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विश्व

क्या रूस बेहद जानलेवा Ebola-Marburg वायरस से बना रहा बायोलॉजिकल हथियार?

aajtak.in
  • 29 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:18 PM IST
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ब्रिटेन के कुछ एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की है कि रूस खतरनाक इबोला वायरस के जरिए बायोलॉजिकल हथियार बनाने पर रिसर्च कर रहा है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा समझा जा रहा है कि मॉस्को की खुफिया एजेंसी FSB यूनिट-68240 Toledo कोड नेम वाले प्रोग्राम पर काम कर रही है. बता दें कि ब्रिटेन में दो साल पहले रूसी जासूस और उनकी बेटी पर नोविचोक केमिकल के जरिए जानलेवा हमला किया गया था और इस घटना का कनेक्शन FSB यूनिट-68240 से जुड़ा था.

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गैर लाभकारी संस्था OpenFacto के जांचकर्ताओं को पता चला है कि रूस के रक्षा विभाग ने एक सीक्रेट यूनिट बना रखा है. इसका नाम है 48वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट. यह सीक्रेट यूनिट बेहद जानलेवा वायरस की स्टडी कर रहा है. वहीं, 48वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट का कनेक्शन 33वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट से भी है. इसी इंस्टीट्यूट ने जानलेवा नर्व एजेंट नोविचोक को तैयार किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने दोनों ही इंस्टीट्यूट पर प्रतिबंध लगा दिया है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के रक्षा विभाग का 48वीं सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट FSB यूनिट-68240 को डेटा मुहैया कराता है जो Toledo प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहा है. ब्रिटिश अखबार The Mirror को एक सूत्र ने बताया कि रूस और ब्रिटेन, दोनों ने ही बायोलॉजिकल और केमिकल हथियारों पर स्टडी के लिए लैब बना रखे हैं. लैब में एक्सपर्ट यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे नॉविचोक जैसे हमले से बचा जा सकता है. 

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इसी महीने ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने भी दावा किया था कि रूस के पास ऐसी क्षमता है कि वह ब्रिटेन की सड़कों पर कुछ ही सेकंड में हजारों लोगों को मार दे. ब्रिटेन की मिलिट्री के खुफिया सूत्रों के मुताबिक, रूस की सरकार, वायरस से होने वाली बीमारियों पर स्टडी से कहीं आगे बढ़ सकती है. 

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ऐसा समझा जा रहा है कि रूस का स्पेशल यूनिट इबोला के साथ-साथ और अधिक खतरनाक वायरस Marburg पर भी रिसर्च कर रहा है. WHO के मुताबिक, Marburg वायरस के संपर्क में आने से 88 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. 
 

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1967 में जर्मनी और सर्बिया में Marburg वायरस फैलने की घटनाएं हो चुकी हैं. ऐसा समझा जाता है कि रिसर्च के लिए युगांडा में पाए जाने वाले हरे रंग के अफ्रीकी बंदरों से वायरस को लाया गया था. 

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इबोला वायरस से पीड़ित होने पर 50 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. इबोला वायरस से संक्रमित होने पर मरीज के शरीर के कई अंग खराब हो जाते हैं और शरीर से खून निकलने लगता है. 2014 से 2016 के बीच इबोला से 11 हजार लोगों की मौतें हो गई थीं. 

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