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रमजान: बहरीन में रोजे के दौरान खाने-पीने पर सख्ती, हो जाएगी जेल

aajtak.in
  • दुबई,
  • 24 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST
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दुनियाभर में रमजान का महीना चल रहा है और लोग रोजा रख रहे हैं. इस बीच, बहरीन ने कहा है कि रमजान के रोजे के घंटों के दौरान जो लोग सार्वजनिक तौर पर खाते-पीते मिलेंगे, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. खाड़ी के कई देशों में रमजान के दौरान बाहर खाना-पीने पर रोक रहती है और ऐसा करना अपराध माना जाता है. हालांकि, दुबई ने अपने इस नियम में इस बार तब्दीली की है और रेस्टोरेंट पर परदा लगाने की अनिवार्यता खत्म कर दी है.

(फाइल फोटो-Getty Images)  

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बहरहाल, बहरीन में रमजान में रोजा के दौरान खुले में किसी के खाते-पीते पाए जाने पर जुर्माने के साथ एक साल तक जेल की सजा दी जा सकती है. यदि दिन में कोई खाना-पीना चाहता है तो उसे घर के अंदर यह सब करना होगा.  (फाइल फोटो-Getty Images)

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इस्लाम में पांच प्रमुख कर्तव्यों में से रमजान के दौरान रोजा रखना सभी वयस्क मुसलमानों के लिए अनिवार्य होता है. इस दौरान रोजेदार को सुबह से शाम तक खाना-पीना और धूम्रपान से दूर रहना होता है. रमजान में रोजेदार को सुबह की सहरी के बाद शाम में इफ्तार करना होता है.  

(फाइल फोटो-Getty Images)

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रोजा रखने वाले मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं. सूर्य के निकलने से पहले सहरी की जाती है, मतलब सुबह फजर की अजान से पहले खा सकते हैं. रोजेदार सहरी के बाद सूर्यास्त तक यानी पूरा दिन कुछ न खाते और न ही पीते है. सूर्य के अस्त होने के बाद इफ्तार करते हैं.

(फाइल फोटो-Getty Images)

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असल में, रोजा इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों (फाइल पिलर) में से एक है, जो सभी मुसलमानों पर फर्ज (जरूरी) है. पहला तौहीद यानी कलमा (अल्लाह को एक मानना उसके नबी के बताए रस्ते पर चलना), दूसरा नमाज (एक दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ना), तीसरा जकात (दान देना), चौथा रोजा (उपवास) और 5वां हज करना. 

(फाइल फोटो-Getty Images)

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फिलहाल, आम तौर पर उन लोगों को रोजा न रखने की सलाह दी जाती है जो किसी-न-किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. गर्भवती महिलाओं को भी रोजा न रखने की छूट हासिल है. दिन में बाहर सार्वजनिक स्थानों पर न खाने-पीने की मनाही वाला नियम इन पर भी लागू होता है. इन नियम-कायदों को न मानना इस्लामिक कानूनों का उल्लंघन माना जाता है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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बहरीन के पीनल कोड के अनुच्छेद 309 और 310 के तहत धार्मिक रीति-रिवाजों के नियमों का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है जिसके तहत दोषी पाए जाने पर एक साल की जेल, या जुर्माना लगाया जाता है. जुर्माने के तहत 265 डॉलर अथवा 100 बहरीन दीनार का आर्थिक दंड लगाया जाता है.

(फाइल फोटो-Getty Images)

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पुलिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि रमजान के दौरान तेज आवाज में बोलना भी धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन है. बहरीन के पीनल कोड के अनुच्छेद 309 के तहत रमजान में सार्वजनिक तौर पर तेज आवाज में बोलना, खाना-पीना और धूम्रपान वर्जित है. बयान में यह भी कहा गया है कि ये नियम मुस्लिम, गैर मुस्लिम, देश के नागरिकों और पर्यटकों सभी पर लागू होते हैं.

(फाइल फोटो-Getty Images)

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इस्लाम के मानने वाले हर बालिग शख्स पर रोजा फर्ज यानी जरूरी है. रमजान के पवित्र महीने में मुसलमान लोग रोजा रखते हैं. इस दौरान सूरज निकलने से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है. रमजान रहमतों और बरकतों का महीना है. इसीलिए हर मुस्लिम इस पूरे महीने में अल्लाह की इबादत करता है और चैरिटी (दान) सहित तमाम नेक काम करता है. 

(फाइल फोटो-Getty Images)

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इस्लाम के मानने वाले हर बालिग शख्स पर पर रोजा फर्ज यानी जरूरी है. रमजान के पवित्र महीने में मुसलमान लोग रोजा रखते हैं. इस दौरान सूरज निकलने से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है. रमजान रहमतों और बरकतों का महीना है. इसीलिए हर मुस्लिम इस पूरे महीने में अल्लाह की इबादत करता है और चैरिटी (दान) सहित तमाम नेक काम करता है. 

(फाइल फोटो-Getty Images)

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बता दें कि इस्लामी कैलेंडर का नौवें महीने को रमजान कहा जाता है. रमजान अरबी का शब्द और इस्लामिक महीना है. यह महीना रोजे के लिए खास किया गया है. रोजे को अरबी भाषा में सौम कहा जाता है. सौम का मतलब होता है रुकना, ठहरना यानी खुद पर नियंत्रण या काबू करना. 

(फाइल फोटो-Getty Images)

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