
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के लिए बड़ा फैसला लिया है. इसके तहत अब सभी डीएम और कमिश्नर को अपने-अपने जिलों में निवेश और रोजगार सृजन के संबंध में स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट (Self Assesment Report) देनी होगी. डीएम और कमिश्नर की इस रिपोर्ट का उल्लेख उनकी एसीआर (परफॉर्मेंस रिपोर्ट) में किया जाएगा. आने वाले दो तीन हफ्तों के अंदर इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा.
यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस बाबत पूरी डिटेल दी है. उन्होंने बताया कि कमिश्नर और डीएम के क्षेत्र में निवेश को लेकर भी रिपोर्ट तैयार होगी. निवेश में डीएम और कमिश्नर की भूमिका को बढ़ाया जाएगा.
बकौल मुख्य सचिव- प्रदेश में निवेश को लेकर DM, कमिश्नर की भूमिका बड़ी है. ऐसे में सालाना ACR में DM, कमिश्नर को अपने जिले में निवेश, लोन संबंधी प्रगति को लिखना होगा. डीएम के ACR में निवेश के आधार पर ग्रेडिंग होगी. डीएम के बेहतर परफॉर्मेंस पर उनको सम्मानित करने का भी काम किया जाएगा.
मुख्य सचिव ने आगे कहा कि उन्नाव, बलरामपुर, श्रावस्ती जैसे जिलों का क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो, कैश डिपॉजिट रेशियो कम है. हर साल के अप्रैल में क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो डीएम और कमिश्नर को बताया जाएगा. डीएम के प्रयास से निवेश कहां आया यह भी महत्वपूर्ण होगा.
मुख्य सचिव मनोज सिंह के मुताबिक, 12 लाख करोड़ के डिपॉजिट में सबसे बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र का है और दूसरे नंबर पर यूपी है. एग्रीकल्चर सेक्टर में ग्रोथ के लिए सरकार ने बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं.
जनप्रतिनिधियों को प्रोटोकॉल के अनुसार सम्मान दें
इससे पहले मुख्य सचिव मनोज सिंह ने सभी कमिश्नर और डीएम से कहा था कि जनप्रतिनिधियों को प्रोटोकॉल के अनुसार पूरा सम्मान दिया जाए. मनोज सिंह ने ये भी कहा था कि अधिकारी अपने संबंधित विधायक व सांसद के फोन नंबर अपने मोबाइल में सेव रखें. कॉल आने पर उनकी बातों को सुनें यदि बैठक में व्यस्त हैं तो बाद में उन्हें कॉल बैक करें.
दरअसल, मुख्य सचिव ने बीते शुक्रवार को सभी डीएम और कमिश्नर के साथ विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की थी. इस बैठक में मुख्य सचिव ने कहा था कि मंडल और जिला स्तर पर आयोजित होने वाली बैठकों में जिन जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाता है, वहां उनके प्रोटोकॉल के अनुसार सम्मानजनक व्यवस्था की जाए. साथ ही उनके माध्यम से मिलने वाली जन शिकायतों व समस्याओं को प्राथमिकता पर निस्तारित करें.