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प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर्स का मानवीय चेहरा! स्वस्थ्य भवन के बाहर बीमार पड़ी महिला पुलिसकर्मी की बचाई जान

कोलकाता में जूनियर डॉक्टर्स इस समय स्वास्थ्य भवन के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार रात नारेबाजी और आंदोलन के बीच जूनियर डॉक्टर्स ने ड्यूटी पर तैनात ण्क महिला पुलिसकर्मी की जान बचाकर मिसाल पेश की है.

कोलकाता में महिला पुलिसकर्मी की तबीयत बिगड़ी तो प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने तत्काल प्राथमिक उपचार दिया. कोलकाता में महिला पुलिसकर्मी की तबीयत बिगड़ी तो प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर्स ने तत्काल प्राथमिक उपचार दिया.
राजेश साहा
  • कोलकाता,
  • 12 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

कोलकाता रेप और मर्डर केस से नाराज जूनियर डॉक्टर्स विभिन्न मांगों को लेकर स्वास्थ्य भवन के सामने विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच, बुधवार रात प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर्स का मानवीय चेहरा देखने को मिला है. यहां ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिस कर्मी की तबीयत बिगड़ी तो जूनियर डॉक्टर्स ने तत्काल प्राथमिक उपचार दिया और उसकी जान बचा ली.

दरअसल, साल्टलेक में स्वास्थ्य भवन के बाहर जूनियर डॉक्टर्स धरना दे रहे हैं. यहां प्रदर्शकारियों को रोकने के लिए विधाननगर पुलिस ने बैरिकेड लगाए हैं और कुछ कर्मचारियों की तैनाती की है. बुधवार रात प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टर बिप्रेश चक्रवर्ती ने देखा कि महिला पुलिस कांस्टेबल की तबीयत बिगड़ रही है और वो अस्वस्थ महसूस कर रही है. जूनियर डॉक्टर तत्काल मौके पर पहुंचे और प्राथमिक उपचार दिया. जब महिला पुलिस कांस्टेबल की तबीयत ठीक हो गई तो उसने प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स के प्रति आभार जताया है.

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जूनियर डॉक्टर्स ने देखा तो तुरंत उपचार किया

जूनियर डॉक्टर बिप्रेश चक्रवर्ती वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा संचालित एसएसकेएम अस्पताल में डीएम रेजिडेंट के रूप में कार्यरत हैं. बिप्रेश बताते हैं कि उन्होंने महिला पुलिस कर्मी को असहज महसूस करते देख लिया था. दौड़कर मौके पर पहुंचे. महिला पुलिसकर्मी को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. हमने प्राथमिक उपचार देना शुरू किया तो साथी जूनियर डॉक्टर फाल्गुनी भट्टाचार्य भी वहां पहुंच गई. उन्होंने बैग से स्टेथोस्कोप निकाला और जांच के लिए डॉ. बिप्रेश को दिया. फाल्गुनी कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में कार्यरत हैं.

डॉ. बिप्रेश चक्रवर्ती ने आजतक से बातचीत में कहा, जब मैंने जांच की तो पाया कि महिला पुलिस कांस्टेबल को अस्थमा की समस्या बढ़ गई है और मामला सीरियस हो गया है. सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रही थीं. अंदर हवा नहीं पहुंच रही थी और वो सांस भी नहीं छोड़ पा रही थीं. उन्हें तुरंत ब्रोन्कोडायलेटर थेरेपी की जरूरत थी, लेकिन उनके पास कोई इनहेलर नहीं था. हमारे एक जूनियर ने खुद ही पुलिस कर्मी को खुराक दी. उन्हें थोड़ा बेहतर महसूस होने लगा. बाद में पता चला कि मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज की डॉ. निवेदिता ने अपने बैग से डॉ. बिप्रेश को अपना इन्हेलर दिया.

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जूनियर डॉक्टर्स ने रास्ते में दिया ऑक्सीजन सपोर्ट

इस दौरान बिधाननगर पुलिस ने बीमार महिला पुलिसकर्मी को नजदीकी अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस का इंतजाम किया. कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ पीजीटी डॉ. अरिम्पा साहा समेत दो जूनियर डॉक्टर्स के साथ महिला पुलिसकर्मी को एक निजी अस्पताल ले जाया गया, वहां उन्हें भर्ती कराया गया. रास्ते में दोनों जूनियर डॉक्टर्स ने उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट दिया. 

सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल महिला पुलिसकर्मी का स्वास्थ्य अब ठीक है और उनकी हालत स्थिर है. डॉ. बिप्रेश चक्रवर्ती ने आजतक को बताया, घटना के बाद एक वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी ने मुझसे मुलाकात की और मुझे धन्यवाद दिया. उन्होंने मुझसे कहा, महिला पुलिसकर्मी की जिंदगी खतरे में थी और आप तत्काल प्रयास नहीं करते तो शायद खतरा बढ़ सकता था. आप लोगों ने उसकी जान बचाई है. आप सभी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. 

डॉ. चक्रवर्ती बताते हैं कि वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी इतनी भावुक हो गईं कि वो फिर से मेरे पास आईं और काफी देर तक बात करती रहीं और मुझे बार-बार धन्यवाद दिया. हमने अपना काम किया है जो हमें करना चाहिए. लोगों की जान बचाना ही हमारा एकमात्र काम है.

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