अफगानिस्तान के विकास में अहम भूमिका निभाने के लिए भारत की तारीफ हो रही है तो पाकिस्तान की तालिबान की मदद करने के लिए आलोचना. तालिबान से जूझ रहे अफगानिस्तान में पर्दे के पीछे से युद्ध थोपने के लिए पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है. सोशल मीडिया पर हैशटैग #SanctionPakistan ट्रेंड में है. अमेरिका ने भी पाकिस्तान से आतंकियों की मदद बंद करने को कहा है जबकि भारत की तारीफ की है.
अमेरिका ने स्वीकार किया कि भारत ने अतीत में अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका निभाई है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने अपने डेली ब्रीफिंग में सोमवार को कहा, "भारत ने अतीत में प्रशिक्षण और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार के मामले में अफगानिस्तान में रचनात्मक भूमिका निभाई है. अफगानिस्तान पर भारत-अमेरिका सहयोग के बारे में पूछे जाने पर जॉन किर्बी ने कहा कि अफगानिस्तान को स्थिरता और सुशासन बनाए रखने में मदद का प्रयास हमेशा स्वागत योग्य है.
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एक सवाल के जवाब में किर्बी ने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा पर मौजूद पनाहगाहों (आतंकी ठिकानों) के बारे में अमेरिका पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ बातचीत कर रहा है. हम इस बात को लेकर सावधान हैं कि ये पनाहगाह अफगानिस्तान में असुरक्षा और अस्थिरता के लिए जिम्मेदार हैं. हम पाकिस्तानी नेताओं के साथ इस तरह की चर्चा करने से कतराते नहीं हैं.
जॉन किर्बी ने कहा, हम इस बात से अवगत हैं कि इन इलाकों में होने वाली आतंकी गतिविधियों के चलते पाकिस्तानी लोग भी शिकार होते हैं. लिहाजा हम इन ठिकानों को बंद करने और तालिबान की मदद करने वाले नेटवर्क को बंद करने के महत्व को हम सब जानते हैं. हम इस संदर्भ में पाकिस्तानी नेताओं से बातचीत कर रहे हैं.
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इस बीच, कनाडा के राजनयिक क्रिस अलेक्जेंडर ने अफगानिस्तान में हिंसा के लिए जिम्मेदार बताते हुए पाकिस्तान पर बंदिश लगाने की मांग कही है. ट्विटर पर #sanctionpakistan के साथ क्रिस अलेक्जेंडर ने ट्वीट किया, अफगानिस्तान पर पाकिस्तान का हमला संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत एक सशस्त्र हमला और आक्रामकता का कार्य है. अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इंटरनेशनल कम्युनिटी को अनुच्छेद 41 या 42 के तहत कार्रवाई करनी चाहिए.
क्रिस अलेक्जेंडर ने लिखा, दुर्भाग्य से कई देश अब अपने ही लोगों का दमन कर रहे हैं या जनरलों के अधीन हैं. आज केवल एक देश सशस्त्र ठगों के साथ पड़ोसी देश पर अटैक कर रहा है जो नागरिकों के घरों को तबाह कर रहे हैं. क्रिस अलेक्जेंडर पहले भी कह चुके हैं कि पाकिस्तान पर पाबंदी लगाए बिना अफगानिस्तान में स्थायी तौर पर सीजफायर मुमकिन नहीं है. प्रॉक्सी वॉर खत्म हो, पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगे.
अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने पाकिस्तान पर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने अपने पड़ोसी मुल्क पर पाबंदी लगाने की मांग की है. अमरुल्ला सालेह ने ट्वीट किया, हम संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से आह्वान करते हैं कि वे तालिबान की हिंसा और क्रूरता के शिकार लोगों की मदद करने में हमारे साथ आएं. तालिबान की क्रूरता और बलात्कार के शिकार के लोग शरण लिए हैं. काबुल की गलियों का मंजर दर्दनाक दर्दनाक है. पाकिस्तान पर पाबंदी लगे.
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बैकफुट पर पाकिस्तानः अफगानिस्तान को लेकर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में नहीं बुलाने पर पाकिस्तान भारत पर भड़क उठा है. भारत इस समय यूएनएससी की अध्यक्षता कर रहा है. भारत की सहमति के बिना यूएनएससी की बैठक में सदस्य देशों के अलावा कोई भी अन्य देश शामिल नहीं हो सकता है. इसी बात को लेकर पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी खीज निकाल रहा है.
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सफाई देते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान के मौजूदा हालात के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान को दोष देने के बजाय, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात पर विचार करना चाहिए कि "अफगानिस्तान में खर्च की गई राशि कहां गई?"
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शाह मोहम्मद कुरैशी ने अफगान नेतृत्व को सुझाव दिया कि पाकिस्तान को दोष देने में अपनी ऊर्जा बर्बाद करने के बजाय, उन्हें एक अफगान-नेतृत्व वाली और अफगान-स्वामित्व वाली प्रक्रिया के माध्यम से समावेशी और व्यापक-आधारित राजनीतिक समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
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भारत के पास वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता है. कुरैशी ने यूएनएससी की अफगानिस्तान के मुद्दे पर बैठक में पाकिस्तान को शामिल ना किए जाने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की.
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कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान को बहस के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए था, यह देखते हुए कि वह न केवल अफगानिस्तान का पड़ोसी था, बल्कि युद्धग्रस्त देश में शांति और स्थिरता में प्रत्यक्ष हितधारक भी था. उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान के अनुरोध को स्वीकार नहीं करके यूएनएससी के मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है.
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अफगानिस्तान समेत कई मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान आमने-सामने हैं. इस्लामाबाद अक्सर अफगान मामलों में भारत की प्रमुख भूमिका का विरोध करता है.