
बहुजन समाज पार्टी का आज वजूद संकट में है. लेकिन, तेवर और एक्शन वही तीखे हैं. पार्टी प्रमुख मायावती के बयान इसकी तस्दीक कर रहे हैं. तीन दिन के अंदर उन्होंने तीन बार बड़े फैसले सुनाए और ये तीनों फैसले अपने सगे-संबंधी और उत्तराधिकारी से जुड़े थे. कह सकते हैं कि घर के चारदीवारी में होने वाले कथित विवाद मायावती पहली बार पब्लिक प्लेटफॉर्म में लेकर आईं और सार्वजनिक तौर पर अपना रुख और इरादे जाहिर किए. मायावती ने यह भी साफ-साफ कर दिया कि अब उनका कोई राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं रहेगा. भतीजे आकाश से भी लगभग मोहभंग हो गया है और भाई आनंद पर भरोसे की दीवार तो टिकी है, लेकिन वो उसे दायरे में समेट रही हैं.
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बसपा में अब सेकंड-इन लाइन में कौन-कौन नेता हैं जो आने वाले दिनों में मायावती के करीबी बन सकते हैं और आज की तारीख में भरोसेमंद बनकर संगठन और बहुजन मूवमेंट को धार दे रहे हैं. जानकार कहते हैं कि बसपा में मायावती के सिपहसालार हमेशा उनकी आंख-कान रहे हैं. अंदरखाने से लेकर बाहरी दुनिया तक में पार्टी को लेकर क्या गतिविधियां चल रही हैं? ये सारी जानकारी यही सिपहसालार बसपा प्रमुख तक पहुंचाते हैं और वो इन सिपहसालार की बात पर भरोसा भी करती हैं.
2016 में एक्टिव पॉलिटिक्स में आए थे आकाश
हालांकि, आज की तारीख में देखें तो बसपा के तमाम पुराने और दिग्गज चेहरे मायावती का साथ छोड़ चुके हैं, जिनमें अधिकतर कांशीराम के साथी रहे हैं. जानकार कहते हैं कि मायावती के करीबियों में सतीश चंद्र मिश्रा का नाम हमेशा सबसे आगे रहा है. वे आज भी उनके भरोसेमंद सहयोगियों के तौर पर खरा उतरते आए हैं. मायावती को अपने छोटे भाई आनंद पर भी उतना ही भरोसा है. वे दशकों से पर्दे के पीछे पार्टी और संगठन के लिए काम करते आए हैं. हालांकि, 2016 में मायावती अपने भतीजे आकाश को सार्वजनिक मंच पर लेकर आईं और संगठन से उनका परिचय कराया. धीरे-धीरे आकाश की जिम्मेदारियां बढ़ाईं और 2019 में पहली बार आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया. उन्होंने कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी अहम भूमिका निभाई.
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उतार-चढ़ाव भरा रहा आकाश का करियर
लोकसभा चुनाव 2024 में दमखम के साथ उतरने के लिए मायावती ने आकाश पर ही भरोसा जताया और 10 दिसंबर 2023 को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. लेकिन, लोकसभा चुनाव प्रचार में आकाश के बयान पर विवाद बढ़ा तो सीतापुर में एफआईआर हो गई. मायावती ने उन्हें अपरिपक्व बताया और 5 महीने के अंदर मई 2024 में उन्हें उत्तराधिकारी के दायित्व से हटा दिया. महीनेभर बाद फिर आकाश पर भरोसा जताया और दोबारा उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर की भी जिम्मेदारी दी गई. हालांकि, आकाश को संयमित रहने की हिदायत मिली.
अब नए चेहरे पर भरोसा...
अब मार्च 2025 में एक बार फिर मायावती ने जाहिर किया कि आकाश पर उनका भरोसा जम नहीं रहा है. दिलचस्प यह है कि आकाश के पिता आनंद पर पुराने विश्वास को दोहराया और उन्हें आकाश की पोस्ट थमा दी. लेकिन दो दिन बाद ही आनंद की पोस्ट घटा दी. अब मायावती ने रामजी गौतम के साथ रणधीर बेनीवाल को आगे किया है. बसपा में मेवालाल लाल गौतम जैसे बड़े नेता भी हैं, जो संगठन के काम पर पैनी नजर रखते हैं और पार्टी प्रमुख को सीधे रिपोर्ट करते हैं.
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मायावती 12 साल से यूपी की सत्ता से बाहर
यूं तो मायावती 4 बार यूपी की मुख्यमंत्री रही हैं और 22 साल से बसपा सुप्रीमो हैं. संगठन में उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है. वे नेता से लेकर कार्यकर्ता तक की खबर रखती हैं और सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूले लाकर यूपी की सत्ता में परचम लहराया है. हालांकि, वक्त के साथ धीरे-धीरे करीबियों ने साथ छोड़ा तो मायावती अलग-थलग पड़ गईं. फिलहाल, बसपा 12 साल से यूपी की सत्ता से बाहर है. यूपी विधानसभा में पार्टी का सिर्फ एक विधायक है और लोकसभा में एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है. राज्यसभा में पार्टी के एक मात्र सदस्य रामजी गौतम हैं.
आकाश के ससुर से नाराज हैं मायावती!
नेताओं की बर्खास्तगी और निष्कासन ने पार्टी को संघर्ष के रास्ते पर ला दिया है. ये सिलसिला थमा नहीं है. इस साल फरवरी में मायावती ने सबसे पहले अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. आरोप लगाया कि वे पार्टी में गुटबाजी को हवा दे रहे थे. अंदरखाने इस निष्कासन की आवाज उठी और रविवार को गुबार फूटा तो पूरे देश में चर्चा होने लगी. मायावती ने 2 मार्च को पार्टी की बैठक में आकाश आनंद को पहले जिम्मेदारी मुक्त किया और उनसे ना सिर्फ नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी वापस ले ली, बल्कि अपने उत्तराधिकारी के दायित्व से भी हटा दिया.
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मायावती ने दूसरा बड़ा फैसला यह लिया कि पार्टी में दो नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाने का ऐलान किया. आकाश के पिता और अपने भाई आनंद और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंप दी.
मायावती ने कहा- ऐसे लोगों को दंडित करती रही हूं
यह एक्शन लगातार चर्चाओं में रहा. इस बीच, सोमवार को मायावती ने आकाश को पार्टी से भी निष्कासित कर दिया और उन्हें दूसरी बार अपरिपक्व बता दिया. मायावती का कहना था कि आकाश को अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में लगातार बने रहने के कारण नेशनल कोऑर्डिनेटर समेत सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था, जिसका उसे पश्चताप करके अपनी परिपक्वता दिखानी थी. लेकिन इसके विपरीत आकाश ने लंबी-चौड़ी प्रतिक्रिया दी. वो उसके पछतावे और राजनीतिक मैच्युरिटी का नहीं, बल्कि उसके ससुर के ही प्रभाव वाला ज्यादातर स्वार्थी, अहंकारी और गैर-मिशनरी है, जिससे बचने की सलाह मैं पार्टी के ऐसे सभी लोगों को देने के साथ दंडित भी करती रही हूं.
आकाश, मायावती के छोटे भाई आनंद के बेटे हैं. आकाश की शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा के साथ हुई है. यानी अशोक सिद्धार्थ मायावती के सगे रिश्तेदार हैं और आकाश, मायावती के भतीजे हैं.
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छोटे भाई आनंद सिर्फ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहेंगे
बुधवार को मायावती ने फिर एक बड़ा फैसला लिया और भतीजे आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार को नेशनल कोर्डिनेटर के पद से हटा दिया. मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसका ऐलान किया. मायावती ने लिखा, काफी लंबे समय से निस्वार्थ सेवा और समर्पण के साथ कार्यरत बीएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार को हाल ही में नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था. हालांकि, उन्होंने पार्टी और मूवमेंट के हित के मद्देनजर एक पद पर रहकर कार्य करने की इच्छा व्यक्त की है, जिसका स्वागत करते हैं. मायावती का कहना था कि आनंद कुमार पहले की ही तरह बीएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर रहते हुए सीधे उनके दिशा-निर्देशन में अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे. अब आनंद की जगह यूपी के जिला सहारनपुर निवासी रणधीर बेनीवाल को नेशनल कोऑर्डिनेटर की नई जिम्मेदारी दी गई है.
इस तरह अब रामजी गौतम और रणधीर बेनीवाल बीएसपी के नेशनल कोआर्डिनेटर के रूप में सीधे तौर पर मेरे दिशा-निर्देशन में देश के विभिन्न राज्यों की जिम्मेदारियों को संभालेंगे. पार्टी को उम्मीद है कि ये लोग पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य करेंगे.