ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' को दिए इंटरव्यू में चॉम्स्की ने कहा कि दशक के सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति देश का रक्षक बनने का नाटक करते हुए आम अमेरिकियों की पीठ में छुरा भोंक रहे थे. उन्होंने कहा कि दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने का ख्वाब देख रहे ट्रंप ने अमीर कारोबारियों के फायदे के लिए हेल्थकेयर और संक्रामक बीमारियों के रिसर्च की फंडिंग में कटौती करने जैसे कदम उठाए.
चॉम्स्की ने कहा, ये ऐसा काम है जिसे ट्रंप अपने कार्यकाल के हर साल में करते आ रहे हैं- संस्थाओं की फंडिंग में कटौती. ट्रंप की योजना है कि सरकारी फंडिंग में कटौती जारी रहे और लोगों को जितना ज्यादा खतरे में डाला जा सके, डाल दिया जाए, लेकिन अमीर और कारोबारी ताकतों का मुनाफा बढ़ता जाए.
चॉम्स्की ने कहा कि राष्ट्रपति ने राज्य के गवर्नरों पर वायरस से लड़ने की जिम्मेदारी डालकर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लिया. उन्होंने कहा, तमाम लोगों को मारने और अपनी चुनावी राजनीति को चमकाने के लिए ये बढ़िया रणनीति है.
अमेरिकियों की मौत के लिए क्या वह ट्रंप को दोषी मानते हैं? इस सवाल के जवाब में चॉम्स्की ने कहा, हां, लेकिन बात केवल अमेरिकियों की ही नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में ही ट्रंप ने यही किया है. अमेरिकी लोगों के खिलाफ अपने अपराध को छिपाने के लिए वह किसी ना किसी को बलि का बकरा बना देना चाहते हैं. प्रोफेसर चॉम्स्की ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकने का ट्रंप का फैसला यमन और अफ्रीकी महाद्वीप में भी कई लोगों की जानें ले लेगा.
यूरोपीय संघ (ईयू) को लेकर भी चॉम्स्की ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान ईयू ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया. उन्होंने कहा, "यह संकट यूरो करेंसी ब्लॉक को अलग-थलग कर सकता है. मुझे नहीं लगता है कि यूरोजोन इस संकट को झेल सकता है." ईयू के नेताओं ने 540 अरब यूरो के आपातकालीन पैकेज पर सहमति दे दी है लेकिन फंड के बंटवारे को लेकर संगठन के तमाम सदस्यों के बीच गहरे मतभेद हैं. इटली और स्पेन जब कोरोना महामारी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे थे तो ईयू से उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका.
प्रोफेसर चॉम्स्की 'प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल' संगठन की लॉन्चिंग में हिस्सा लेने पहुंचे थे. यह संगठन दुनिया भर में लोकप्रिय दक्षिणपंथी आंदोलनों के उभार को रोकने के लिए बनाया गया है. 1928 के नाजीवाद के उभार के दौरान उपजे खतरे से मौजूदा दक्षिणपंथी लोकप्रियतावाद की तुलना करते हुए चॉम्स्की ने कहा कि कोरोना महामारी में दो तरह के नजरिए देखने को मिल रहे हैं, एक- ब्रिटेन की पूर्व पीएम मार्गेट थैचर और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन की नीतियां जो अतीत में विनाशकारी साबित हुई हैं. दूसरा सभी संस्थाओं और ढांचों को खत्म करने की नीति. इससे दुनिया की ज्यादातर आबादी को बुरे अंजाम भुगतने पड़े हैं और इस नई महामारी का स्रोत भी यही है. पहले से स्थापित संस्थाओं को खत्म करते हुए एक बेहतर दुनिया का ख्वाब दिखाया जाता रहा है.
चॉम्स्की ने कहा, हालांकि, पुरानी संस्थाओं को रौंदना इतना आसान भी नहीं है. कई ताकतें हैं जो इसके खिलाफ लड़ रही हैं. पूरी दुनिया को ऐसी ही लड़ाइयों का सामना करना पड़ेगा. आने वाले वक्त में बहुत कुछ आक्रोशित भीड़ से ही तय होगा.