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विश्व

अमेरिकी कार्रवाई से भड़का चीन, उसी के अंदाज में किया पलटवार

aajtak.in
  • 10 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST
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अमेरिका और चीन के बीच टकराव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अमेरिकी कार्रवाई के जवाब में अब चीन 11 अमेरिकी सांसदों और नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है. इससे पहले, अमेरिका ने शुक्रवार को हॉन्ग कॉन्ग मुद्दे को लेकर 11 चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध थोप दिए थे.

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अमेरिका की इसी कार्रवाई पर पलटवार करते हुए चीन ने भी सोमवार को टेड क्रूज और मैक्रो रुबियो समेत 11 अमेरिकी सांसदों और नागरिकों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. चीन ने कहा है कि हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर कुछ अमेरिकी सांसदों का आचरण बिल्कुल गलत था जिसकी वजह से उन पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं.

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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने कहा, अमेरिका हालात को समझने की कोशिश करे और चीन के आंतरिक मामले में दखल देना बंद करे. झाओ ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ है.

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अमेरिका ने शुक्रवार को हॉन्ग कॉन्ग चीफ एग्जेक्यूटिव कैरी लैम की अमेरिकी संपत्तियों को भी फ्रीज करने का ऐलान किया था. चीन ने हॉन्ग कॉन्ग पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए नया सुरक्षा कानून लागू किया है जिसका अमेरिका समेत कई देश विरोध कर रहे हैं.

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अमेरिका ने हॉन्ग कॉन्ग में कैरी लैम और अन्य अधिकारियों को चीन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कुचलने वाली नीतियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था. कुछ दिन पहले अमेरिका ने हॉन्ग कॉन्ग का विशेष दर्जा भी खत्म कर दिया था.

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हॉन्ग कॉन्ग चीन के 'वन नेशन टू सिस्टम' का हिस्सा है जिसके तहत हॉन्ग कॉन्ग को कई मामलों में स्वायत्तता हासिल है. हालांकि, अब चीन नए सुरक्षा कानून के जरिए इस स्वायत्तता को छीनने की कोशिश कर रहा है. ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हॉन्ग कॉन्ग को चीन को 1997 में सौंपा गया था. ब्रिटेन ने चीन से इस शहर को 2047 तक स्वायत्तता देने की गारंटी ली थी.

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अमेरिका के अलावा, ब्रिटेन भी हॉन्ग कॉन्ग में चीन के सुरक्षा कानून का विरोध कर रहा है. ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग के करीब साढ़े तीन लाख ब्रिटिश पासपोर्टधारकों और करीब 26 लाख अन्य लोगों के लिए ब्रिटेन में पांच साल के लिए बसने का रास्ता भी खोल दिया है. ब्रिटेन के इस कदम को लेकर चीन ने अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली थी.

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हॉन्ग कॉन्ग के मुद्दे पर चीन पूरी दुनिया में बुरी तरह घिरा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भी हॉन्ग कॉन्ग की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने कहा था कि वह हॉन्ग कॉन्ग के नागरिकों का अपने देश में स्वागत करने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है. चीन ने ऑस्ट्रेलिया को भी चेतावनी देते हुए कहा था कि वह गलत रास्ते पर आगे ना बढ़े.

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