ओपेक (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) व गैर-ओपेक देशों के साथ रूस ने समझौता किया है कि वे मिलकर वैश्विक बाजार से प्रतिदिन 10 मिलियन बैरल तेल हटाएंगे ताकि बाजार में संतुलन बना रहे. यह कुल तेल आपूर्ति में 20 फीसदी की कटौती होगी. समझौते पर अमल 1 मई से होना है.
पिछले सप्ताह रूस के ऊर्जा मंत्री ने ओपेक प्लस डील के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेल कंपनियों से अपना उत्पादन 20 फीसदी घटाने के लिए कहा है. सूत्रों ने रॉयटर्स एजेंसी को बताया कि कंपनियां पहले उन फील्ड्स पर ध्यान दे रही हैं जहां पर पहले से ही उत्पादन गिर रहा है. लुकोइल प्रतिदिन 1.65 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है. अब लुकोइल अपने कई ऑयल फील्ड को बंद करने की योजना बना रहा है.
रॉसनेफ्ट और गैजप्रॉम नेफ्ट का जॉइंट वेंचर स्लावनेफ्ट पश्चिमी साइबेरिया में मेगोनेफेटेज यूनिट के कई फील्ड्स को बंद करने पर विचार कर रहा है. तेल इंडस्ट्री से जुड़े दो अन्य सूत्रों ने बताया कि कम उत्पादन क्षमता वाले तेल के कुओं को सबसे पहले बंद किया जा सकता है. हालांकि, तेल आपूर्ति में कमी लाने के लिए कुओं को अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने के बजाय मरम्मत के लिए अस्थायी तौर पर ही बंद किया जाएगा. फिलहाल, नई पेट्रोलियम खदानों की खोज के लिए ड्रिलिंग भी रोक दी जाएगी.
तेल के कुओं की मरम्मत करने से कंपनियों को अपनी उत्पादन क्षमता बनाए रखने में मदद मिलेगी. कंपनियां लंबे वक्त तक अपना मुनाफा नहीं खोना चाहती हैं. एक सूत्र ने कहा, "ये सच है कि मांग में कमी आई है लेकिन यह ऑयल फील्ड्स पर ताला लगाने की वजह नहीं बन सकता है. कई बार अच्छा होता है कि आप तेल उत्पादन करना जारी रखें और यहां तक कि उसे जलाना भी पड़े तो जला दें. एक बार तेल उत्पादन की क्षमता खत्म होने पर उबरने में कई सालों का वक्त लग जाता है. आपको याद है कि सोवियत संघ में एक बार तेल उत्पादन आधा कर दिया गया था. उसके बाद तेल उत्पादन की क्षमता वापस पाने के लिए उसे पूरा एक दशक लग गया था."
दुनिया के कई देशों में तेल के भंडारण की जगह नहीं बची है. ऐसे में, तेल की आपूर्ति बढ़ती जा रही है जबकि मांग ना के बराबर है. इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों पर पड़ रहा है. इसी महीने, अमेरिका में तेल की कीमतें जीरो से नीचे पहुंच गई थीं.
चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच जनवरी महीने में तमाम रिफानरियों के बंद होने के बाद से दुनिया भर के तेल भंडार औसतन तीन-चौथाई भर चुके हैं.