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दस साल पहले Clinically Dead, समाधि में जिंदा हैं ये संत? क्या है आशुतोष महाराज की पूरी कहानी

Ashutosh Maharaj News: धर्मगुरु आशुतोष महाराज को डॉक्टरों ने 29 जनवरी 2014 को क्लीनिकली डेड मान लिया था, लेकिन उनके शिष्य ये बात मानने को अब भी तैयार नहीं हैं. बीते दस साल से आशुतोष महाराज का शरीर डीप फ्रीजर में सुरक्षित रखा है. शिष्यों को लगता है कि कभी किसी रोज महाराज समाधि से बाहर निकलेंगे और फिर से अपने भक्तों के बीच हंसते-खेलते हाजिर हो जाएंगे.

आशुतोष महाराज और उनकी शिष्या आशुतोषांबरी. आशुतोष महाराज और उनकी शिष्या आशुतोषांबरी.
अतुल कुशवाह
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

Who is Ashutosh Maharaj: दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (Divya Jyoti Jagrati Sansthan) के संस्थापक व धर्मगुरु आशुतोष महाराज (ashutosh maharaj) को दस साल पहले Clinically Dead घोषित कर दिया गया था, उनके शिष्य और सेवादार अब भी ये मानने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि आशुतोष महाराज गहरी समाधि में लीन हैं. अब यूपी की राजधानी लखनऊ के आनंद आश्रम में साध्वी गुरु मां आशुतोषांबरी ने बीते 28 जनवरी को समाधि ले ली.

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समाधि से पहले उन्होंने अपने शिष्यों के लिए एक वीडियो संदेश भेजा कि वे अपने गुरु ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को उनके शरीर में वापस लाने के लिए समाधि ले रही हैं. अब उनके शिष्यों ने साध्वी आशुतोषांबरी के शरीर को सुरक्षित रखने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाल दी है.

दरअसल, अब से दस साल पहले साल 2014 में जब दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के प्रमुख आशुतोष महाराज को डॉक्टरों क्लीनिकली मृत माना था, लेकिन संस्थान के संचालक यह मानने को तैयार नहीं थे. उन्होंने आशुतोष महाराज का शरीर डीप फ्रीजर में रख दिया था, इस उम्मीद से कि कभी किसी रोज महाराज समाधि से बाहर निकलेंगे और फिर से अपने भक्तों के बीच हंसते-खेलते हाजिर हो जाएंगे. उनका तर्क था कि हिमालय में '0 डिग्री' से भी कम तापमान होता है और जब संत समाधि में चले जाते हैं तो हमारा फर्ज बनता है कि उनके शरीर की देखभाल करें. 

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1980 के दशक में रखी थी ज्योति जागृति संस्थान की नींव

आशुतोष महाराज ने 1980 के दशक की शुरुआत में जालंधर के पास नूर महल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की नींव रखी थी. पंजाब में 65 आश्रमों के साथ देशभर में करीब 350 आश्रमों के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों में भी दिव्य ज्योति संस्थान के कई आश्रम हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या लाखों में है.

आशुतोष महाराज की शिष्या आशुतोषांबरी.

लखनऊ के आश्रम में शिष्या आशुतोषांबरी ने भी ली समाधि

अब लखनऊ के आश्रम में आशुतोष महाराज की शिष्या आशुतोषांबरी ने बीते 28 जनवरी को समाधि ले ली. समाधि स्थल पर जब उनके शिष्यों से बातचीत की तो महामंडलेश्वर और बाबा महादेव ने बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दिव्य ज्योति जागृत संस्थान वालों ने आशुतोष महाराज के शरीर को डीप फ्रीजर में कैद कर रखा है, ताकि वे समाधि से कभी वापस ही न आ सकें.

बाबा महादेव ने कहा कि आशुतोष महाराज ने अपनी शिष्या आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) को आंतरिक संदेश भेजा था और कहा था कि वह उन्हें समाधि से वापस ले आएं, क्योंकि इन लोगों ने डीप फ्रीजर में कैद करके रखा हुआ है, इसीलिए मैं वापस नहीं आ पा रहा हूं.

आश्रम में शिष्य ब्रह्मर्षि जमदग्नि ने कहा कि उनकी गुरु मां आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) ने सभी शिष्यों को बताकर समाधि ली, ताकि वे गुरु आशुतोष महाराज को समाधि से जगाकर वापस भौतिक शरीर में लाकर उनकी चेतना जागृत करा सकें. गुरु मां को ध्यान अवस्था में आशुतोष महाराज का संदेश मिला था.

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सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में दाखिल की है PIL

जब सवाल किया गया कि क्या आशुतोष महाराज (ashutosh maharaj) खुद भौतिक शरीर में आने में सक्षम नहीं हैं तो जमदग्नि ने कहा कि गुरु को शिष्य ही उठाता है. वहीं डॉ. स्वामी आदि शंकरानंद ने बताया कि उन लोगों ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की है कि जो समाधि में उनकी गुरु मां गईं हैं, उनकी सुरक्षा का इंतजाम किया जाए.

उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम आई थी, उन्होंने जांच की है, गुरु मां आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) की पल्स और हार्टबीट नहीं चल रही है, लेकिन डॉक्टर और विज्ञान इस बात से हैरान है कि जब उन्होंने ईसीजी किया तो उनको हलचल महसूस हुई. अब हम लोगों ने मस्तिष्क की जांच के लिए प्रशासन से कहा है. जो डॉक्टर आए थे, उन्हें प्रशासन ने भेजा था.

आश्रम के शिष्यों ने किया ये दावा

आश्रम के शिष्यों का दावा है कि उनकी गुरु मां समाधि में चली गई हैं और जल्द ही वे समाधि से आएंगी, ताकि वे आशुतोष महाराज को वापस ला सकें. आश्रम के ऊपर जिस कमरे में आशुतोषांबरी (Ashutoshambari) ने समाधि ली है, वहां तक जाने की मनाही है. यहां दर्शन के लिए जाने दिया गया, लेकिन उससे पहले मोबाइल, पेन व बैग सब जमा करा लिया गया और मेटल डिटेक्टर से स्कैनिंग की गई. जब खिड़की से देखा तो कंबल के अंदर लेटी हुई थीं, मुंह ढंका हुआ था. समाधि की सत्यता क्या है? यह तो आशुतोषांबरी जानती होंगी या उनके इर्द गिर्द मौजूद सेवादार लोग जानते होंगे.

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