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विश्व

47 साल बाद EU से अलग ब्रिटेन, पासपोर्ट-टैक्स समेत ये चीजें बदल जाएंगी

aajtak.in
  • 31 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST
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यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन की विदाई को यूरोपीय सांसदों की मंजूरी मिल चुकी है, इसके साथ ही आज यानी 31 जनवरी को ब्रिटेन औपचारिक रूप से ईयू से बाहर हो जाएगा. ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के बाद दुनियाभर की अर्थव्यस्था में बदलाव भी देखने को मिलेगा.

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दरअसल, ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन (EU) से जुड़े सांसद फेयरवेल पार्टी में भावुक दिखाई दिए. इन्हीं भावुक पलों के बीच यूरोपीय संघ से जुड़े 73 सांसदों ने फेयरवेल पार्टी में हिस्सा लिया. औपचारिक विदाई के बाद अब ब्रिटेन के बाहर होने की अंतिम प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

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ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से बाहर होने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. इस समझौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले साल के अंत में EU के 27 अन्य नेताओं के साथ वार्ता के बाद अंतिम रूप दिया था. ब्रिटेन 1973 में यूरोपीय संघ से जुड़ा था और अब 47 साल बाद उससे बाहर हो रहा है.

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ब्रिटेन के इस फैसले का असर न केवल ब्रिटेन पर बल्कि दुनिया के बाकी देशों पर भी पड़ेगा. एक अनुमान के मुताबिक ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को ही हर साल 53 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

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थिंक टैंक रैंड यूरोप और जर्मनी के बैर्टेल्समन फाउंडेशन के ताजा शोध में बताया गया है कि ब्रेक्जिट से ब्रिटेन में वस्तु और सेवाओं पर टैक्स लगेगा, लोगों को 45 हजार करोड़ का नुकसान होगा और प्रति व्यक्ति बोझ 68 हजार रुपये आएगा.

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वैश्विक अर्थव्यवस्था में यूरोपीय यूनियन की हिस्सेदारी 22% है और ब्रिटेन के हटने पर यह 18% रह जाएगी. इतना ही नहीं यूरोपीय यूनियन की आबादी में भी 13% की गिरावट आएगी.

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इसके अलावा लोगों की यात्राओं पर भी इसका असर पड़ेगा. यूरोपियन यूनियन में शामिल अन्य देशों के लोग अब बिना वीजा के ब्रिटेन नहीं जा पाएंगे. पहले ऐसा नहीं था क्योंकि यूनियन में शामिल देशों में नागरिक यूनियन के अन्य देशों में बिना वीजा के घूम सकते हैं.

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भारत पर असर: 

ब्रिटेन में निवेश करने वाला भारत तीसरा बड़ा देश है, ब्रिटिश मुद्रा पाउंड की कीमत घटने से इनके मुनाफे पर प्रभाव पडेगा. इसके अलावा यूरोप ने नए नियम बनाए तो भारतीय कंपनियों को नए सिरे से करार करने पड़ेंगे.

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क्यों हुआ ब्रेक्जिट: 

इसकी शुरुआत 2008 में हुई जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई थी. देश में महंगाई बढ़ गई थी, बेरोजगारी बढ़ गई थी. इसके बाद ब्रिटेन के राजनीतिक दलों को लगा कि अरबों पाउंड फीस देने के बाद भी ब्रिटेन को इससे बहुत फायदा नहीं हो रहा है और इसकी मांग उठी.

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(Photos: @borisjohnson)

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