजेंद्र की लाश
मंगलवार की घटना के बाद पुलिस राजेंद्र गुप्ता की लोकेशन ट्रेस करते हुए शहर के रोहनिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामपुर लठिया पहुंची, जहां राजेंद्र का निर्माणाधीन मकान है. लेकिन वहां राजेंद्र का शव लहूलुहान हालत में बिस्तर पर पड़ा मिला. पुलिस अपनी इस थ्योरी पर चलना चाह भी रही थी कि परिवार के चारों सदस्यों की हत्या करने के बाद राजेंद्र ने 15 किलोमीटर दूर आकर खुदकुशी कर ली. लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए ये नहीं हो सका.
क्योंकि, राजेंद्र का शव बिस्तर पर पड़ा था और बिस्तर पूरी तरह से मच्छरदानी से कवर था. वहीं, खूंटी पर राजेंद्र की कमीज टंगी थी. और तो और राजेंद्र के सीने और सिर के दाहिने कनपटी पर बुलेट इंजरी दिखाई पड़ रही थी. राजेंद्र को 2 से 3 गोलियां मारी गई थीं. मौके से किसी तरह के हथियार की बारामदगी भी नहीं हुई थी.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अपने परिवार के चारों सदस्यों को मौत की नींद सुलाने के बाद कैसे कोई 15 किलोमीटर दूर जाकर पूरे इत्मीनान के साथ कमीज उतारकर और मच्छरदानी लगाकर जब सोने जाता है तो खुद को एक नहीं बल्कि दो-तीन गोली मार लेता है? इसलिए पुलिस ने अब अपनी पुरानी थ्योरी से हटकर पांच लोगों के मर्डर मिस्ट्री की जांच शुरू कर दी है. क्योंकि, राजेंद्र के परिवार के सदस्यों की हत्या भी पिस्तौल से ही की गई थी और उनके शरीर में भी कई गोलियां उतारी गई थीं.
ऐसे में यह कहना कि हत्यारा कोई और है और पांचों को अंजाम देने वाला कोई प्रोफेशनल शूटर है तो हैरानी नहीं होगी. इस बीच जब राजेंद्र गुप्ता के परिजन और रिश्तेदारों से बात की गई तो एक और हैरानी की बात सामने आई. घटना के दौरान राजेंद्र की मां शारदा देवी घर में ही मौजूद थी लेकिन उन्हें अपनी बहू और दो पोते और एक पोती की हत्या की भनक नहीं नहीं लगी.