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पत्नी का पर्दा नहीं करना तलाक का आधार नहीं हो सकता: इलाहाबाद हाई कोर्ट

याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी का पर्दा नहीं करना क्रूरता नहीं है. ये तलाक का आधार नहीं हो सकता है.

इलाहाबाद HC (प्रतीकात्मक फोटो) इलाहाबाद HC (प्रतीकात्मक फोटो)
aajtak.in
  • प्रयागराज,
  • 03 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:04 PM IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि पत्नी का पर्दा नहीं करना क्रूरता नहीं है और ये तलाक का आधार नहीं हो सकता है. जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनादी रमेश की खंडपीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान खंडपीठ ने ये टिप्पणी की.

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पति ने न्यायालय में दायर याचिका में तलाक के लिए दो आधार रखा था. पहला आधार ये कि पत्नी स्वतंत्र विचार की है और बिना उससे पूछे अपनी मनमर्जी से बाजार और दूसरी जगहों पर चली जाती है, साथ पत्नी पर्दा नहीं करती है.

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पति ने दूसरा आधार दिया था कि वो दोनों लंबे समय से एक दूसरे से दूर रहते हैं, इसलिए तलाक चाहिए. अदालत ने दूसरे आधार को मान लिया और तलाक को मंजूर कर लिया. दरअसल पति-पत्नी दोनों एक दूसरे तकरीबन 23 सालों दूर रहते हैं. निचली अदालत ने पहले ही व्यक्ति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी.

दो दशक से भी ज्यादा समय से एक दूसरे से दूर हैं

दोनों की शादी 26 फरवरी 1990 को हुई थी और उनका 'गौना' 4 दिसंबर 1992 को हुआ था. दरअसल गौना उत्तरी भारत में एक हिंदू विवाह समारोह है, जब दुल्हन शादी के बाद अपने पति के घर जाती है.

यह भी पढ़ें: 'न्याय' योजना पर कांग्रेस को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का नोटिस

अदालत ने व्यक्ति की अपील को स्वीकार किया

गौना के लगभग तीन साल बाद 2 दिसंबर 1995 में एक इनके घर में एक बेटा हुआ. हालांकि कुछ समय बाद उनमें दूरी आ गई और वे कभी-कभार एक साथ रहते थे, लेकिन 23 साल से अधिक समय से वे एक साथ नहीं रहे हैं. वहीं उनका बेटा अब बालिग हो गया है. 

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अदालत ने व्यक्ति की अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि अपीलकर्ता मानसिक क्रूरता का दावा कर सकता है, क्योंकि उसकी पत्नी काफी समय से अलग रही है.

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