
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. मंदिर के गर्भग्रह में रामलला विराजमान हो चुके हैं. अयोध्या में रामोत्सव और जश्न की तैयारियां जोर-शोर से हो रही हैं. हर तरफ सजावट हो रही है. इस सबके बीच अयोध्या में दुनिया का सबसे बड़ा दीपक भी जल चुका है. लगभग 300 फीट डायामीटर का ये दीपक 1008 टन मिट्टी से बना है. इतना ही नहीं, इस दीपक को लगातार जलाए रखने में 21 हजार लीटर से अधिक तेल का उपयोग किया जाएगा.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस विशाल दीपक को तैयार कराने वाले जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने बताया, "यह दीपक 1.25 क्विंटल कपास और 21000 लीटर तेल का इस्तेमाल करके जलाया जाएगा. इसको तैयार करने में देशभर के विभिन्न स्थानों की मिट्टी, पानी और गाय के घी का उपयोग किया गया है. यह दुनिया का सबसे बड़ा दीपक है."
जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने दिवाली के त्योहार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "जब भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए तो लोगों ने इसे दिवाली के रूप में मनाया. हमने सोचा कि हम राम मंदिर में एक और दिवाली शुरू कर सकते हैं क्योंकि रामलला की प्रतिमा अयोध्या में विराजमान होगी."
उन्होंने भव्य दीपक तैयार करने के कार्य को पूरा करने में लगी कड़ी मेहनत के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, "यह कोई आम दीया नहीं है. इसे तैयार करने में हमारी 108 टीमों ने एक साल तक मेहनत की. इस दीये को पूरा करना कोई आसान काम नहीं था. यह दीया दुनिया की सबसे बड़ी दिवाली का प्रतीक है. यह अनोखा इसलिए भी है क्योंकि इसमें विशेष रूप से सीता माता की पैतृक मातृभूमि से तेल लाया गया है."
रामलला गर्भगृह में विराजमान हुए
बता दें कि गुरुवार को जब रामलला को गर्भगृह में स्थापित किया गया था, तब प्रतिमा कपड़ों से ढकी हुई थी. फिर देर रात दूसरी तस्वीर सामने आई, जिसमें रामलला की मूर्ति पर आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी, इस पट्टी को 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के दौरान हटाया जाएगा. मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है. जबकि पुष्प के साथ मूर्ति की ऊंचा 8 फीट हो जाएगी. मूर्ति को कृष्ण शिला से तैयार किया गया है. बता दें कि 19 जनवरी से अस्थाई मंदिर में रामलला के दर्शन भी बंद हो गए हैं. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद नए मंदिर में 23 जनवरी से श्रद्धालुओं को दर्शन मिलेंगे.
पुरानी मूर्ति को नए मंदिर में रखा जाएगा
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि रामलला की मूर्ति जो वर्तमान में अस्थायी मंदिर में है, उसे भी नए मंदिर में उसी स्थान पर रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि शुक्रवार शाम की पूजा के बाद पुरानी मूर्ति को नए मंदिर में रखा जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद ही लोग दोनों मूर्तियों की पूजा कर पाएंगे. सत्येंद्र दास ने कहा कि दोनों मूर्तियां गर्भगृह में होंगी. अगर पुरानी मूर्ति सिंहासन के साथ गर्भगृह में जाएगी तो नई मूर्ति के बगल में रखा जाएगा, अगर सिंहासन नहीं होगा तो छोटी मूर्ति को सामने रखा जाएगा.
(न्यूज एजेंसी के इनपुट के साथ)