अमेरिकी सरकार ने ड्रोन हमला करके अलकायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया. हमला करने के लिए अमेरिका की सबसे बड़ी जासूसी संस्था CIA ने जिस मिसाइल का उपयोग किया है, उसका नाम है R9X Hellfire Missile. इस मिसाइल की खासियत ये है कि इसमें बारूद कम लेकिन ब्लेड्स और धारदार धातुओं का उपयोग ज्यादा किया जाता है. ये ब्लेड्स विस्फोट के बाद टारगेट को चक्र की तरह घूमते हुए चीर-फाड़ डालते हैं. (फोटोः गेटी)
R9X हेलफायर मिसाइल को ड्रोन, हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट से दागा जा सकता है. इसकी नाक पर कैमरे, सेंसर्स लगे होते हैं. जो विस्फोट से पहले तक रिकॉर्डिंग करते रहते हैं. साथ ही विस्फोट से पहले टारगेट की सही स्थिति का पता लगाते रहते हैं. पिछले दो वर्षों में अमेरिका ने इन मिसाइलों का उपयोग तेजी से बढ़ा दिया है. पिछले साल काबुल एयरपोर्ट के धमाके का बदला लेने के लिए अमेरिका ने इन मिसाइलों का उपयोग किया था. (फोटोः गेटी)
अमेरिका ने जिस हेलफायर मिसाइल का उपयोग किया है. उसे R9X कहते हैं. इसमें बारूद की मात्रा बेहद कम होती है. इसमें तेज धार वाले धातु के ब्लेड्स होते हैं. जो अलग-अलग लेयर में लगाए जाते हैं. बारूद का विस्फोट इन्हें सिर्फ तेजी से आगे बढ़ने की ताकत देता है. फटने पर छह ब्लेड्स का एक सेट निकलता हैं. इनके सामने आने वाला कोई भी इंसान कई टुकड़ों में कट जाता है. इससे सिर्फ उसी टारगेट को नुकसान पहुंचता है, जिसे निशाना बनाया जाता है. आसपास नुकसान कम होता है. (फोटोः गेटी)
हेलफायर मिसाइल के कई वैरिएंट्स है. उनमें से एक है R9X वैरिएंट. यह वैरिएंट 45 किलोग्राम का होता है. इस मिसाइल को निंजा बॉम्ब (Ninja Bomb) और फ्लाइंग गिंसू (Flying Ginsu) भी कहते हैं. निंजा इसलिए क्योंकि निंजा मार्शल आर्टिस्ट ज्यादातर तेजधार हथियारों का उपयोग करते हैं. फ्लाइंग गिंसू यानी उड़ने वाला चाकू. इस मिसाइल से कोलैटरल डैमेज यानी आसपास ज्यादा नुकसान नहीं होता. यह मिसाइल किसी एक-दो इंसान को मारने के लिए दागी जाती है. (फोटोः गेटी)
अमेरिका ने R9X हेलफायर मिसाइल का उपयोग रहस्यमयी तरीके से 2017 में शुरु कर दिया था. लेकिन इसकी जानकारी 2019 में दुनिया के सामने आ गई. अमेरिका ने इसी मिसाइल का उपयोग करके साल 2000 में यूएसएस कोले बमबारी में मुख्य आरोपी जमाल अहम मोहम्मद अल बदावी और अलकायदा के प्रमुख आतंकी अबु खार अल-मसरी को मारा था. यह मिसाइल का उपयोग सीरिया और अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ भी किया जा चुका है. (फोटोः गेटी)
अमेरिका के मुताबिक साल 2020 में R9X हेलफायर मिसाइल का उपयोग दो बार किया गया था. सीरिया में अलकायदा के कमांडर्स को मारने के लिए. वहीं, सितंबर 2020 में युद्ध के दौरान छह बार इसका उपयोग किया गया. इस मिसाइल की खास बात ये है कि अमेरिका में मौजूद 8 प्रकार के हेलिकॉप्टर से लॉन्च की जा सकती है. यह 7 अलग-अलग तरह के विमानों, पेट्रोल बोट या हमवी (Humvee) से भी लॉन्च की जा सकती है. यानी इसे कहीं से भी दागा जा सकता है. (फोटोः गेटी)
R9X हेलफायर मिसाइल दागो और भूल जाओ तकनीक पर काम करती है. इसे ड्रोन में भी सेट करके दागते हैं. जैसा पिछले शनिवार को अफगानिस्तान में हुआ. इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि मजबूत से मजबूत बंकर, बख्तरबंद गाड़ियों, टैंक और काफी मोटी कॉन्क्रीट की दीवार को फोड़कर विस्फोट करने में सक्षम होती है. आमतौर पर इसके वैरिएंट्स का वजन 45 से 49 किलोग्राम होता है. (फोटोः गेटी)
हेलफायर मिसाइलों का वैरिएंट का लंबाई अधिकतम 64 इंच यानी 1.6 मीटर होती है. इनका व्यास 7 इंच होता है. इस मिसाइल में पांच तरीके के वॉरहेड यानी हथियार लगाए जा सकते हैं. एंटी-टैंक हाई एक्सप्लोसिव, शेप्ड चार्ज, टैंडम एंटी-टेरर, मेटल ऑगमेंटेड चार्ज (R9X) और ब्लास्ट प्रैगमेंटेशन. इसके पंख 13 इंच के होते हैं. (फोटोः गेटी)
इस मिसाइल की रेंज 499 मीटर से लेकर 11.01 किलोमीटर तक होती है. रेंज इस मिसाइल के वैरिएंट पर निर्भर करता है. इस मिसाइल की अधिकतम गति 1601 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह लेजर और राडार सीकर टेक्नोलॉजी पर उड़ती है. यानी आप इसे राडार के माध्यम से लेजर के जरिए दोनों तरीके से ऑपरेट करके टारगेट पर निशाना लगा सकते हैं. (फोटोः गेटी)
फिलहाल, भारत भी इस तैयारी में है कि वो अमेरिका रीपर ड्रोन और हेलफायर मिसाइलों को खरीद कर अपनी सेनाओं में तैनात कर सके. इसकी योजना काफी दिनों से बन रही है. भारत अमेरिका से MQ-9 रीपर ड्रोन और साथ में हेलफायर मिसाइल खरीदने की तैयारी में है. रीपर ड्रोन बेहद शांति से निगरानी करते हुए आसमान में उड़ता रहता है. उसमें लगे हेलफायर मिसाइल दुश्मन के किसी भी टारगेट को नष्ट कर सकते हैं. (फोटोः गेटी)