
सालों बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बंगाली मुसलमानों के पवित्र धार्मिक स्थल फुरफुरा शरीफ का दौरा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. लगभग नौ साल बाद ममता बनर्जी आज हुगली ज़िले के जंगीपाड़ा में फुरफुरा शरीफ के दरबार पहुंच रही हैं.
यहां वह पीरजादा तोहा सिद्दीकी से मुलाकात करेंगी. इस दौरान फुरफुरा शरीफ के विकास पर बातचीत होगी. ममता इस दौरान यहाँ पर इफ़्तार समारोह में भी शामिल हो सकती है. ममता बनर्जी के इस दौरे को शुभेंदु अधिकारी ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कहा है. शुभेंदु का कहना है कि वह मुस्लिम वोट बैंक कंसोलिडेट करने के लिए फुरफुरा जा रही हैं. चुनाव आता है तो मुसलमानों की याद आती है. 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले और पूरा शरीफ़ गई थी और अब 22026 में चुनाव है इसलिए वो जा रही है.
सियासी दौरा
बहरहाल ममता बनर्जी के इस दौरे के पीछे की राजनीति को समझने के लिए फुरफुरा शरीफ़ को समझना ज़रूरी है. बंगाल में फुरफुरा शरीफ मुसलमानों के लिए बेहद पवित्र तीर्थ स्थल है. यहां बहुत प्रमुख पीर मोहम्मद अबू बकर सिद्दीक़ी की मज़ार है जो बंगाली मुसलमानों के लिए खास मायने रखती है.
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इंडियन सेक्युलर फ्रंट के नेता और पश्चिम बंगाल के विधायक नौशाद सिद्दीकी पीर मोहम्मद अबू बकर सिद्दीकी के वंशज हैं. नौशाद सिद्दीकी के भाई पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने ही 2021 विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ इंडियन सेक्युलर फ़्रंट की स्थापना की थी. और पिछले पांच सालों इंडियन सेक्युलर फ़्रंट ने पश्चिम बंगाल के कई मुस्लिम बहुल इलाक़े में अपनी गहरी पैठ बना ली है और ख़ास तौर पर दक्षिण परगना वह उत्तर 24 परगना पार्टी का अच्छा विस्तार किया है.
पिछले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट को वोट कटवा पार्टी के तौर पर साबित करने की कोशिश की क्योंकि इंडियन सेक्युलर फ्रंट का वोट बैंक भी मुस्लिम वोट बैंक है और तृणमूल कांग्रेस भी इन इलाकों में मुस्लिम वोट बैंक से ताल्लुक रखती हैं.
ममता बनर्जी ने पिछले सप्ताह ही राज्य सचिवालय में नौशाद सिद्दीकी से मुलाकात की थी. इस मुलाक़ात के बाद से ही चर्चा का बाज़ार गर्म हो गया कि क्या नौशाद सिद्दीकी तृणमूल कांग्रेस में जाने की सोच रहे हैं. और इस मुलाक़ात के एक सप्ताह बाद ही ममता बनर्जी का फुरफुरा शरीफ़ का दौरा कई मायनों में बंगाल की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
चुनाव से 1 साल पहले ही सक्रिय हुईं ममता
इस बार 2026 के विधानसभा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही ममता बनर्जी काफ़ी सक्रिय हो चुकी हैं. पश्चिम बंगाल के दीघा में जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन हो या फिर राज्यभर के TMC कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाकर उन्हें चुनाव की तैयारी करने के लिए कहना. ममता बनर्जी ने अभी से ज़िलों का दौरा भी शुरू कर दिया है. ऐसे में एक ओर पश्चिम बंगाल में पुरी जगन्नाथ धाम की तर्ज पर भव्य जगन्नाथ मंदिर का निर्माण हिंदू वोट बैंक खींचने की कोशिश है.
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तो दूसरी ओर इस बार ममता बनर्जी इंडियन सेक्युलर फ़्रंट के ज़रिए मुस्लिम वोट बैंक में दरार नहीं चाह रही है और अभी से कोशिश कर रही है कि मुस्लिम वोट बैंक सिर्फ और सिर्फ TMC को वोट दे. ममता बनर्जी का फुरफुरा शरीफ़ का दौरा इसी कड़ी में देखा जा रहा है.
मुस्लिम और हिंदू, दोनों वोट बैंक पर है नजर
इसके पीछे की वजह भी साफ़ है. अगर हम 2009 के चुनावों से देखें तो साफ़ झलकता है कि मुस्लिम वोट बैंक ममता बनर्जी के साथ रहा है. और इस मुस्लिम वोट बैंक की बदौलत ममता बनर्जी लगातार TMC को पश्चिम बंगाल में आगे बढ़ाने में सफल रही है. हालांकि इस बीच प्रमुख विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक भी लगभग 40 प्रतिशत के आस पास पहुंच चुका है.
ऐसे में इस बार ममता बनर्जी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. ममता बनर्जी हिंदू वोट बैंक को भी बिखरकर BJP की ओर जाने देना नहीं चाहती है और उनकी भरपूर कोशिश है कि मुस्लिम वोट बैंक भी इस बार किसी भी तरह किसी दूसरी पार्टी की ओर न बिखरे.