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'कंबल खत्म हो गए, आएंगे तो दिलवाएंगे...', ठंड से बचने के लिए गुहार लगाता रहा दिव्यांग बुजुर्ग, अधिकारी मोबाइल में रहे व्यस्त, Video

कौशांबी में समाधान दिवस के दौरान नेत्रहीन बुजुर्ग लवकुश मौर्य ने ठंड से बचने के लिए तहसीलदार से कंबल की गुहार लगाई, लेकिन अधिकारी मोबाइल में व्यस्त रहे. वायरल वीडियो में बुजुर्ग मदद की अपील करते दिखे, पर अधिकारी ने टालमटोल कर दिया. सोशल मीडिया पर लापरवाही की आलोचना हो रही है.

वीडियो वायरल. वीडियो वायरल.
अखिलेश कुमार
  • कौशांबी ,
  • 04 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:54 PM IST

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले से एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां एक नेत्रहीन बुजुर्ग व्यक्ति ठंड से बचने के लिए तहसीलदार से कंबल की गुहार करता रहा. लेकिन अफसर मोबाइल पर व्यस्त रहे और उसकी मदद नहीं की. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें लोग अफसरों की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं.

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दरअसल, यह घटना सिराथू तहसील के समाधान दिवस के दौरान हुई, जहां लवकुश मौर्य नामक नेत्रहीन बुजुर्ग अपने साथी के साथ कंबल की उम्मीद लेकर पहुंचे थे. ठंड से बेहाल लवकुश मौर्य ने तहसीलदार अंनत राम जायसवाल से मदद की गुहार लगाई, लेकिन वे मोबाइल में व्यस्त रहे और टालमटोल करते हुए कहा कंबल खत्म हो गए, आएंगे तो दिलवाएंगे. 

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वायरल वीडियो में लवकुश मौर्य ने तहसीलदार से कहा, 'हम अंधे हैं, दोनों आंखें खराब हैं, सौ परसेंट अंधे हैं, हमारे कागज देख लीजिए, हमको कंबल चाहिए साहेब.' तहसीलदार ने जवाब दिया, 'तो अभी तक आपको कंबल नहीं मिला?' लवकुश ने कहा, 'अभी कहां साहेब, लेने ही नहीं आए. जाड़े के मारे हिम्मत ही न पड़ रही.' फिर तहसीलदार ने कहा कि 250 कंबल बंट चुके हैं और बाकी नहीं हैं, लेकिन जब कंबल आएंगे तो देंगे, लेकिन इस दौरान लवकुश की परेशानियों की कोई परवाह नहीं की गई.

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देखें वीडियो...

वीडियो में लवकुश मौर्य बार-बार कंबल की मांग करते हुए कहते हैं, 'साहेब, हम बहुत परेशान हैं, जाड़े में हमें कंबल चाहिए, हमारी मदद करें.' लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मोबाइल पर लगे रहे और मामले को टालते रहे. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने अफसरों की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं और अधिकारियों से जवाब मांगा है.

वहीं, जब इस मामले में तहसीलदार से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका मोबाइल नेटवर्क क्षेत्र से बाहर था, जिससे उनकी जवाबदेही पर और भी सवाल उठ रहे हैं. इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी और जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता को उजागर किया है.

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