दक्षिण अफ्रीका के एक गांव में उस समय अजीबोगरीब हालात पैदा हो गए जब एक खास तरह के पत्थर की चर्चा चारों तरफ फैल गई. दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु-नताल प्रांत के क्वाह्लथी गांव में खास तरह के पत्थर मिलने की खबर फैलते ही एक हजार से अधिक लोग हीरा की तलाश में जुट गए. स्थानीय लोग इस पत्थर को हीरा बता रहे हैं.
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हीरे की खोज में सिर्फ क्षेत्र विशेष के ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण अफ्रीका से लोग क्वाज़ुलु-नताल प्रांत के क्वाह्लथी गांव पहुंच गए हैं. गांव के लोग शनिवार से ही हीरे की तलाश में खेतों में खुदाई कर रहे हैं.
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असल में, खेत में खुदाई के समय एक शख्स को पत्थर मिला जिसे कुछ लोग क्वार्ट्ज क्रिस्टल मान रहे हैं. फिर क्या था, इस खास तरह के पत्थर की बात चारों तरफ फैलते ही लोग उस खेत में खुदाई करने उमड़ पड़े.
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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, खुदाई में मुट्ठी भर पत्थर पाने वाले मेंडो सबेलो ने बताया कि इससे जिंदगी बदल जाएगी. दो बच्चों के पिता मेंडो सबेलो ने कहा, 'इसका मतलब है कि हमारा जीवन बदल जाएगा. हमारे पास करने के लिए कोई ढंग का काम नहीं है. जब मैं इन पत्थरों के साथ घर लौटूंगा तो परिवार के लोग बहुत खुश होंगे.'
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बेरोजगार शुंबुज़ो म्बेले ने भी मेंडो सबेलो की बात से इत्तेफाक जताया. उन्होंने मेंडो सबेलो के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, "मैंने अपने जीवन में कभी भी न हीरा देखा और छुआ है. मैं इसे पहली बार यहां छू रहा हूं."
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हीरे की तलाश में जुटी भीड़ को देखकर दक्षिण अफ्रीका की सरकार भी सक्रिय हो गई है. खनन विभाग ने सोमवार को कहा कि वह नमूने एकत्र और विश्लेषण करने के लिए भूवैज्ञानिक और खनन विशेषज्ञों की एक टीम भेज रहा है. विभाग ने कहा कि नियत समय पर इस संबंध में बयान जारी किया जाएगा.
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खास पत्थरों के विश्लेषण की कमी से हीरे की तलाश में जुटे लोग निराश नहीं हैं. क्वाह्लथी गांव सड़क के दोनों किनारों पर खड़ी कारों की लंबी लाइनें खुले मैदान से कुछ ही मीटर की दूरी पर देखी जा सकती हैं, जहां युवा, बूढ़े, महिला और पुरुष हीरे की तलाश में खुदाई में जुटे हुए हैं.
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बहरहाल, कुछ लोगों ने खुदाई में मिले पत्थरों को बेचना शुरू कर दिया है, जिसकी शुरुआती कीमत 100 रैंड (7.29 डॉलर) से लेकर 300 रैंड तक है.
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प्रांतीय सरकार ने खुदाई में जुटे लोगों से उस इलाके से हटने के लिए कहा है ताकि अधिकारी मौके का मुआयना कर सकें. इस बात की भी आशंका है कि खुदाई में जुटे अधिकांश लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.
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दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था लंबे समय से भारी बेरोजगारी से जूझ रही है. लाखों लोगों की जिंदगी गरीबी में फंस गई है. 1994 में रंगभेद की समाप्ति के लगभग तीन दशक बाद भी दक्षिण अफ्रीका में असमानता बनी हुई है. कोरोना वायरस महामारी ने इसे और भी बदतर बना दिया है.
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