
Prayagraj MahaKumbh Stampede: मौनी अमावस्या के स्नान में मची भगदड़ में सरकारी आंकड़ों में 30 लोगों की मौत हुई और 60 लोग घायल हुए. घटना के 7 दिन गुजर जाने के बाद भी कई श्रद्धालु ऐसे हैं जिनकी तलाश जारी है. यह वह लोग हैं जिनका नाम ना तो घायलों की सूची में है ना ही मरने वालों की सूची में है और ना ही लावारिस लाशों में है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 29 जनवरी को हुए हादसे के बाद से ये लोग कहां गए?
प्रयागराज में यूं तो कई बड़े अस्पताल है लेकिन सरकारी व्यवस्था में दो अस्पताल सबसे बड़े हैं. एक स्वरूप रानी अस्पताल और दूसरा मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज. स्वरूप रानी अस्पताल के गेट से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक, हर तरफ 29 जनवरी को संगम से लापता हुए लोगों की तस्वीर लगी है. घर वालों ने सूचना देने के लिए नंबर और उचित इनाम का भी ऐलान किया है.
जयपुर की रहने वाली 62 साल की राजकुमारी पारीक का पोस्टर हो या फिर समस्तीपुर बिहार की रहने वाली मीना देवी, सीता देवी का पोस्टर हो या फिर मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले तेजई पटेल का पोस्टर. ऐसे तमाम पोस्टर दीवारों पर लगे हैं जिन पर साफ लिखा है कि 29 जनवरी की सुबह संगम पर मची भगदड़ से ये तमाम लोग लापता हैं.
स्वरूप रानी अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में जाकर पूछा गया तो पता चला अज्ञात लाश मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में रखी जाती है. मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस पर भी ऐसे ही पोस्टर लगे हैं. मध्य प्रदेश में सागर के रहने वाले लापता तेजई पटेल का पोस्टर लगाकर पास में ही भटक रहे उनके बेटे अशोक पटेल से 'आज तक' की टीम की मुलाकात हो गई.
लापता पिता की तलाश कर रहा बेटा आपबीती बताते हुए फफक पड़ा. बकौल अशोक- गांव से साथ आए लोग सकुशल घर पहुंच गए लेकिन पिताजी अभी तक नहीं पहुंचे. कोई बता ही नहीं रहा, आखिर हम कहां जाएं? कहां तलाश करें? पिताजी तो नहाने आए थे लेकिन हमें क्या पता था कि वो अब नहीं लौटेंगे.
महाकुंभ आने से पहले पिता की दी हुई आखिरी निशानी सोने का लॉकेट दिखाते हुए बेटा कहता है कि यहां आते वक्त कह रहे थे कि यह पहन लो... हमें क्या पता था अब वह लौट के नहीं आएंगे. पिता को हर जगह तलाशा, वो ना अस्पताल में मिले, ना पोस्टमार्टम हाउस में. इतने दिनों से कहां लापता हो गए कुछ पता नहीं.
लापता पिता की तलाश कर रहे अशोक के बाद हमारी मुलाकात अपनी बहू का मृत्यु प्रमाण पत्र लेने आए नारायण सिंह से हुई. मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले नारायण सिंह की रिश्ते में बहू हुकुम बाई की भी मौत मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में ही हुई थी. प्रशासन ने हुकुम बाई की लाश 29 जनवरी को ही दे दी लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला. अब वो फिर छतरपुर से वापस मृत्यु प्रमाण पत्र लेने आए हैं. नारायण सिंह उस मंजर के चश्मदीद हैं, जहां पर यह घटना हुई थी.
आपको बता दें कि प्रशासन ने कुंभ में मची भगदड़ में 30 की मृत्यु का आंकड़ा जारी किया है. जिसमें सिर्फ पांच लाश ऐसी थी जो अज्ञात थी. लेकिन इस भगदड़ में तेजई पटेल, राजकुमारी पारीक, मीना देवी, सीता देवी जैसी तमाम ऐसे भी हैं, जो सरकारी आंकड़ों में ना तो घायल होकर अस्पताल में हैं और ना ही मरने वालों में, तो आखिर ऐसे लोग गए तो गए कहां, बिछड़े भी तो आज के डिजिटल कुंभ में 7 दिन बाद भी