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कौन है बाबा सूरजपाल का राइट हैंड देवप्रकाश मधुकर, जो Hathras Stampede के बाद से है फरार? सिर पर 1 लाख इनाम

Hathras News: देवप्रकाश मधुकर हाथरस कार्यक्रम का मुख्य आयोजक है. साथ ही वह बाबा सूरजपाल का खास आदमी भी है. हादसे के बाद बाबा ने उसी से फोन पर काफी देर तक बात की थी. भगदड़ की घटना के बाद से देवप्रकाश घर नहीं लौटा है. उसके परिवार के सदस्य भी लापता हैं.

हाथरस कांड के बाद से फरार बाबा सूरजपाल हाथरस कांड के बाद से फरार बाबा सूरजपाल
aajtak.in
  • हाथरस ,
  • 05 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST

हाथरस भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई. दर्जनों घायल हुए हैं. पुलिस प्रवचनकर्ता बाबा सूरजपाल के सेवादारों और सत्संग के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच-पड़ताल कर रही है. 6 लोग पकड़े जा चुके हैं. हालांकि, अभी तक मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर फरार है. मधुकर ही हाथरस कार्यक्रम का मुख्य आयोजक है. साथ ही वह बाबा का खास आदमी भी है. हादसे के बाद बाबा ने उसी से फोन पर काफी देर तक बात की थी. 

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न्यूज एजेंसी के मुताबिक, भगदड़ की घटना के बाद से देवप्रकाश मधुकर घर नहीं लौटा है. उसके परिवार के सदस्य भी लापता हैं. मधुकर के बारे में कहा जाता है कि वह एक समय जूनियर इंजीनियर (JE) था लेकिन बाद में बाबा सूरजपाल का बड़ा भक्त बन गया. बाबा सूरजपाल को नारायण साकार हरि और भोले बाबा के नाम से जाना जाता है. 

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देवप्रकाश मधुकर का घर सिकंदरा राऊ इलाके के दामादपुरा की नई कॉलोनी में है. जब मीडिया ने उसके दो मंजिला मकान का दौरा किया तो मुख्य दरवाजे पर ताला लटका हुआ था. घर पर कोई नहीं था. आसपास के लोगों ने बताया कि घटना के बाद यहां कोई नहीं आया. शायद फरार हो गए हैं. 

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देवप्रकाश मधुकर के पड़ोसियों ने क्या कहा?

बता दें कि यह मुख्य रूप से दलितों का इलाका है और फुलराई गांव (हादसे वाली जगह से) से पांच मिनट की दूरी पर है. पास से ही राष्ट्रीय राजमार्ग-91 गुजरता है, जिसे जीटी रोड के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, सिकंदरा राऊ स्टेशन के सामने स्थित, मधुकर को जानने वाले न्यू कॉलोनी के निवासी इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या वास्तव में भगदड़ के लिए उसकी गलती थी. 

देवप्रकाश मधुकर

गौरतलब है कि बाबा सूरजपाल के 2 जुलाई के सत्संग (धार्मिक समागम) के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर ही पुलिस एफआईआर में एकमात्र नामजद आरोपी है. उसी मोहल्ले में रहने वाले लॉ के छात्र अखिलेश का मानना ​​है कि मधुकर को मुख्य आरोपी बनाकर गलत तरीके से फंसाया जा रहा है, जबकि बाबा बेखौफ घूम रहे हैं. 

अखिलेश ने कहा- "क्या वह (मधुकर) हर आदमी के घर गया था और उन्हें सत्संग में आने के लिए बुलाया था? वो तो बाबा ही हैं, जिनकी वजह से लोग आए थे, लेकिन वो (बाबा) मौके से भाग गए." 

कुछ समर्थन में तो कुछ उठा रहे सवाल

कई स्थानीय लोगों ने मीडिया से कहा कि वे बाबा सूरजपाल के अनुयायी नहीं हैं. बाबा ने लोगों को अच्छे मार्ग पर चलने और अच्छे कर्म करने की शिक्षा दी, लेकिन क्या इससे लोगों का जीवन बेहतर हुआ? वहीं, कुछ स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि इससे बदलाव आया है. नाम बताने से कतराते हुए एक अन्य पड़ोसी ने कहा- "अन्यथा लोग इतनी बड़ी संख्या में उनके कार्यक्रमों में क्यों जाते." हालांकि, अधिकांश को लगता है कि इस भगदड़ के बाद बाबा के अनुयायी कम हो जाएंगे. 

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पास में रहने वाले एक अन्य युवक विकास ने कहा कि वह मधुकर को पड़ोसी के तौर पर जानता था. कहा जा रहा है कि वह फरार है. लेकिन क्या होगा अगर उसने अपने रिश्तेदार को खो दिया हो और इस समय वह उनके परिवार के साथ हो? 'सत्संग' में उसकी भूमिका को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है. वह केवल आयोजन समिति का सदस्य था जो स्थानीय लोगों का नेतृत्व कर रहा था. 

आयोजक के तौर पर मधुकर द्वारा इस घटना की जवाबदेही से बचने पर विकास ने सवाल उठाया कि क्या पुलिस और सरकारी अधिकारियों की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वे जिला प्रशासन को 80,000 की अनुमत सीमा से अधिक भीड़ के आकार के बारे में सूचित करें. उसने यह भी दावा किया कि आयोजन स्थल पर एम्बुलेंस की कमी थी और सिकंदरा राऊ में निकटतम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की भी कमी थी. 

महिला पड़ोसी ने कही ये बात

मधुकर के घर के बाहर 70 वर्षीय सरला देवी भी खड़ी थीं, जो अपने पड़ोस के कई लोगों के साथ 'सत्संग' में शामिल होने गई थीं और बिना किसी चोट के वापस लौट आईं. सरला ने कहा कि अगर उनकी शिक्षाएं हमारी मदद नहीं कर रही हैं तो हम क्यों जाएं? जब इस पर पूछा गया कि क्या बाबा के सत्संग से उनकी जिंदगी बेहतर हुई है, तो उन्होंने कहा कि बाबा अच्छे कर्म करने की बात करते हैं, जैसे कि दूसरों के साथ मिलजुलकर रहना और सद्भावना से रहना. मुझे उनकी शिक्षाओं से लाभ हुआ है. 

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हालांकि, दलित मोहल्ले में हर कोई मधुकर का समर्थक नहीं है. एक महिला पड़ोसी ने कहा- "जब आप सरकारी अधिकारियों या पुलिस को आयोजन स्थल के अंदर नहीं जाने देंगे और आपके स्वयंसेवक सोचते हैं कि वे कुछ भी कर सकते हैं, तो आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं." 

एक अन्य महिला ने कहा, "आप सरकारी अधिकारियों या पुलिस को आयोजन स्थल के अंदर क्यों नहीं जाने देते. क्या इसका मतलब यह नहीं है कि आप कुछ छिपा रहे हैं?" 

मधुकर पर एक लाख का इनाम

इस बीच हाथरस पुलिस ने देवप्रकाश मधुकर की गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है और कहा कि वह उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट प्राप्त करने की कोशिश कर रही है. फिलहाल, पुलिस ने गुरुवार को आयोजन समिति के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है. वहीं, हाथरस हादसे की शुरुआती SIT जांच रिपोर्ट सौंप दी गई है. 

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