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कोरोना: चीनी वैक्सीन लगवाना इन देशों को पड़ा बहुत भारी! सच आया सामने

aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 04 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST
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बहरीन और सेशेल्स उन देशों में से हैं जिन्होंने अपने अधिकतर नागरिकों को चीनी वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफार्म लगवाई. लेकिन इसके बावजूद जब वहां कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो इन देशों ने फिर फाइजर की वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी.  संयुक्त अरब अमीरात का स्वास्थ्य विभाग दुबई में उन लोगों को फिर से फाइजर की वैक्सीन लगवा रहा है जिन्होंने चीन में निर्मित सिनोफार्म की पूरी खुराक लगवा ली थी. 

(फोटो-Getty Images)

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वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, बहरीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के बावजूद जब कोरोना के मामले बढ़ने लगे तो रिस्क ग्रुप में आने वाले नागरिकों को फाइजर और BioNTech SE की वैक्सीन की खुराक दी जाने लगी है. बहरीन स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव वलीद खलीफा अल मानिया ने बताया कि अब तक चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन बहरीन के 60 फीसदी से अधिक नागरिकों को लग चुकी है. हालांकि बहरीन में कोरोना की मौजूदा लहर में जिन 90 संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, उन्हें वैक्सीन नहीं लगी थी. उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित, मोटापे के शिकार और 50 साल से अधिक उम्र वाले बहरीन के लोगों को फिर से छह महीने बाद Pfizer-BioNTech की वैक्सीन लगवाने का अनुरोध किया गया है. 

(फोटो-Getty Images) 

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वलीद खलीफा अल मानिया ने बताया कि जिन नागरिकों ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है, उनके लिए अब Pfizer-BioNTech की वैक्सीन मुहैया कराई जा रही है. हालांकि चीन की वैक्सीन का विकल्प अब भी उपलब्ध है, लेकिन जो हर लिहाज से संवेदनशील हैं, उम्रदराज हैं, उन्हें फाइजर की वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जा रही है.  

(फोटो-Getty Images) 

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सिनोफार्म और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिल चुकी है. चीन ने सिनोफार्म और अपनी अन्य कोरोना वैक्सीन का अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया है. खासकर के विकासशील देशों में चीन ने वैक्सीन भेजी जो अमेरिकी या यूरोपीय देशों में बनी वैक्सीन खरीदने में सक्षम नहीं थे. 

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चीन के दोनों टीके निष्क्रिय वायरस से तैयार किए जाते हैं. यह टीका बनाने की पुरानी तकनीक है. वहीं फाइजर-बायोएनटेक ने आरएनए को नियोजित करने वाली एक नई तकनीक के जरिये वैक्सीन तैयार की है. गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले जनसंख्या समूहों के बीच सिनोफार्म की एफिकेसी पर प्रकाशित क्लिकल ​​डेटा बहुत कम है. चीनी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में ज्यादातर मध्य पूर्व में 40,382 प्रतिभागी शामिल थे, जिनमें से अधिकांश संयुक्त अरब अमीरात के थे.

(फोटो-AP) 

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जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में 26 मई को प्रकाशित अध्ययन में बताया कि सिनोफार्म सिम्पटोमेटिक मरीजों पर 78 फीसदी प्रभावी है. गंभीर मामलों में यह वैक्सीन कितनी उपयोगी है, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है. अध्ययन में इस बात का भी कोई डेटा नहीं था कि सिनोफार्म का टीका 60 साल से अधिक आयुवर्ग के मरीजों के लिए कारगर है या नहीं. 

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सर्बिया में सिनोफार्म को लेकर एक अन्य अप्रकाशित रिचर्स में बताया गया है कि चीनी टीके की दो खुराक लेने के बावजूद 150 प्रतिभागियों में से 29% में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी नहीं पाई गई. बेलग्रेड यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने वाली डॉक्टर ओल्गिका जुर्कोविच-जोकोविच ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया, "सिनोफार्मा वैक्सीन इम्युनिटी बनाने में पर्याप्त रूप से कारगर नहीं है, और ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव विशेष रूप से बुजुर्गों पर कम ही हो रहा है." उन्होंने बताया कि सिनोफार्म के ट्रायल में शामिल 150 लोगों में से 10 लोग कोविड-19 की चपेट में आने से बच नहीं सके. 

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इस संबंध में सिनोफार्म से सवाल किए गए लेकिन चीन की इस कंपनी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. कंपनी ने अब तक अपने टीके की एफिकेसी के बारे में सार्वजनिक रूप से सवालों का जवाब नहीं दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग से 12 मई की प्रेस ब्रीफिंग में सेशेल्स में सिनोफार्म लगवाने के बावजूद केस बढ़ने को लेकर प्रकाशित लेख पर सवाल किया गया था. हुआ चुनयिंग ने कहा कि लेख के जरिये चीन को हर मोर्चे पर बदनाम करने की मंशा उजागर हुई है.  

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बहरीन अपनी 47% आबादी का वैक्सीनेशन करा चुका है. वहीं अमेरिका में 41% और ब्रिटेन में 38% लोगों का टीकाकरण हो चुका है. बहरीन में कोरोना से रोजाना प्रति दस लाख की आबादी पर 12 मौतें हो रही है. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो यह आंकड़ा भारत की तुलना में 5 गुना अधिक है. हालांकि, बहरीन के अधिकारियों का यह भी मानना है कि छुट्टियों और रमजान के महीने में मिलने-जुलने के कारण भी कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई है.  

(फोटो-AP) 
 

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सेशेल्स में 65 फीसदी आबादी का टीकाकरण हो चुका है लेकिन फिर भी कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. WHO का कहना है कि कोरोना संक्रमित होने वालों में ज्यादातर वे लोग शामिल हैं जिन्होंने या तो वैक्सीन नहीं लगवाई या फिर जिन्होंने पहली डोज ली है. सेशेल्स का स्वास्थ्य मंत्रालय अपने नागरिकों को तीसरी खुराक दिलवाने पर विचार कर रहा है.

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संयुक्त अरब अमीरात ने मार्च में कहा था जिनमें दो खुराक लेने के बाद भी एंटीबॉडी नहीं बनी है, उन्हें सिनोफार्म की तीसरी डोज दी जा रही है. यूएई में भी अधिकतर लोगों को सिनोफार्म की वैक्सीन लगी है. लेकिन अब जो टीकाकरण से बच गए हैं उन्हें बहरीन की तरह ही दूसरी वैक्सीन लगाई जा रही है. दुबई में जिन लोगों को सिनोफार्म की दोनों खुराक दी जा चुकी थी उन्हें अब Pfizer-BioNTech की वैक्सीन देनी शुरू की है. दुबई की रहने वालीं वृंदा सथेश्वरन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से इसकी तस्दीक की है.

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सिनोफार्म के चरण तीन ट्रायल्स पर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में, यूएई सरकार ने दिसंबर में कहा था कि टीका बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए 86 प्रतिशत, मध्यम और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के 100 प्रतिशत कारगर है. दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम, सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वूसिक और फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने सार्वजनिक रूप से सिनोफार्म वैक्सीन ली है. 

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कई देश ऐसे हैं जो चीनी वैक्सीन के उत्पादन के लिए स्थानीय स्तर पर सिनोफार्म के निर्माण के लिए वैक्सीन प्लांट बना रहे हैं. लेकिन सवाल है कि सिनोफार्मा के प्रभावी ना दिखने के बाद अब उनका निर्णय क्या होगा?

(फोटो-Getty Images) 

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