दरअसल, मार्च महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में तबलीगी जमात का एक कार्यक्रम हुआ था. इस कार्यक्रम में शामिल हुए कई लोग जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट में पूरे मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा. इसकी आलोचना करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी बयान जारी किया था और कहा था कि भारत में ये चीजें रुकनी चाहिए.
यही नहीं, तीन दिन पहले यूएई की राजकुमारी ने प्रवासी भारतीयों को सख्त चेतावनी दे डाली. यूएई की राजकुमारी हेंद अल कासिमी ने एक भारतीय यूजर की मुस्लिम विरोधी पोस्ट के स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए लिखा, इस्लामोफोबिया और नस्लवादी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर कड़ा जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें यूएई से बाहर निकाल दिया जाएगा. इस चेतावनी के बाद भारतीय यूजर ने अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया. यूएई में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं और भारत के साथ अच्छे संबंध भी हैं. यहां तक कि जब कश्मीर का भारत ने विशेष दर्जा खत्म किया था तो यूएई ने इस्लामिक देश होने के बावजूद कहा था कि यह भारत का आंतरिक मामला है.
यूएई की राजकुमारी ने कहा कि यूएई का शाही परिवार भारतीयों का दोस्त जरूर है लेकिन इस तरह का रवैया स्वीकार्य नहीं है. यहां पर आने वाले हर शख्स को काम के बदले पैसे मिलते हैं, कोई भी मुफ्त में यहां नहीं आता है. इस देश की धरती से आप अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं, अगर आप इसी का मजाक उड़ाते हैं तो ये मत सोचिए कि किसी का ध्यान नहीं जाएगा.
यूएई की राजकुमारी के ट्वीट के बाद बीजेपी नेता तेजस्वी सूर्या का एक पुराना ट्वीट यूएई की सोशल मीडिया में वायरल होने लगा. 2015 में तेजस्वी ने एक ट्वीट में लिखा था कि अरब की 95 फीसदी महिलाओं ने पिछले 200 सालों में कभी ऑर्गेज्म का अनुभव नहीं किया. अरब की महिलाओं ने प्यार के बगैर बस सेक्स से बच्चे पैदा किए. तेजस्वी के इस पुराने ट्वीट की वजह से यूएई के नागरिक और भड़क गए.
कुवैत के एक वकील मेजबेल शरीका ने इस ट्वीट के स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए लिखा कि भारतीय नेता ने अरब महिलाओं के बारे में नस्लीय और आपत्तिजनक टिप्पणी की है, जिससे अरब के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. ट्वीट वायरल होने के बाद लोगों ने तेजस्वी के खिलाफ भारत सरकार से कार्रवाई की मांग की. विवाद बढ़ने पर तेजस्वी ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया. कुवैत के वकील मेजबेल शरीका ने लिखा, भारत एक विशाल आबादी वाला प्राचीन देश है और यहां सदियों से लोग धार्मिक और नस्लीय भेदभाव के बगैर शांतिपूर्वक रहते आए हैं. लोग भारत को विभिन्न धर्मों के बीच समन्वय वाले देश के तौर पर जानते हैं, प्लीज भारत की इस खूबसूरत छवि को ना बिगाड़ें.
इस तनावपूर्ण घटनाक्रम के बीच, भारतीय राजदूत ने भी सोमवार को वहां रह रहे भारतीयों को सावधान किया है. यूएई में भारतीय राजूदत पवन कपूर ने कहा कि भारतीय किसी भी धर्म को आहत करने वाली पोस्ट ना करें. धार्मिक आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. भारतीय राजदूत ने कहा, भारत और यूएई की धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव करने की नीति नहीं रही है. यह हमारी मूल प्रकृति और कानून व्यवस्था दोनों के खिलाफ है. यूएई में रह रहे भारतीय नागरिकों को हमेशा इस बात को ध्यान में रखना चाहिए.
भारतीय राजदूत ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस का कोई धर्म या नस्ल नहीं होता है. पिछले महीने, यूएई में कोरोना वायरस महामारी से मुस्लिम समुदाय को जोड़ने वाली पोस्ट की वजह से कम से कम छह भारतीयों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.