चीन ने हाल ही में ताइवान पर हमला करने की प्रैक्टिस की. 70 से ज्यादा फाइटर जेट उड़ा दिए. करीब एक दर्जन जंगी जहाजों को समुद्र में उतार दिया. 7 से 10 अप्रैल तक चले इस मिलिट्री ड्रिल के पीछे का मकसद भी चीन ने साफ कर दिया है. चीन ने कहा कि यह ताइवान पर हमला करने की प्रैक्टिस थी. (सभी फोटोः एपी)
हैरानी इस बात की नहीं, चीन ऐसी हरकत कर रहा है. असल मकसद उसका ये था कि वो अपने नए एयरक्राफ्ट करियर शैंडोंग (Shandong) की टेस्टिंग कर सके. यह देख सके कि क्या उसका विमानवाहक युद्धपोत जंग की हालत में सही से काम कर सकता है या नहीं. ये जैसे ही पता चला दक्षिण चीन सागर में अमेरिका ने सतर्कता बढ़ा दी है.
चीन ने यह युद्धाभ्यास किया क्यों? क्योंकि ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन अमेरिका में जाकर वहां के नेताओं से मिल रही थीं. हालांकि इस युद्धाभ्यास में चीन ने ताइवान पर या उसके आसपास किसी तरह की मिसाइल की फायरिंग नहीं की. लेकिन पिछले साल जब अमेरिकी प्रवक्ता नैंसी पेलोसी ताइवान आई थीं, तब उनके जाने के बाद चीन ने मिसाइलें दागी थीं.
चीन पर लगातार यूरोपीय देशों और अमेरिका का दबाव है. इसलिए उसने किसी तरह की मिसाइल नहीं दागी. न ही रॉकेट फोर्स का इस्तेमाल किया. बस फाइटर जेट्स को ताइवान की सीमाओं को पार करने का आदेश दिया. साथ ही जंगी जहाजों को युद्ध के हालात के हिसाब से अलर्ट और तैनात रहने को कहा है.
चीन यह भी चाहता है कि अगले साल ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सत्ता को बेदखल कर के चीन ताइवान पर कब्जा जमा सकता है. इसका सबसे आसान इशारा मिलिट्री ड्रिल के दौरान मिला. इस इशारे के विरोध में अमेरिका और उसके मित्र देश, चीन की हालत खराब करने के लिए एकसाथ आ सकते हैं.
तीन दिन की मिलिट्री ड्रिल के दौरान चीन ने अपने पूर्वी तट से 320 किलोमीटर दूर अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट कैरियर शैंडोंग को तैनात किया था. यह सबसे बड़ी हैरानी वाली बात थी. इसी एयरक्राफ्ट करियर से J-15 फाइटर जेट उड़ान भर रहे थे. ताकि ताइवान के एयर डिफेंस सिस्टम का जायजा ले सकें.
जायजा लेने का फायदा चीन को यूं होगा कि वो भविष्य में जब ताइवान पर हमला करेगा, तो उसका निशाना सिर्फ हाई वैल्यू टारगेट होंगे. शैंडोंग को समुद्र में तैनात करके अमेरिका और संयुक्त विरोधी सेनाओं को दूर रखा जा सकता है. ताइवान का पूर्वी किनारा ऊंचे पहाड़ों की वजह से सुरक्षित है.
चीन के एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंसेस के सीनियर कर्नल झाओ सियाओ ने कहा कि अगले कुछ सालों में हमारे कई एयरक्राफ्ट करियर बनकर तैयार हो जाएंगे. इसके बाद हम ज्यादा मजबूती से हमला कर सकते है. फिलहाल चीन के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर है. लेकिन चीन पुख्ता नहीं था कि उसका कौन सा युद्धपोत जंग में काम करेगा.
इसलिए इस बार की मिलिट्री ड्रिल में चीन ने शैंडोंग एयरक्राफ्ट कैरियर को शामिल कर लिया. अगर अमेरिका ताइवान का साथ देने के लिए बीच में आता है, तो चीन कैरियर की मदद से उसे रोकेगा. चीन ने कभी एयरक्राफ्ट करियर का इस्तेमाल कहीं नहीं किया है. यह मिलिट्री ड्रिल उसके लिए एक प्रैक्टिस था.
चीन अपने विमानवाहक युद्धपोतों के जरिए अमेरिका और उसके मित्र देशों के जंगी जहाजों को ताइवान की मदद करने से रोकेगा. इस बीच अमेरिका और जापान ने अपने डेस्ट्रॉयर्स को ताइवान के आसपास तैनात कर रखा है. इनके फाइटर जेट्स उड़ान भर के चीन और ताइवान की स्थिति पर नजर रख रहे हैं.
अमेरिका का निमित्ज क्लास कैरियर ताइवान के पास ही मौजूद है. अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान की नौसेना के साथ लाइव फायर ड्रिल कर रहा है. जिससे चीन की चिंता बढ़ी हुई है.