Advertisement

'लीगल त्रुटि कोई भी कर सकता है, मैंने कानून के मुताबिक आदेश दिया...', Gyanvapi पर फैसला देने वाले रिटायर्ड जज का बयान

Varanasi News: जिला जज के पद से रिटायर हुए डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि मैंने 31 जनवरी को अवकाश ग्रहण किया है. जब तक मैं न्यायिक सेवा में रहा, मैंने पूरी निष्ठा के साथ अपना कार्य किया. दोनों पक्षों को तसल्ली से सुनने के बाद कोई फैसला दिया.

Gyanvapi पर फैसला देने वाले रिटायर्ड जज Gyanvapi पर फैसला देने वाले रिटायर्ड जज
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी ,
  • 09 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

ज्ञानवापी परिसर के व्यासजी तहखाना में पूजा की अनुमति प्रदान करने वाले जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश रिटायर हो चुके हैं. हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाने वाले अजय कृष्ण विश्वेश बीते दिन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हुए सम्मान समारोह में शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं 31 जनवरी को अवकाश प्राप्त कर चुका हूं. जबतक न्यायिक सेवा में रहा तबतक पूर्ण निष्ठा के साथ अपना काम करता रहा. 

Advertisement

रिटायर्ड जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा- मेरे मन में एक इच्छा हमेशा रहती थी कि जो भी मैं जजमेंट लिखूं उसमें कोई कमी नहीं रहनी चाहिए. मैं कई बार अपने आदेश को पढकर करेक्ट करता था और प्रयास करता था कि जो भी जजमेंट हैं, वे न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से लिखे जाएं और उसमें कोई त्रुटि न रहें. मेरे द्वारा किए गए सभी आदेश इसी भावना से पारित हैं.

उन्होंने आगे कहा कि पत्रावली, साक्ष्य और दोनों पक्ष की दलील को ध्यान में रखकर फैसला करूं. न्याय को ध्यान में रखकर और जो मेरी बेस्ट एबिलिटी है उसके अनुसार मैं फैसला लिखूं, यही मेरी हमेशा से इच्छा रहती थी. इसी उद्देश्य को पूरा करते हुए सारे आदेश हुए हैं. 

जिला जज रहे अजय कृष्ण विश्वेश

फैसले पर मुस्लिम पक्ष के आक्रोश और विरोध पर कही ये बात 

Advertisement

वहीं, ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष के आक्रोश और विरोध के सवाल पर अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा- मैंने हमेशा देखा है कि फैसला जिसके भी पक्ष में होता था, वो प्रसन्न होता था और मुस्कुराता हुआ चला जाता था. लेकिन जिसके खिलाफ होता वो आक्रोश में रहता था. वे अपनी स्थिति को जानने का प्रयास नहीं करते थे. अधिकांश मैटर में यही देखा गया है. कई बार तो लोग सार्वजनिक रूप से विरोध भी शुरू कर देते हैं. लेकिन जो भी फैसले हम जैसे जजेज, न्यायिक अधिकारियों के द्वारा किए जाते हैं वे न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए साक्ष्यों के आधार पर दिए जाते हैं. 

कार्यकाल के अंतिम दिन व्यासजी के तहखाने पर दिए गए फैसले के बाद मुस्लिम समाज की तरफ से प्रश्नचिन्ह लगाने के सवाल पर रिटायर्ड जज विश्वेश ने बताया कि वे सभी काम ड्यू कोर्स में होते रहे थे. जब-जब एप्लिकेशन आती रही, उसको सुनकर आदेश देते रहे. दोनों पक्षों को सुनकर विधिनुसार आदेश पारित किया गया है. सभी फैसले न्याय की धारणा और अपने विवेकानुसार मैंने दिया है.  

लीगल त्रुटि कोई भी कर सकता है, लेकिन

उन्होंने आगे बताया कि लीगल त्रुटि कोई भी कर सकता है. इसलिए हमारे यहां अपिलेट सिस्टम बना हुआ है. त्रुटि जाने-अनजाने भी हो सकती है. लेकिन मैंने जो भी फैसला दिया है, वे अपनी बेस्ट ऑफ एबिलिटी पर किया है. ये अलग बात है अपिलेट कोर्ट में जाकर कुछ फैसले बहाल हो जाते हैं तो कुछ चेंज भी हो जाते हैं.   

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement