लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है लेकिन चीन की सरकारी मीडिया भारत को धमकी देने से बाज नहीं आ रही है. चीन की सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने लद्दाख में तनाव घटने को सकारात्मक संकेत बताने के साथ-साथ भारत को कई नसीहतें भी दे डाली हैं. चीनी अखबार ने कहा है कि भारत अपनी घरेलू समस्याओं पर ध्यान दे और गुटनिरपेक्षता की अपनी पुरानी नीति पर चले. इसके साथ ही, अमेरिका से दूरी बनाए रखने को लेकर भी भारत को आगाह किया है.
ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग के बयान का जिक्र किया. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चीन और भारत की तरफ से सीमा पर तनाव घटाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. चीनी अखबार ने कहा कि तमाम विश्लेषकों ने इस बयान को चीन और भारत के बीच तनाव घटाने का स्पष्ट संकेत माना है और इसका स्वागत किया है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, भारत-चीन सीमा पर हालात सुधरने से कुछ हद तक दोनों देशों को आर्थिक और व्यापार के ज्यादा मौके मिलेंगे जो दोनों देशों के हित में होगा. अगर तनाव बढ़ता है और संघर्ष का रूप ले लेता है तो फिर भारत-चीन के संबंधों के लिए बहुत कम गुंजाइश बचेगी. भारत में चीन विरोधी भावनाओं के उभार को देखते हुए राजनीति का असर द्विपक्षीय व्यापार पर भी पड़ेगा.
अखबार ने लिखा है, फिलहाल, चीजें सकारात्मक दिशा में बढ़ती नजर आ रही हैं और सीमा पर तनाव कम होने की संभावना मजबूत हो रही है. इसका मतलब है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग बढ़ेगा और दम तोड़ती भारतीय अर्थव्यवस्था को भी सांस लेने का मौका मिलेगा.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, जब भारत-चीन के बीच सीमा विवाद खत्म हो जाएगा तो दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते भी सामान्य हो जाने की उम्मीद है. हालांकि, एक बात ध्यान देने वाली है कि वैश्विक भू-राजनीतिक व्यवस्था अब ज्यादा जटिल हो चुकी है. चीन-अमेरिका एक नए शीत युद्ध की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया और भारत ने एक नई रणनीतिक साझेदारी बना ली है. ऐसे मोड़ पर, भारत पर भू-राजनीतिक दबाव ज्यादा है और उसे कई तरह के प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं.
अखबार ने लिखा, भारत ने लंबे समय से अपनी विदेश नीति में गुट निरपेक्षता की नीति का पालन किया है. ये देखना होगा कि भारत अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखता है या फिर बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच अमेरिका के नेतृत्व वाले गुट की तरफ झुक जाता है.
ग्लोबल टाइम्स ने धमकी भरे लहजे में लिखा है, अगर मोदी सरकार चीन के साथ दोस्ती को चुनती है तो भारत-चीन आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे. लेकिन अगर भारत चीन के खिलाफ अमेरिका के साथ शामिल हो जाता है तो वह अपने हितों की सुरक्षा करने में नहीं हिचकेगा. फिर ये हित चाहे राजनीतिक हों या आर्थिक. भारत अगर चीन की दोस्ती खो देता है तो उसे इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी जिसे बर्दाश्त करना भी भारत के लिए मुश्किल होगा.
चीनी मीडिया ने भारत सरकार को नसीहत दी है कि उसे कोरोना वायरस महामारी और टिड्डियों के हमले जैसे घरेलू मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. अखबार ने लिखा है, हफ्तों के लॉकडाउन के बावजूद वायरस की रोकथाम नहीं हो सकी और भारत की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा. मई महीने में शहरी भारत में बेरोजगारी दर 27 फीसदी पहुंच गई है. आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन ने अनुमान लगाया है कि कि वित्तीय वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी तक सिकुड़ सकती है. इसके अलावा, भविष्य में भारत में टिड्डियों का हमला होने की आशंका है, जिससे खाद्य आपूर्ति पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है. भारत सरकार को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.
यह कोई पहली बार नहीं है जब चीनी मीडिया ने इस तरह से आक्रामक अंदाज में भारत को चेतावनी दी है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जी-7 में शामिल होने के न्योते को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी तो चीनी मीडिया ने कहा था कि भारत ऐसा करके आग से खेल रहा है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था कि जी-7 के विस्तार का विचार भू-राजनीतिक समीकरणों को लेकर है और साफ तौर पर ये चीन को रोकने की कोशिश है. भारत भी अपनी वैश्विक नेता बनने की महत्वाकांक्षा में अमेरिका का साथ दे रहा है.
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा था, जब से मोदी दूसरी बार सत्ता में आए हैं, भारत का चीन के प्रति रवैया बदल गया है. भारत चतुष्कोणीय रणनीतिक वार्ता को लेकर तेजी से आगे बढ़ रहा है यानी भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ अपना गठजोड़ मजबूत कर रहा है. उसने भारत को आगाह किया था कि अगर वह चीन को काल्पनिक दुश्मन मानने वाले छोटे-छोटे समूहों से जल्दबाजी में हाथ मिलाता है तो चीन-भारत के संबंध खराब हो जाएंगे और ये भारत के हित में नहीं होगा.