
बीते शुक्रवार को चित्रकूट जेल में जब डीएम और एसपी ने अचानक छापेमारी की. दोनों ही अधिकारी जेल के अंदर सीधे अब्बास अंसारी की बैरक में पहुंचे. अब्बास बैरक में नहीं मिला तो लगभग आधे घंटे तक अब्बास अंसारी की खोजबीन की गई. आधा घंटा अब्बास अंसारी कहां रहा? कैसे वो अफसरों की निगाहों से दूर किया गया? इसकी भी एक कहानी है.
10 फरवरी को करीब 10:30 बजे चित्रकूट जेल में जब एसपी वृंदा शुक्ला और डीएम ने प्राइवेट गाड़ी और सादे कपड़ों में पहुंचकर जेल का गेट खुलवाया तो हड़कंप मच गया. जेल के अंदर पहुंचते ही एसपी और डीएम ने जेल का मेन गेट बंद करवाकर हिदायत दी कि कोई भी बाहर नहीं जाएगा. दोनों ही अफसर पहले जेल अधीक्षक के कमरे में पहुंचे.
सूचना थी कि अब्बास अंसारी और उनकी पत्नी निकहत की मुलाकात बंद कमरे में हो रही है, लेकिन जेल अधीक्षक का कमरा खाली था तो अफसर सीधे अब्बास अंसारी की हाई सिक्योरिटी बैरक पहुंच गए. अब्बास बैरक में नहीं था. पूछा गया कि अब्बास अंसारी कहां है? जेल बंदी रक्षकों व अफसरों से पूछताछ की गई कि अब्बास अंसारी कहां है?
किसी के पास कोई जवाब नहीं था. अब्बास अंसारी की तलाश शुरू की गई. जब आधा घंटे तक अब्बास का कुछ पता नहीं चला तो गुस्साई एसपी वृंदा शुक्ला ने चित्रकूट जेल के गेट पर तैनात जेल गार्डों को धमकाया कि अब्बास नहीं मिला तो तुम लोग जेल जाओगे. तभी एक बंदी रक्षक ने जेल अधीक्षक के बगल वाले ताला बंद कमरे की ओर इशारा किया.
अफसरों ने ताला खुलवाया तो अंदर अब्बास अंसारी की पत्नी निकहत अकेले मौजूद थी. अब्बास फिर भी नहीं था. इसी बीच जेल अफसरों ने सूचना दी कि अब्बास अपनी बैरक में आ गया है. इस पूरी कवायद में लगभग 45 मिनट का वक्त लगा. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 45 मिनट के दौरान अब्बास जेल की पाकशाला यानी किचन में मौजूद था.
जैसे ही डीएम और एसपी के जेल में पहुंचने की सूचना मिली बंदी रक्षक जगमोहन अब्बास को कमरे से निकालकर जेल की किचन में छोड़ आया और कमरे का बाहर से ताला बंद कर दिया. जेल प्रशासन को अंदेशा था कि डीएम और एसपी की है छापेमारी रूटीन छापेमारी है, इसलिए प्लान था कि जब तक डीएम और एसपी अन्य बैरकों की तलाश करेंगे अब्बास को किचन के रास्ते से उसके हाई सिक्योरिटी बैरक में पहुंचा दिया जाएगा.
लेकिन अफसर सीधे अब्बास अंसारी की ही बैरक में पहुंच गए तो उसको जेल के किचन में ही रोक दिया गया और जब अफसर बैरक से जेल के गेट की तरफ बढ़े तो वह खुद चुपचाप अपनी बैरक पहुंच गया था.