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विश्व

मोदी सरकार ने चीन पर बदली अहम रणनीति? बढ़ी टकराव की आशंका

aajtak.in
  • 22 मई 2020,
  • अपडेटेड 6:05 PM IST
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ताइवान में साई इंग-वेन ने बुधवार को जब दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो समारोह में बीजेपी के दो सांसदों का भी बधाई संदेश दिखाया गया. बीजेपी के दोनों सांसद 41 देशों के प्रतिनिधियों में शामिल हैं जिन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति को बधाई संदेश दिया. भारत हमेशा से ताइवान को लेकर बीजिंग की 'वन चाइना पॉलिसी' को मानता रहा है और उसके साथ किसी भी तरह के कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं लेकिन अब इस नीति में बदलाव के संकेत मिलते दिख रहे हैं. ताइवान को चीन 'एक देश दो सिस्टम' का हिस्सा मानता है जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र मानता है. हॉन्गकॉन्ग भी इसी सिस्टम के तहत चीन का हिस्सा है.

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बीजेपी की सांसद मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान ने ताइवान की लोकतांत्रिक स्वरूप की तारीफ की. अपने साझा संदेश में बीजेपी सांसदों ने कहा, भारत और ताइवान दो लोकतांत्रिक देश हैं और स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार जैसे समान मूल्यों से जुड़े हुए हैं. पिछले कुछ सालों में भारत और ताइवान ने व्यापार, निवेश और लोगों के बीच मेलजोल के जरिए द्विपक्षीय संबंध मजबूत किए हैं.

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उसी दिन मीनाक्षी लेखी ने एक ट्वीट में चीन पर जमकर निशाना साधा. चीन की सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा था कि भारत चीन की जगह लेने का सपना देख रहा है. इस आर्टिकल को ट्वीट करते हुए बीजेपी सांसद ने जवाब दिया, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रोपेगैंडा मशीनरी की परेशानी समझी जा सकती है! जहां तक चीन की जगह लेने की बात है, हमें ऐसा करने की ना तो जरूरत है और ना ही ऐसी कोई इच्छा है. भारत का वैश्विक इतिहास में अपना स्थान रहा है और वह उस पर ही फिर से दावा कर रहा है.

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भारत को हमेशा ये चिंता रही है कि ताइवान से करीबी चीन के साथ संबंधों को बिगाड़ सकती है. 2016 में साई के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भारत ने ऐन वक्त पर दो सांसदों को भेजने का फैसला किया था. 1949 में चीनी गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से ही ताइवान पूरी तरह से स्वशासित रहा है. जहां ताइवान खुद को चीन से स्वतंत्र मानता है, वहीं चीन उसे एक प्रांत मानते हुए 'एक देश, दो व्यवस्था' के तहत अपने में मिलाने के लिए कोशिश करता रहा है.

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चीन का मानना है कि जरूरत पड़ने पर ताइवान का विलय बलपूर्वक भी किया जा सकता है. यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की भागीदारी के रास्ते में भी चीन बाधाएं खड़ी करता है. हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन में जब ताइवान को पर्यवेक्षक का दर्जा देने की मांग उठी तो चीन ने इसका विरोध किया. चीन कहता है कि ताइवान के साथ एक देश की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता है.

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ताइवान की सेंट्रल न्यूज एजेंसी (सीएनए) के मुताबिक, इस साल कोरोना वायरस की महामारी की वजह से विदेशी मेहमानों को इवेंट के लिए नहीं बुलाया गया था इसलिए देशों की तरफ से वीडियो रिकॉर्डिंग भेजी गई थीं. साई के समारोह में 41 देशों के 92 विदेशी प्रतिनिधि वर्चुअल तौर पर शामिल हुए जिसमें भारत की तरफ से दो सांसदों ने हिस्सा लिया.

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समारोह में भारत-ताइपेई एसोसिएशन के कार्यवाहक डायरेक्टर सोहांग सेन ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. भारत का ताइवान में कोई दूतावास नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के 194 सदस्य देशों में से 179 देशों के ताइवान के साथ राजनयिक संबंध नहीं हैं, भारत भी इनमें से एक है. सीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान के साथ संबंध रखने वाले 15 देशों में वेटिकन सिटी को छोड़कर सभी ने ताइवान की राष्ट्रपति को वीडियो संदेश भेजे.

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साई इंग वेन दोहराती रही हैं कि ताइवान 'वन चाइना' का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा, "हम 'एक देश, दो व्यवस्था' वाली दलील के नाम पर चीन का अधिपत्य नहीं स्वीकार करेंगे जिसमें ताइवान का स्टेटस कम कर दिया जाएगा.

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साई ने अपने पद की शपथ लेने के बाद दिए भाषण में कहा, हमने कब्जे और आक्रामकता के दबाव का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया है. हम तानाशाही से लोकतंत्र की तरफ आगे बढ़े हैं. एक वक्त था जब हम पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ गए थे लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद हमने लोकतंत्र और स्वतंत्रता के मूल्यों को संजोए रखा. साई के इस बयान के बाद चीन की तरफ से भी तुरंत प्रतिक्रिया आई. चीन ने कहा कि वह ताइवान की 'आजादी' के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेगा.

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चीन ताइवान की सरकार के साथ-साथ उन देशों का भी खुलकर विरोध करता है जो उसे समर्थन देने या उसके साथ संबंध मजबूत करने की कोशिश करते हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री ने इसी सप्ताह जब ताइवान के लोकतांत्रिक मूल्यों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति साई इंग को बधाई दी तो चीन ने अंजाम भुगतने तक की धमकी दे डाली थी.

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