
वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में बीते दिनों बड़ा बवाल देखने को मिला था. छात्रों ने कॉलेज परिसर में बनी मस्जिद पर हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी, जिसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए थे. पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में भी लिया था. यह पूरा विवाद सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की एक चिट्ठी से हुआ था, जिसमें बोर्ड ने कॉलेज से इस मजार के बारे में जानकारी मांगी थी. हालांकि अब वक्फ बोर्ड ने अपना कॉलेज की संपत्ति पर अपना दावा छोड़ दिया है.
कॉलेज परिसर में बनी मस्जिद को लेकर वक्फ बोर्ड ने साल 2018 में चिट्ठी लिखी थी और इसके बारे में जानकारी मांगी थी. हालांकि 2021 में इसको लेकर निस्तारण भी किया जा चुका है. वक्फ ने कॉलेज की इस प्रॉपर्टी पर अपना दावा छोड़ दिया है. ये पूरा बवाल इसलिए हुआ क्योंकि 2018 का पत्र सामने आ गया.
यूपी कॉलेज के 115वें स्थापना दिवस पर बीते 25 नवंबर को 2018 में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का परिसर की जमीन के स्वामित्व का दावा का पत्र सामने आया था. पत्र में कहा गया कि ग्राम छोटी मसजिद नवाब टोक मजारात हुजरा भाजूबीर की संपत्ति कॉलेज के नियंत्रण में है. इसे सुन्नी बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत कराया जाए.
कॉलेज परिसर में बनी हर चीज पर ट्रस्ट का अधिकार
उदय प्रताप शिक्षा समिति के तत्कालीन सचिव यूएन सिन्हा ने इस पत्र का जवाब दिया था कि यूपी कॉलेज की स्थापना 1909 में हुई है. कॉलेज की जमीन इंडाउमेंट ट्रस्ट की है. चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के अंतर्गत आधार वर्ष के उपरांत ट्रस्ट की जमीन पर अन्य किसी का मालिकाना हक स्वयं समाप्त हो जाता है. इसलिए मस्जिद या मजार इनका अस्तित्व नहीं होगा.
पहले हुआ करती थी मजार, अब बन गई मस्जिद
जबकि उदय प्रताप कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया था कि यहां पर कुछ साल पहले मजार हुआ करती थी जो मस्जिद बन गई थी, लेकिन खसरा और खतौनी में मस्जिद का नाम नहीं है. दस्तावेज में कहीं नाम नहीं है और कॉलेज की अपनी प्रॉपर्टी ट्रस्ट की है. साल 2018 के मामले को पहले ही निरस्त किया जा चुका है पत्र के माध्यम से फिर भी विवाद है.
सुन्नी बोर्ड के चेयरमैन ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ के बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी के मुताबिक, अंजुमन इन्तेजामिया मसाजिद की ओर से बोर्ड को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें कहा गया था कि यूपी कॉलेज बनारस में स्थित मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज की जाए. इसकी जानकारी जब यूपी कॉलेज से पत्र भेजकर की गई तब पता चला कि वह मस्जिद कॉलेज परिसर में है और कॉलेज की प्रॉपर्टी है, उसको दर्ज नहीं किया जा सकता है. वहां पर कॉलेज की अपनी लैंड है जिसकी वजह से हमने मांगी जाने वाली जानकारी को खारिज कर दिया था और एक पत्र भी जारी किया था.
पुराना पत्र वायरल किया जा रहा है: चेयरमैन
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के मुताबिक, 2018 में मांगी गई जानकारी की क्वेश्चनिंग उसी समय खत्म कर दी गई थी अब इसका कोई मकसद या मतलब नहीं है. अचानक पुराना पत्र वायरल किया जा रहा है और बताया जा रहा है कि वह मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दर्ज करने के लिए कहा है, जबकि ऐसा नहीं है और अब जब यह विवाद हुआ था उसके बाद हमने नया पत्र भी जारी कर यह बता दिया कि इससे सुन्नी वक्फ बोर्ड का कोई नाता नहीं है और न ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा किया है.