अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि चीन के हैकर्स अमेरिका की वैक्सीन और ट्रीटमेंट रिसर्च को चुराने की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि चीन वैक्सीन की रेस में अमेरिका से आगे निकलने के लिए ऐसी हरकतें कर रहा है.
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न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के ये हैकर्स वैक्सीन, ट्रीटमेंट और टेस्टिंग से जुड़ी विशेष जानकारियां और पब्लिक हेल्थ डेटा को हासिल करने के लिए गलत हथकंडे अपना रहे हैं.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
इसके चलते अमेरिकी सरकार आने वाले दिनों में साइबर चोरी को लेकर 'नॉन ट्रेडिशनल एक्टर्स' के लिए चेतावनी जारी कर सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, डेटा हैक करने वाले ये 'नॉन ट्रेडिशनल एक्टर्स' शोधकर्ता और छात्र हो सकते हैं.
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ट्रंप प्रशासन का आरोप है कि इन हैकर्स को अमेरिकी प्रयोगशालाओं और एकेडमी के अंदर से डेटा चोरी करने के लिए एक्टिव किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के निर्णय व्यापक रणनीतियों का हिस्सा हैं, जिसमें यूनाइटेड स्टेट की साइबर कमांड और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी भी शामिल हैं.
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चीन पर वैक्सीन और ट्रीटमेंट रिसर्च हैक करने की खबरें ऐसे वक्त में सामने आई हैं, जब ईरान से जुड़े कुछ हैकर्स पिछले कुछ हफ्तों से अमेरिका की ड्रगमेकर एजेंसी गाइलेड साइंस को निशाना बना रहे थे.
रिपोर्ट के अनुसार, पासवर्ड चुराने के लिए बनाया गया एक फर्जी ईमेल लॉगिन पेज अप्रैल के महीने में भी कंपनी के लीगल और कॉर्पोरेट मामलों के एक शीर्ष अधिकारी को भेजा गया था. हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि वो साइबर अटैक सफल भी हुआ था या नहीं.
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बता दें कि अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले अभी तक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. देश में अब तक कुल साढ़े 13 लाख से भी ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं, जिनमें से मरने वालों की संख्या 80,000 के पार पहुंच चुकी है.
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वहीं, इस बीमारी का गढ़ रहा चीन अब राहत की सांस लेने लगा है. चीन में कोरोना वायरस के सिर्फ 80,000 मामले हैं. देश में अभी तक इस महामारी से तकरीबन 4,600 लोगों की जान गई है.