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विश्व

डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के उत्पात पर चीन ने जमकर लिए मजे

aajtak.in
  • 07 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने यूएस कैपिटल की बिल्डिंग में घुसकर जमकर उत्पात मचाया. दरअसल, 6 जनवरी को अमेरिकी कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन की जीत की आधिकारिक पुष्टि करने वाली थी. इसे रोकने के लिए ट्रंप समर्थकों ने यूएस कैपिटल पर धावा बोल दिया. इस हिंसा की वजह से 4 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. दुनिया भर से इन घटनाक्रमों को लेकर प्रतिक्रियाएं आईं. वहीं, चीन ने इसे लेकर अमेरिका पर तंज भरी टिप्पणी की है.

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चीन ने इस घटना की तुलना हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शन से की है. जुलाई 2019 में हॉन्ग कॉन्ग के लोकतंत्र समर्थक सुरक्षा बलों के घेरे को तोड़ते हुए संसद की इमारत में घुस गए थे. हॉन्ग कॉन्ग की चीन समर्थक सरकार के एक नए कानून के विरोध में ये प्रदर्शन हुए थे. अमेरिका समेत कई देशों ने हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया था.

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चीन ने अपने बयान में अमेरिका में जल्द से जल्द शांति, स्थिरता और सुरक्षा बहाल होने की उम्मीद जताई है. लेकिन चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हू चुनयिंग साल 2019 में हॉन्ग कॉन्ग की संसद की इमारत में प्रदर्शनकारियों के घुसने पर अमेरिकी मीडिया की प्रतिक्रिया को याद दिलाना नहीं भूली. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, "जब साल 2019 में हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शनकारियों की वजह से अव्यवस्था फैली थी तो अमेरिका के लोगों और मीडिया का रुख अलग क्यों था. उस वक्त उन्होंने हॉन्ग कॉन्ग को लेकर किन शब्दों का इस्तेमाल किया था और वे अब क्या कर रहे हैं. अमेरिकी मीडिया अब ट्रंप के समर्थकों के प्रदर्शन को हिंसा, ठगी, अतिवाद और ना जाने क्या क्या कह रही है. लेकिन हॉन्ग कॉन्ग के दंगों के लिए उन्होंने किन शब्दों का इस्तेमाल किया था? 'खूबसूरत नजारा', 'लोकतंत्र की लड़ाई'..." 

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चीनी मीडिया में भी ट्रंप के समर्थकों के उत्पात को लेकर तीखी टिप्पणी की जा रही हैं. चीन की सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े मीडिया संगठन ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी पर निशाना साधा है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, जब हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शन हुए थे तो नैन्सी ने इसे खूबसूरत दृश्य बताया था. अब देखना होगा कि क्या वो कैपिटल हिल में हुए घटनाक्रम को लेकर भी ऐसा ही बोलती हैं?
 

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ग्लोबल टाइम्स ने कई नागरिकों की टिप्पणी प्रकाशित की है. एक चीनी यूजर ने लिखा, "अब स्पीकर पेलोसी खुद ये खूबसूरत नजारे का आनंद उठा सकती है, बल्कि अपने ऑफिस में ही. लंबे वक्त से अमेरिकी राजनेता दूसरे देशों के दंगाइयों को फ्रीडम फाइटर्स बताते रहे हैं. आखिरकार अब वे खुद इसे झेल रहे हैं." नैन्सी के दफ्तर में कुर्सी पर बैठे हुए ट्रंप के एक समर्थक की तस्वीर भी चीनी सोशल मीडिया में काफी तेजी से वायरल हो गई है.

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, "कई चीनी नागरिक अपने कॉमेंट में कह रहे हैं कि अमेरिका में जो हुआ, वो उसे बदले की तरह देख रहे हैं. पूरी दुनिया में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के नाम पर अव्यवस्था फैलाने के बाद आखिरकार अमेरिका को अपने कर्मों का फल मिल रहा है."

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अमेरिका के कई सहयोगी देशों ने भी हिंसा को लेकर चिंता जाहिर की है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे शर्मनाक करार दिया. नॉर्वे के प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने कहा कि इन घटनाओं पर विश्वास करना मुश्किल है और लोकतंत्र पर ऐसा हमला बिल्कुल अस्वीकार्य है. हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने ब्रिटेन पर भी निशाना साधा है. उसने लिखा है, कई चीनी पूछ रहे हैं कि बोरिस जॉनसन 'अमेरिकी फ्रीडम फाइटर्स' का समर्थन क्यों नहीं कर रहे हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह वो हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों का करते रहे हैं.

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बोरिस जॉनसन ने लिखा, अमेरिका पूरी दुनिया में लोकतंत्र का प्रतीक है और ये जरूरी है कि वहां शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से सत्ता का हस्तांतरण हो. ब्रिटेन के अन्य नेताओं ने भी हिंसा की आलोचना की. विपक्षी दल के नेता केर स्टार्मर ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया. ब्रिटेन के अखबार डेली एक्सप्रेस ने हिंसा की घटनाओं को 'अमेरिका में अराजकता' करार दिया और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हिंसा के दरवाजे खोल दिए हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिका में हुई हिंसा को लेकर ट्वीट किया और कहा कि लोकतंत्र में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को इस तरह से नहीं रोका जा सकता है. स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सैनचेज ने लिखा, "मुझे अमेरिकी लोकतंत्र में पूरा विश्वास है. अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की टीम इस तनावमुक्त माहौल से निकलने में कामयाब रहेगी."

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लिखा, "जब दुनिया के पुराने लोकतंत्रों में मौजूदा राष्ट्रपति के समर्थक वैध चुनाव के नतीजों को पलटने के लिए हथियार उठा लेते हैं तो एक व्यक्ति और एक वोट का सिद्धांत कमजोर पड़ता है." 

बता दें कि 20 जनवरी को अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन शपथ लेने वाले हैं. अमेरिकी कांग्रेस ने ट्रंप समर्थकों के उत्पात के बावजूद चुनावी नतीजों की आधिकारिक पुष्टि कर दी है. दूसरी तरफ, हिंसा की घटनाओं के बाद ट्रंप ने भी कहा है कि सत्ता हस्तांतरण सुचारू रूप से किया जाएगा.

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