
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले में अहम जानकारी सामने निकलकर आई है. आजतक के हाथ जो दस्तावेज हाथ लगे हैं उससे पता चलता है कि जूनियर डॉक्टरों ने 9 अगस्त को एक टीम बनाई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मृतक डॉक्टर का पोस्टमार्टम नियमों के अनुसार किया जाए और मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया जाए.
इस बात पर सहमति बनी कि उस टीम के सदस्य अटॉप्सी के दौरान मौजूद रहेंगे. ताकि वे किसी भी गड़बड़ी को देखते ही तुरंत विरोध कर सकें. दरअसल आरजी कर अस्पताल की रेप पीड़िता महिला डॉक्टर के शव परीक्षण पर कई सवाल उठे थे. जूनियर डॉक्टरों द्वारा अटॉप्सी के दौरान पारदर्शिता नहीं बरतने और सबूतों से छेड़छाड़ करने के गंभीर आरोप लगाए गए. सिविल सोसायटी के एक बड़े वर्ग ने फैक्ट्स को दबाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया.
रिपोर्ट को लेकर उठे थे सवाल
विरोध कर रहे जूनियर डॉक्टर भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर मुखर हैं. लेकिन अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक और दस्तावेज वायरल हुआ है, जो विरोध कर रहे जूनियर डॉक्टरों द्वारा लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से चुनौती देता है. दस्तावेज से पता चलता है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पोस्टमार्टम के दौरान 5 जूनियर डॉक्टर खुद मौजूद थे.
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सूत्रों के मुताबिक, विरोध कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने मांग की थी कि उनमें से कुछ को पोस्टमार्टम कक्ष के अंदर रखा जाए ताकि यह पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हो. जूनियर डॉक्टरों ने यह सुनिश्चित करने के लिए 9 अगस्त को एक टीम बनाई कि अभया का पोस्टमार्टम नियमों के मुताबिक हो और एसओपी का पालन किया जाए. यह सहमति बनी कि उस टीम के सदस्य पोस्टमार्टम के दौरान मौजूद रहेंगे. ताकि वे किसी भी गड़बड़ी को देखते ही तुरंत विरोध कर सकें.
5 डॉक्टरों के हैं रिपोर्ट पर हस्ताक्षर
अस्पताल प्रशासन ने उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और बलात्कार पीड़िता के पोस्टमार्टम के दौरान 5 जूनियर डॉक्टरों को रहने की अनुमति दी. सूत्रों का दावा है कि जूनियर डॉक्टरों द्वारा एक हाउस स्टाफ और 4 पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएशन ट्रेनी) डॉक्टरों को नामित किया गया था और वे जांच के दौरान मौजूद थे. पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने कोई आपत्ति नहीं जताई और अपनी संतुष्टि जाहिर की. दस्तावेज से पता चलता है कि इस पर उन 5 डॉक्टरों के हस्ताक्षर हैं. इनमें से एक न्यूरोलॉजी विभाग का हाउस स्टाफ है, दो पीजीटी डॉक्टर स्त्री रोग विभाग से हैं, दो पीजीटी डॉक्टर चेस्ट मेडिसिन विभाग से हैं.
विरोध कर रहे डॉक्टरों पर उठे सवाल
स्तावेज पर आरजी कर अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन के एचओडी डॉ. अपूर्वा बिस्वास के भी हस्ताक्षर हैं. पोस्टमार्टम उन्हीं की अध्यक्षता में किया गया था. पेज के शीर्ष पर लिखा था कि "हम पोस्टमार्टम के दौरान मौजूद थे और हम संतुष्ट हैं". अब सवाल यह है कि जूनियर डॉक्टर अपने नामित प्रतिनिधियों की मौजूदगी के बावजूद पोस्टमार्टम को लेकर आरोप क्यों लगा रहे हैं?
सबसे दिलचस्प बात यह है कि तीन "संतुष्ट" डॉक्टर भी मौजूदा विरोध का अहम हिस्सा हैं. वे अस्पताल प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कथित विसंगति जूनियर डॉक्टरों के आरोपों में से एक थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जूनियर डॉक्टर पोस्टमार्टम के दौरान अपनी मौजूदगी के बारे में पूरी तरह चुप रहे.