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विश्व

गृहयुद्ध से जूझ रहे इथियोपिया पर घात लगाये बैठे हैं ये देश

aajtak.in
  • 19 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST
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उत्तर-पूर्वी अफ्रीका देश इथियोपिया में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं. उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र में सक्रिय बागी सैन्य-दल ने इस सप्ताह पड़ोसी देश इरीट्रिया की राजधानी असमारा में तीन मिसाइलें दाग दीं. इसके बाद दोनों पड़ोसी देशों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है. वहीं सूडान और मिस्त्र ने भी नील नदी को लेकर चल रहे विवाद में इथियोपिया पर आंखें तरेरना शुरू कर दिया है. बता दें कि इथियोपिया के उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र में तिग्रेयान जातीय समूह इथियोपिया की राजनीति पर हावी हो रहा है, जिसे काबू में करने के लिए इथियोपिया की सरकार ने बीते दिनों उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष की घोषणा की थी.

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इरिट्रिया भी एक समय में इथियोपिया का ही हिस्सा हुआ करता था, परंतु यह लंबे संघर्ष के बाद 1991 में स्वतंत्र हुआ. इरिट्रिया में असब बंदरगाह को लेकर ही इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच सीमा विवाद शुरू हुआ और 1998 में दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया, जो 2000 तक चला. साल 1998 से लेकर 2018 तक लगभग दो दशक तक दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव और संघर्ष की स्थिति रही. 

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वर्ष 2018 में जब अबी अहमद को इथियोपिया का प्रधानमंत्री बनाया गया तो उन्होंने इथियोपिया के शीर्ष प्रशासन ने उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र में प्रभावी टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के प्रभाव को समाप्त करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए. इस दौरान प्रधानमंत्री अबी अहमद द्वारा ​इरिट्रिया के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके लिए उन्हें नोबल शांति पुरस्कार मिला. वहीं दोनों देशों के बीच बड़ी इस नजदीकी के बाद टिगरायन शीर्ष अधिकारी नाराज हो गये. जिसके बाद टिगरायन के पूर्व अधिकारियों पर दुर्व्यवहार और भ्रष्टाचार के लिए मुकदमा चलाया गया.

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बता दें कि उत्तरी टाइग्रे में जब लड़ाई शुरू हुई, तो करीब 25 हजार शरणार्थियों को सीमा पार देश सूडान में डाल दिया गया. जहां इन शरणा​र्थियों का सशस्त्र समूह अपने अधिकार के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है. सूडान के बगल का क्षेत्र टिग्रे एक मात्र ऐसा स्थान है, जहां इथियोपिया या इरिट्रिया के सैन्य बलों का नियंत्रण नहीं है. 

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वहीं सूडान से भी इथियोपिया के साथ लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है. यहां दोनों देश पुनर्जागरण बांध को लेकर अपना-अपना दावा कर रहे हैं, जिससे यहां के नील नदी के पानी को रोका जा रहा है. इससे मिस्र और सूडान दोनों देश चिंतित हैं कि 4 बिलियन डॉलर के बांध से उनकी जल आपूर्ति को खतरा हो सकता है. वहीं इस सप्ताह मिस्र और सूडान द्वारा संयुक्त युद्ध अभ्यास किया जा रहा है, जो टिगरायन संघर्ष से पहले ही शुरू हो गया था.

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