
जया बच्चन एक बार फिर राज्यसभा जाने की तैयारी में हैं. समाजवादी पार्टी ने उन्हें 5वीं बार अपना उम्मीदवार बनाया है. सपा के भीतर इसी बात की आलोचना हो रही है कि आखिर जया बच्चन में ऐसा क्या है, जिसकी वजह से पार्टी लगातार उन्हें राज्यसभा भेज रही है, जबकि कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता दरकिनार कर दिए गए हैं. जया बच्चन की राज्यसभा उम्मीदवारी को लेकर सपा कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं की खूब आलोचना की है.
सबसे पहले पल्लवी पटेल ने विरोध की आवाज बुलंद की थी. यूं तो वह तकनीकी रूप से समाजवादी पार्टी की विधायक हैं, लेकिन उनकी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) ने तो अपना स्टैंड ही साफ कर दिया था कि उनकी नेता किसी सूरत में सपा के राज्यसभा प्रत्याशियों आलोक रंजन और जया बच्चन के पक्ष में वोट नहीं करेंगी. अब सवाल उठ रहा है कि समाजवादी पार्टी तमाम विरोधों को झेलकर भी जया बच्चन को राज्यसभा क्यों भेजना चाहती है? हमें इसकी पांच वजहें समझ में आती हैं...
वजह नंबर-1
जया बच्चन की सपा से लगातार पांचवीं बार राज्यसभा उम्मीदवारी के पीछे की सबसे बड़ी वजह यादव परिवार के साथ उनकी घनिष्ठता है. मुलायम सिंह यादव ने चार बार उन्हें राज्यसभा भेजा और माना जाता है कि जया बच्चन की इस परिवार से वैचारिक और पारिवारिक निकटता बेहद ज्यादा है. यहां तक की अमर सिंह जब सपा और यादव परिवार से बाहर कर दिए गए थे, तब भी जया बच्चन ने मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार को नहीं छोड़ा.
वजह नंबर-2
दरअसल जया बच्चन डिंपल यादव की पसंद मानी जाती हैं. माना जाता है कि सदन के भीतर डिंपल यादव और जया बच्चन की केमिस्ट्री बिल्कुल परफेक्ट है. डिंपल यादव के अलावा रामगोपाल यादव भी जया बच्चन के पक्ष में रहे हैं.
वजह नंबर-3
तीसरी बड़ी वजह ये है कि जया बच्चन उस आधी आबादी से आती हैं, जिसका प्रतिनिधित्व समाजवादी पार्टी दिखाना चाहती है. राज्यसभा में वह सपा की महिला चेहरा हैं.
वजह नंबर-4
जया बच्चन एक सेलिब्रिटी स्टेटस रखती हैं और पार्टी को लगता है कि राज्यसभा में वह एक ऐसा चेहरा हैं, जो विचारधारा के इतर पार्टी के भीतर कला और संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करती नजर आती हैं.
वजह नंबर-5
एक और वजह यह मानी जा रही है कि जया बच्चन समाजवादी पार्टी के आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप नहीं करती हैं. चाहे पार्टी का संगठन हो, टिकट बंटवारा हो या फिर राज्यसभा सांसद के तौर पर उन्हें विकास के काम कराने हो, जैसा पार्टी तय कर देती है, उसमें जया बच्चन कोई हस्तक्षेप नहीं करतीं. हां विचारों को लेकर वह कोई समझौता नहीं करतीं.
जया को सपा महिलाओं की प्रगतिशील आवाज के रूप में देखती है
सबसे जरूरी बात यह है कि समाजवादी पार्टी जया बच्चन को महिलाओं की प्रगतिशील आवाज के तौर पर देखती है और ऐसे में पार्टी उन्हें लगातार राज्यसभा भेज रही है.
पार्टी प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं- समाजवादी पार्टी में महिला चेहरे के तौर पर जया बच्चन का फेस सबसे बड़ा है. वह पार्टी का पक्ष उच्च सदन में बहुत मजबूती से रखती हैं और पार्टी की विचारधारा से पूरी तरीके से जुड़ी हुई हैं. वह हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विचारों का प्रतिनिधित्व करती हैं. ऐसे में पार्टी ने उन्हें लगातार पांचवीं बार अपना प्रत्याशी बनाया है और इसमें कोई बुराई नहीं है.
हालांकि PDA की बात करने और एक भी ओबीसी और मुस्लिम चेहरे को तीन लोगों की राज्यसभा की उम्मीदवारी में शामिल नहीं करने पर समाजवादी पार्टी को चौतरफा आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं. समाजवादी पार्टी का कहना है कि उसके लोकसभा के उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा PDA से हैं, ओबीसी और दलितों को सबसे ज्यादा टिकट दिया जा रहा है. इसके अलावा विधान परिषद की तीन सीटों में से समाजवादी पार्टी दो मुस्लिम चेहरों को उतार सकती है, ताकि वह इन आलोचनाओं का सामना कर सके.
सपा ने अपने तीनों उम्मीदवारों के लिए 37-37-37 वोट तय कर दिए
जया बच्चन को लेकर हुई आलोचनाओं को देखते हुए सपा ने सभी उम्मीदवारों के लिए 37-37-37 वोट तय कर दिए हैं, ताकि किसी के प्रति पक्षपात का आरोप न लग सके. इसीलिए उम्मीदवारों में फर्स्ट, सेकंड या थर्ड की कोई वरीयता नहीं रखी गई है. पार्टी का कहना है की सभी के लिए बराबर वोट तय किए गए हैं, ऐसे में जो अपने वोट डलवा ले जाएंगे वह जीतेंगे और जिनके वोट कम पड़ गए वह हार सकते हैं. अब देखना यह है कि जया बच्चन के कोटे में आए विधायक उन्हें वोट देते हैं या फिर क्रॉस वोटिंग कर जाते हैं. दरअसल अखिलेश यादव ने पिछले कुछ समय से सिर्फ PDA का राग आलाप रखा है. लेकिन जब राज्यसभा उम्मीदवार तय करने की बारी आई तो इसमें एक भी ओबीसी या एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं था.
सपा प्रवक्ता पूजा शुक्ला कहती हैं- जया बच्चन आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं. पार्टी का महिला चेहरा हैं. लगातार संघर्ष करती नजर आती हैं. पार्टी की विचारधारा को मजबूती से सदन में रखने का काम करती हैं. जनता के मुद्दे उठाती हैं. सबसे बड़ी बात कि महिलाओं की बात मजबूती से उठाती हैं.
तीन उम्मीदवारों में एक दलित चेहरा रामजीलाल सुमन, जो कि पुराने समाजवादी रहे हैं और जाटव बिरादरी से आते हैं, उन्हें पार्टी ने राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है. लेकिन बाकी दो उम्मीदवार जया बच्चन और आलोक रंजन पीडीए से नहीं आते. आलोक रंजन पूर्व नौकरशाह हैं और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते यूपी के मुख्य सचिव हुआ करते थे. जया और रंजन दोनों कायस्थ बिरादरी से हैं. ऐसे में तीन लोगों की सूची में दो अगड़े और एक दलित के होने की वजह से सपा के भीतर हंगामा मचा है. यही वजह है कि पार्टी ने जया बच्चन के लिए कोई रिजर्व वोट नहीं रखा, बल्कि सभी को एक बराबर कर दिया.